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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी तथा सरसंघचालक जी की उपस्थिति में होगा शताब्दी वर्ष का शुभारम्भ

हिन्दू समाज में श्री विजयादशमी का पावन पर्व पौरुष तथा शक्ति जागरण का पर्व है। इसी पवित्र पर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य को प्रारंभ होकर 100 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। विश्व शांति और मानव कल्याण के उद्देश्य को लेकर सदियों से हिन्दू समाज की प्रदीर्घ यात्रा का ही यह सांप्रत रूप है l

Sunil Shukla

02 अक्तूबर, २०२५ से २०२६ की विजयादशमी तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष मनाएगा। शताब्दी वर्ष में संघ के स्वयंसेवक पंच परिवर्तन को लेकर जनजागरण करेंगे। इनमें पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समसरता, स्व आधारित व्यवस्था, कुटुंब प्रबोधन तथा नागरिक कर्तव्य, इन बिंदुओं का समावेश रहेगा। शताब्दी वर्ष के दौरान व्यापक गृह संपर्क अभियान, हिन्दू सम्मेलन, प्रबुद्ध नागरिक गोष्ठी और सामाजिक सद्भाव बैठकों का आयोजन भी किया जाएगा।

नागपुर के रेशीमबाग स्थित ठेंगड़ी सभागृह में आय़ोजित पत्रकार वार्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर जी ने श्री विजयादशमी उत्सव (02 अक्तूबर, 2025) के संबंध में जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर मंच पर विदर्भ प्रान्त संघचालक दीपक जी तामशेट्टीवार और नागपुर महानगर संघचालक राजेश जी लोया भी उपस्थित रहे।

उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज में श्री विजयादशमी का पावन पर्व पौरुष तथा शक्ति जागरण का पर्व है। इसी पवित्र पर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य को प्रारंभ होकर 100 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। विश्व शांति और मानव कल्याण के उद्देश्य को लेकर सदियों से हिन्दू समाज की प्रदीर्घ यात्रा का ही यह सांप्रत रूप है। इस वर्ष श्री विजयादशमी उत्सव का आयोजन आश्विन शुद्ध दशमी, गुरुवार, 2 अक्तूबर 2025 को प्रातः 7.40 को रेशीमबाग मैदान पर आयोजित किया गया है। इस अवसर पर भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद जी प्रमुख अतिथि होंगे और सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत का मार्गदर्शक उद्बोधन होगा।

शताब्दी वर्ष को लेकर स्वयंसेवकों के साथ ही भारत के सभी प्रातों की जनता में भी उत्साह का वातावरण है। संघ के प्रति जनता में विश्वास भी बढ़ रहा है, इसका अनुभव आ रहा है। उन्होंने कहा कि आज देश के सभी प्रांतों में सुदूर क्षेत्रों में भी संघ की शाखाओं का विस्तार हुआ है। यह कार्य समाज के सभी लोगों तक पहुंचा है। डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने व्यक्ति निर्माण के लिए संगठन की स्थापना की। नागपुर के उनके घर में आयोजित पहली बैठक में 17 साथी उपस्थित थे। वहां से जो कार्य प्रारंभ हुआ, उसने आज समाज के समर्थन, सहभाग और कार्यकर्ताओं के परिश्रम से व्यापक स्वरूप धारण किया है।

संघ के प्रारंभिक काल में जब संघ शाखा का कार्य प्रारंभ हुआ तो वह तुरंत विस्तारित नहीं हुआ। कुछ माह के बाद धीरे-धीरे एक-एक बात निश्चित होती गई और 17 अप्रैल, 1926 को एक बैठक में अलग-अलग नामों पर विचार हुआ और उसमें सब लोगों ने मिलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नाम निश्चित किया। २८ मई, १९२६ को पहली शाखा मोहिते बाड़ा, महल भाग में लगी, जिसे आज हम संघ मुख्यालय के रूप में जानते हैं।

संघ कार्य की दृष्टि से शाखाओं का विस्तार महत्त्वपूर्ण था। वर्तमान में शाखाओं की संख्या ८३ हजार से अधिक है। ३२ हजार से अधिक साप्ताहिक मिलन चलते हैं। संघ का पूर्ण गणवेश में पहला पथ संचलन १९२६ में हुआ था। यह संचलन मोहिते बाड़ा से प्रारंभ होकर हनुमान नगर के राजाबाक्षा मंदिर तक आया। नागपुर के भोसले राजा अपने महत्त्वपूर्ण कार्यों के प्रारंभ से पहले राजाबाक्षा मंदिर के भगवान मारुति का दर्शन करते थे। महाराष्ट्र में सीमोल्लंघन का महत्त्व है, उस दृष्टि से १९२६ में पहला पथ संचलन प्रारंभ हुआ था।

प्रारंभिक काल में संघ का विजयादशमी उत्सव मोहिते बाड़ा में ही होता था। लेकिन, जैसे-जैसे कार्य बढ़ा, शाखाओं की संख्या बढ़ी, यह उत्सव यशवंत स्टेडियम में होने लगा। उसके बाद यह उत्सव कस्तुरचंद पार्क में होने लगा। अनेक वर्षों तक यह उत्सव उसी जगह होता रहा। १९९५ से श्री विजयादशमी उत्सव रेशीमबाग में हो रहा है।

उन्होंने कहा कि हर वर्ष विजयादशमी में स्वयंसेवकों की उपस्थिति बढ़ती रहती है। गत वर्ष गणवेश में स्वयंसेवकों की उपस्थिति ७ हजार के आसपास थी। इस वर्ष उपस्थिति में तीन गुना वृद्धि होने की आशा है। उसके लिये शाखा स्तर पर प्रयास हो रहे हैं। शताब्दी वर्ष के कारण अनेक स्वयंसेवक सक्रिय हुए हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ में शस्त्रपूजन, उसके बाद प्रदक्षिणा संचलन, योग प्रात्यक्षिक, नियुद्ध और घोष प्रात्यक्षिक होंगे।

शताब्दी वर्ष में हम लोग गृह संपर्क करने जा रहे हैं। इस अभियान के तहत संघ के बारे में सीधी बात लोगों से की जाएगी। शताब्दी वर्ष मे संघ का विचार, संघ का कार्य लोगों तक ले जाने के लिए विविध कार्यक्रम का आयोजन होगा। बस्तीश: हिन्दू सम्मेलन होंगे।

उन्होंने बताया कि 26, 27, 28 अगस्त को दिल्ली में संवाद सत्र का आयोजन हुआ था। इसी क्रम में एक संवाद सत्र 7 और 8 नवंबर को बैंगलुरू में होगा, इसमें सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत संबोधित करेंगे। एक दिन का संवाद सत्र 21 दिसम्बर को कोलकता मे होगा। अगले वर्ष 7, 8 फरवरी को मुंबई में संवाद सत्र का आयोजन होगा। नागपुर में शिशु और बालों का श्री विजयादशमी उत्सव 28 सितंबर और 5 अक्तूबर को होगा। इस वर्ष मणिपुर में भी बड़े उत्साह से विजयादशमी उत्सव की तैयारी हो रही है और बड़ी संख्या में वहां के लोग भी उत्सव में भाग लेने वाले हैं।

श्री विजयादशमी उत्सव में देश विदेश से गणमान्य व्यक्ति सहभागी होंगे। उनमें लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता जी (पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, इंडियन आर्मी), कोयंबटूर के के. वी. कार्तिक जी और उनका परिवार (मैनेजिंग डायरेक्टर, डेक्कन इंडस्ट्रीज) और संजीव जी बजाज (चेयरमेन, मैनेजिंग डायरेक्टर, बजाज फिनसर्व पुणे) उपस्थित रहेंगे। इनके साथ ही घाना, दक्षिण आफ्रीका, इंडोनेशिया, थाईलैंड, यूके, यूएसए से भी विशिष्टजनों को निमंत्रित किया गया है।

27 सितंबर को भव्य पथ संचलन

इस बार पथ संचलन का आयोजन २७ सितम्बर २०२५ को होगा। पहली बार तीन स्थानों से पथ संचलन निकलेगा। तीनों पथ संचलन सायं 7.45 बजे सीताबर्डी स्थित वैरायटी चौक में एकत्रित आएंगे। यहीं पर महात्मा गांधीजी के पुतले के समीप सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत पथ संचलन का अवलोकन करेंगे। पहला संचलन कस्तुरचंद पार्क, दूसरा संचलन यशवंत स्टेडियम तथा तीसरा संचलन अमरावती मार्ग के हॉकी मैदान से प्रारंभ होगा।

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