Uttarkashi Tunnel Accident 29/11/2023
Bharat

Uttarkashi Tunnel Accident : बाबा बौखनाग की नाराजगी से हुआ था उत्तरकाशी हादसा, ऐसे रेस्क्यू ऑपरेशन में मिली सफलता

दावा है कि उत्तरकाशी सुरंग के पास पहले बाबा बौखनाग का एक प्राचीन था, जिसे निर्माण करने वाली कंपनी ने नष्ट कर दिया था। इससे बाबा बौखनाग नाखुश हो गए थे.

News Desk

Uttarkashi Tunnel : उत्तरकाशी सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हो गया है। इसके लिए 17 दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला। जब अंत में सारी मशीनें फेल हो गईं तो मैदान में रैट माइनर्स उतरे। उन्होंने अपने हाथों के औजारों से ही मलबे को हटा दिया और मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। अब बड़ा सवाल उठता है कि इस हादसे के पीछे क्या वजह रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि बाबा बौखनाग की नाराजगी से उत्तरकाशी हादसा हुआ है।

जानें क्यों नाखुश हुए बाबा बौखनाग

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दावा है कि उत्तरकाशी सुरंग के पास पहले बाबा बौखनाग का एक प्राचीन था, जिसे निर्माण करने वाली कंपनी ने नष्ट कर दिया था। इसकी वजह से बाबा बौखनाग नाखुश हो गए थे और फिर यह बड़ा हादसा हो गया। इसके बाद सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को भी निकालने में बार-बार अड़चनें आने लगीं। कभी रेस्क्यू ऑपरेशन में मशीनें खराब जातीं तो कभी पाइपलाइन के सामने पानी या पत्थर आ जाते। जब सारे प्रयास विफल हो गए तो निर्माण कंपनी के अधिकारियों ने बाबा बौखनाग से माफी मांगी और तब जाकर सफलता हासिल की।

हादसे के कुछ दिन फिर टनल के मुहाने पर बना मंदिर

उत्तरकाशी हादसे के कुछ दिन बाद फिर बाबा बौखनाग का मंदिर सुरंग के द्वार पर बनाया गया। जब रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आने लगीं तब स्थानीय लोगों ने फिर से करीब 12 दिनों के बाद 23 नवंबर को मंदिर की स्थापना की। इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में सफलता मिली। इसके बाद अगर कोई टीमें या एक्सपर्ट रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए आते थे तो वे पहले बाबा बौखनाग के मंदिर में जाकर आशीर्वाद लेते थे। उत्तराखण्ड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मंदिर में पूजा-अर्चना की थी और सफलता मिलने के बाद बाबा बौखनाग को धन्यवाद कहा। वहीं, विदेशी एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने भी बाबा बौखनाग की पूजा की थी।


जानें क्या है मान्यता

ऐसी मान्यता है कि बाबा बौखनाग के मंदिर पर महादेव की परछाई है। उत्तराखण्ड के नौगांव में बाबा बौखनाग का मंदिर है, जहां हर वर्ष मेला होता है। कहा जाता है कि अगर कोई नवविवाहित और निसंतान लोग सच्चे मन से इस मंदिर में बाबा बौखनाग की दर्शन करते हैं तो उनकी सारी इच्छाएं और मुरादें पूरी हो जाती हैं। बताया जाता है कि नाग के रूप में बाबा बौखनाग की उत्पत्ति हुई थी. उनका शुद्ध नाम वासुकीनाग है।

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