Reliance Capital resolution: NCLAT completes hearing, reserves order on lenders' plea 21/02/2023
Bharat

Reliance Capital resolution: एनसीएलएटी ने सुनवाई पूरी की, कर्जदाताओं की याचिका पर आदेश सुरक्षित

टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अपनी दलीलें पूरी कीं और कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत अधिकतम मूल्य हासिल करने का इरादा रहता है, लेकिन साथ ही संपत्ति के पुनरुद्धार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

Sunil Shukla

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मंगलवार को रिलायंस कैपिटल के ऋणदाताओं की याचिका पर सुनवाई पूरी की और अपना आदेश सुरक्षित रखा। याचिका में कर्ज में डूबी फर्म के लिए दूसरे दौर की वित्तीय बोली का अनुरोध किया गया है। कंपनी इस समय दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है। टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अपनी दलीलें पूरी कीं और कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत अधिकतम मूल्य हासिल करने का इरादा रहता है, लेकिन साथ ही संपत्ति के पुनरुद्धार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

रोहतगी ने तर्क दिया कि आईबीसी एक ऋण वसूली मंच नहीं है और ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) को उनकी व्यक्तिगत वसूली से परे देखना चाहिए। मुख्य ध्यान व्यवहार्यता पर होना चाहिए। ऋणदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा था कि आईबीसी का मकसद संपत्ति के मूल्य को अधिकतम करना है और सीओसी शर्तों पर बातचीत करने के लिए स्वतंत्र है एनसीएलएटी विस्ट्रा आईटीसीएल (भारत) की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस कैपिटल के ऋणदाताओं ने एनसीएलटी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें दिवालिया फर्म की आगे की नीलामी को रोक दिया गया है। एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण) की मुंबई पीठ ने दो फरवरी को कहा था कि वित्तीय बोलियों के लिए चुनौती व्यवस्था 21 दिसंबर, 2022 को खत्म हो गई है, जिसमें 8,640 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स की थी। रिलायंस कैपिटल पर करीब 40,000 करोड़ रुपये काकर्ज है।

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