dance with studies….what an idea sir ji 28/08/2023
Bharat

पढ़ाई के साथ डांस….व्हाट एन आइडिया सर जी

Sunil Shukla

“दिल ये बेचैन रे..रस्ते पे नैन रे, ताल से ताल मिला…।” ये गाना वैसे तो हम लोगों ने कई बार सुना होगा, लेकिन आज-कल इस गाने को एक नई पहचान मिल गई है। सोशल मीडिया से लेकर लोगों की जुबान तक बस यही गाना चढ़ा हुआ है। वजह है रायबरेली के ऊंचाहार ब्लॉक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक कौशलेश मिश्रा और उनके स्कूल के प्यारे बच्चे। जो इस गाने की ताल से ताल मिलाकर खूब धूम मचा रहे हैं।

कौशलेश मिश्रा का ये वीडियो सामने आने के बाद दैनिक भास्कर ने उनसे बात की। स्कूल में डांस क्लास और बच्चों की पढ़ाई से लेकर उनसे शिक्षा के क्षेत्र में उनके आगे के प्लान के बारे में बात की। कौशलेश ने हमें बताया, स्कूल में बच्चों की संख्या ज्यादा रहे, इसलिए अपने स्कूल में शनिवार को डांस की एक्स्ट्रा क्लास रखी है।

उन्होंने बताया कि इस क्लास के लिए पहले वह खुद डांस सीखते हैं। डांस करने से बच्चे फिट और स्वस्थ रहते हैं। उन्होंने हमसे और भी बातें कीं, लेकिन आगे बढ़ने से पहले एक नजर उनके वीडियो पर-

ताल से ताल मिला...” गाने पर डांस प्रैक्टिस कर रहे टीचर
इन दिनों सोशल मीडिया पर एक टीचर का डांस करते हुए वीडियो खूब वायरल हो रहा है। इसमें देखा जा सकता है टीचर छात्राओं के साथ स्कूल के आंगन में “ताल से ताल मिला...” गाने पर डांस प्रैक्टिस कर रहे हैं। वो बच्चियों को लाइन में लगाकर उनके साथ डांस कर रहे हैं। बच्चियां भी उनको फॉलो करके सेम स्टेप कर रही हैं।

इस वीडियो को लेकर जब हमने उनसे बात की, तो उन्होंने हमें बताया, ''ये वीडियो 15 अगस्त से पहले का है। मेरे स्कूल की छात्राओं ने 15 अगस्त को इस गाने पर डांस किया था। उसी की प्रैक्टिस का वीडियो है।''

कौशलेश मिश्रा ने हमें बताया, ''मैं इस स्कूल में साल 2020 से हूं। साल 2018 में बीटीसी करने के बाद मेरी सरकारी नौकरी लग गई। मैं मध्यप्रदेश के इंदौर का रहने वाला हूं। नौकरी के लिए मां के साथ रायबरेली के ऊंचाहार में शिफ्ट हो गया। इंदौर में एक भाई और उसका परिवार रहता है। मेरे पापा नहीं हैं।

जब मैं पहली बार अपने स्कूल में बच्चों को पढ़ाने गया, तो बहुत एक्साइटेड था। लेकिन जब स्कूल पहुंचा, तो मेरे सारे सपने टूट गए। क्लास में पढ़ाने के लिए बच्चे ही नहीं थे। मैं भारी मन से जाकर एक खाली क्लास में बैठ गया। रजिस्टर पर अपनी अटेंडेंस लगाई।''

मेरी मां ने ही स्कूल में बच्चों को लाने का आइडिया मुझे दिया"
''रजिस्टर में बच्चों का एडमिशन हो रखा था, लेकिन स्कूल कोई नहीं आता था। खैर, पहले दिन स्कूल की ड्यूटी पूरी होने पर मैं घर वापस आ गया। वहां मां ने स्कूल में पहले दिन के बारे में पूछा, तो उनकी सारी बात बताई। इसके बाद मेरी मां ने ही स्कूल में बच्चों को लाने का आइडिया मुझे दिया।''

''मां ने मुझसे कहा, कुछ ऐसा करो जो बच्चे स्कूल आने को मजबूर हो जाएं। उनका मन स्कूल में सबसे ज्यादा लगे। वो पढ़ाई भी मस्ती के साथ करें। इसके बाद मैंने कई सारे प्लान अपने दिमाग में तैयार किए और दूसरे दिन से ही उस पर काम करने लगा। जब मैं दूसरे दिन अपने स्कूल गया, तो अपने स्टाफ के लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूल लाने का प्लान बताया।'

घर-घर जाकर बच्चों के नाम एक रजिस्टर में लिखे"
''हम लोगों ने सबसे पहले गांव में एक जागरूकता रैली निकाली। हाथ में पढ़ाई से जुड़े कोट लेकर हम लोग गांव में घूमे। घर-घर जाकर बच्चों के नाम एक रजिस्टर में लिखे। उनसे पूछा कि वो स्कूल क्यों नहीं आते? मां-पापा को समझाया, उनको बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। उनको पढ़ाई के फायदे बताए।

बच्चों को भी स्कूल के वीडियो फोन पर दिखाए। उनसे कहा, आप लोग भी ये सब कर सकते हो, अगर स्कूल आओगे। ऐसा हम लोगों ने 3-4 दिन तक किया।''

हफ्ते भर में हमें स्कूल के अंदर बड़ा बदलाव दिखा"
''
उसके बाद मुश्किल से हफ्ते भर के अंदर हमें स्कूल के अंदर बड़ा बदलाव दिखा। क्लास में बच्चों की संख्या बढ़ने लगी। बच्चे सुबह टाइम पर स्कूल पहुंच जाते। लेकिन अब दिक्कत ये आई कि न ही उनके पास ड्रेस थी, न बैग और न ही कॉपी-किताबें। पढ़ाई कराएं, तो कराएं कैसे? इन बच्चों को सरकार की ओर से मिलने वाली 1200 रुपए की राशि मिल चुकी थी, लेकिन उससे खाद और घर का सामान आ गया था।''

"जो सक्षम नहीं थे, उनके लिए हम लोगों ने सामान खरीदा"
''
अब दिक्कते ये आई कि परिवार के लोगों से बच्चों के लिए पैसे मांगे तो मांगे कैसे? लेकिन फिर भी हम लोग लगभग हर बच्चे के घर गए। वहां परिवार से उनको मिलने वाले पैसों के बारे में पूछा। उनसे कहा, आप लोग अपने बच्चे को पढ़ाई से जुड़ा सारा सामान दिला दें। जिससे वो लोग पढ़ाई कर सकें। जो परिवार सक्षम थे, उन लोगों ने तो अपने बच्चों को सामान दिला दिया। जो सक्षम नहीं थे, उनके लिए हम लोगों ने सामान खरीद लिया।''

'बच्चों के स्कूल आने के बाद, अब बारी थी स्कूल की। हम लोगों ने बच्चों के लिए क्लास को सजाया। उसमें पढ़ाई से जुड़ी चीजें लगाई। इसके अलावा एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटी के लिए नंबर और अल्फाबेट वाले खिलौने लिए। इसके साथ बच्चों को शेप की जानकारी देने के लिए वो भी खरीदे। हम लोग स्कूल में बच्चों को इन्हीं चीजों का यूज करके नंबर, टेबल और ABCD याद कराते हैं।''

The mainstream media establishment doesn’t want us to survive, but you can help us continue running the show by making a voluntary contribution. Please pay an amount you are comfortable with; an amount you believe is the fair price for the content you have consumed to date.

happy to Help 9920654232@upi 

Mumbai: National Medical Commission Reverses Decision to Discontinue CPS Courses After High Court Intervention

Navi Mumbai: Terna Medical College Under Scrutiny for Charging Excessive Deposit Fees

HUGE Mall Dream Bazaar looted by Pakistan locals immediately after Grand Inauguration.

Beware: Delhi Dating App Scams Now Spreading to Mumbai

Global Outcry Over RG Kar Hospital Rape and Murder Case