Why Mahatma Gandhi Not Get Nobel Peace Prize 01/10/2023
Bharat

आखिर क्यों महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार से नहीं किया गया सम्मानित? 5 बार हुए थे नॉमिनेट

Sunil Shukla

Why Mahatma Gandhi Not Get Nobel Peace Prize: विश्व में अहिंसा के सबसे बड़े पुजारी, जिन्होंने भारत को 200 साल के अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराया। अंग्रेजो के खिलाफ उनके आंदोलन में कभी भी किसी तरह की हिंसा का जिक्र सामने नहीं आया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं दिया गया। शांति और अहिंसा में उनके महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद, उन्हें कभी भी नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया, जो कई सालों से बहस का विषय रहा है।

दरअसल, महात्मा गांधी को पांच बार (1937, 1938, 1939, 1947 और 1948 में उनकी हत्या से कुछ दिन पहले) नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। महात्मा गांधी को नोबेल न दिए जाने के प्राथमिक कारणों में बताया जाता है कि वे पुरस्कार के संभावित प्राप्तकर्ताओं के लिए नोबेल समिति की ओर से पहचानी गई पारंपरिक श्रेणियों में फिट नहीं बैठते थे।

समिति के लिए महात्मा गांधी का मूल्यांकन हो गया था मुश्किल

समिति के अनुसार, वे कोई राजनेता या अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रस्तावक नहीं थे, न ही वह मुख्य रूप से एक मानवीय राहत कार्यकर्ता या अंतरराष्ट्रीय शांति कांग्रेस के आयोजक थे। शांति और अहिंसा के प्रति महात्मा गांधी का दृष्टिकोण अद्वितीय और अभूतपूर्व था, जिससे समिति के लिए उनके योगदान का मूल्यांकन करना मुश्किल हो गया होगा था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1948 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेशन की आखिर तारीख से दो दिन पहले (30 जनवरी, 1948 को) महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई थी। उस समय नोबेल फाउंडेशन के क़ानून कुछ परिस्थितियों में मरणोपरांत पुरस्कार दिए जाते थे, लेकिन महात्मा गांधी किसी संगठन से नहीं थे और उन्होंने कोई वसीयत नहीं छोड़ी थी, जिससे यह स्पष्ट नहीं था कि पुरस्कार राशि किसे मिलेगी?

नॉर्वेजियन अर्थशास्त्री गुन्नार जाह्न ने अपनी डायरी में लिखा था कि नोबेल समिति ने महात्मा गांधी को मरणोपरांत पुरस्कार देने पर गंभीरता से विचार किया था। नोबेल समिति के बाद के सदस्यों की ओर से पुरस्कार विजेताओं की सूची से महात्मा गांधी को बाहर किए जाने के फैसले पर खेद भी व्यक्त किया जा चुका है। जब 1989 में दलाई लामा को शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, तब समिति के अध्यक्ष ने कहा था कि ये कुछ हद तक महात्मा गांधी की स्मृति में एक श्रद्धांजलि है।

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