पत्र सूचना कार्यालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित वार्तालाप कार्यक्रम में श्री साहू ने कहा कि सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक पूर्णतः नक्सल-मुक्त भारत बनाना है। उन्होंने कहा, “संदेश साफ है कि हिंसा का कोई भविष्य नहीं है, भविष्य केवल विकास का है। कभी ‘रेड कॉरिडोर’ कहे जाने वाले इलाके अब ‘डेवलपमेंट कॉरिडोर’ बन रहे हैं। सड़कें, बिजली, शिक्षा और डिजिटल कनेक्टिविटी भय और पिछड़ेपन की जगह ले रही हैं।”
श्री साहू ने बताया कि पुनर्वास एवं आत्मसमर्पण नीति 2025 के तहत आत्मसमर्पण करने वालों को प्रोत्साहन राशि, मासिक भत्ता, भोजन-आवास सुविधा, हथियार जमा करने पर नकद सहायता, तथा शिक्षा और रोजगार सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। सामूहिक आत्मसमर्पण करने पर दुगुने लाभ दिए जा रहे हैं। नक्सल-मुक्त घोषित पंचायतों को एक करोड़ रुपये का विशेष विकास पैकेज दिया जा रहा है, ताकि सड़क, बिजली, मोबाइल नेटवर्क और सोलर लाइटिंग जैसी सुविधाएँ तुरंत उपलब्ध कराई जा सकें।
उन्होंने कहा कि “नियाद नेल्लनार योजना” के तहत बस्तर के 90 गाँवों को आदर्श गाँव के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहाँ सड़क, पानी, स्कूल, स्वास्थ्य और डिजिटल पहुँच सुनिश्चित की जा रही है। यह केवल विकास की पहल नहीं, बल्कि आदिवासी युवाओं को शिक्षा और कौशल विकास के ज़रिये मुख्यधारा में शामिल करने का अभियान है। श्री साहू ने कहा कि “यह केवल एक तिथि तय करने का विषय नहीं, बल्कि हमारे जवानों की शहादत को श्रद्धांजलि देने और सुरक्षित-समावेशी भारत की गारंटी सुनिश्चित करने का मिशन है।”
इस अवसर पर सांसद श्री महेश कश्यप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं बस्तर क्षेत्र के विकास की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सड़क और डिजिटल कनेक्टिविटी से कृषि उत्पादों को नए बाज़ार मिल रहे हैं, जिससे स्थानीय व्यापार और अर्थव्यवस्था को गति मिली है।
श्री कश्यप ने बस्तर ओलंपिक का उल्लेख करते हुए कहा कि यह आयोजन बस्तर की सांस्कृतिक और खेल प्रतिभा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रहा है। उन्होंने कहा, “बस्तर ओलंपिक ने युवाओं को हिंसा और नशे से दूर रखकर सकारात्मक जीवन की ओर प्रेरित किया है। हजारों युवाओं की भागीदारी ने साबित किया है कि बस्तर का भविष्य शिक्षा, खेल और कौशल विकास में है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस आयोजन से पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिली है।
जिलाधिकारी श्री संबित मिश्रा ने कहा कि बीजापुर जिले में स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला-शिशु कल्याण, सड़क और जलापूर्ति के क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि नए स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना, 45 हजार से अधिक आयुष्मान कार्ड, 36 हजार से अधिक महिलाओं को महतारी वंदन योजना का लाभ, हर-घर-जल से गाँवों की पाइप जलापूर्ति और सड़कों का जाल बिछने से बीजापुर की तस्वीर बदल रही है।
पुलिस अधीक्षक श्री जितेंद्र यादव ने जानकारी दी कि जिले में नक्सल-मुक्त अभियान के अंतर्गत सुरक्षा बलों की कार्रवाई लगातार जारी है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा और पुनर्वास योजनाओं को साथ-साथ लागू किया जा रहा है, जिससे नक्सली प्रभाव में उल्लेखनीय कमी आई है।
उन्होंने कहा कि सरकार आत्मसमर्पण करने वालों को प्रोत्साहन राशि, आवास, शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करा रही है। अपने संबोधन के अंत में श्री यादव ने नक्सलियों से आह्वान किया कि वे हिंसा छोड़कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ें। उन्होंने कहा कि “सरकार पूरी तरह तैयार है कि जो भी नक्सली समाज की मुख्यधारा में लौटना चाहता है, उसे हर संभव सहायता और सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।”
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