BJP can achieve historic feat if JDS is arrested in Karnataka 07/04/2023
Bharat

कर्नाटक में अगर JDS हुई कमज़ोर, तो BJP हासिल कर सकती है ऐतिहासिक उपलब्धि

Sunil Shukla

बेंगलुरू: 

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान तत्कालीन सिद्धारमैया-नीत कांग्रेस पार्टी सत्ता गंवा बैठी थी, लेकिन वोट शेयर के मामले में उसका प्रदर्शन 'ऐतिहासिक' रहा था, और लगभग चार दशक में यह पहला मौका था, जब सत्तासीन राजनैतिक दल का वोट शेयर बढ़ा था. वर्ष 2013 के 36.59 फीसदी की तुलना में वर्ष 2018 में कांग्रेस ने 38.14 फीसदी वोट हासिल किए थे. हालांकि जीती हुई सीटों के मामले में कांग्रेस को करारा नुकसान झेलना पड़ा था - 2013 में जीती 122 सीटों के मुकाबले 2018 में पार्टी ने सिर्फ 80 सीटें जीती थीं. इस नतीजे से साफ हो गया था कि इस सूबे में वोट शेयर के सीट के रूप में तब्दील होने का गणित कितना जटिल है, और इससे कांग्रेस के लिए बेहद विकट स्थिति पैदा हो गई.

उत्तरी तथा मध्य कर्नाटक में JDS का वोट शेयर बढ़ने से BJP के मुकाबले कांग्रेस को ज़्यादा नुकसान हुआ...

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान तत्कालीन सिद्धारमैया-नीत कांग्रेस पार्टी सत्ता गंवा बैठी थी, लेकिन वोट शेयर के मामले में उसका प्रदर्शन 'ऐतिहासिक' रहा था, और लगभग चार दशक में यह पहला मौका था, जब सत्तासीन राजनैतिक दल का वोट शेयर बढ़ा था. वर्ष 2013 के 36.59 फीसदी की तुलना में वर्ष 2018 में कांग्रेस ने 38.14 फीसदी वोट हासिल किए थे. हालांकि जीती हुई सीटों के मामले में कांग्रेस को करारा नुकसान झेलना पड़ा था - 2013 में जीती 122 सीटों के मुकाबले 2018 में पार्टी ने सिर्फ 80 सीटें जीती थीं. इस नतीजे से साफ हो गया था कि इस सूबे में वोट शेयर के सीट के रूप में तब्दील होने का गणित कितना जटिल है, और इससे कांग्रेस के लिए बेहद विकट स्थिति पैदा हो गई.

विधानसभा चुनाव 2023 में स्पष्ट बहुमत हासिल करने के लिए कांग्रेस को न सिर्फ अपना वोट शेयर बढ़ाना होगा, बल्कि उन्हें जनता दल सेक्युलर (JDS) के भी कुछ सीटों पर कमज़ोर होने और कुछ सीटों पर मज़बूत होने की दुआ करनी होगी. इस जटिल-सी उम्मीद को साफ-साफ समझाना आसान नहीं है, लेकिन पिछले आंकड़े कतई ऐसा ही बताते हैं.

कर्नाटक में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टी JDS के बीच मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है, लेकिन वोट शेयर के आंकड़ों का बारीक विश्लेषण बताता है कि 224-सदस्यीय विधानसभा की ज़्यादातर सीटों पर या तो BJP और कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा, या कांग्रेस और JDS के बीच मुकाबला होगा. कुछ सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय भी हो सकता है, लेकिन ऐसी सीटें बेहद कम हैं, जहां मुकाबला BJP और JDS के बीच हो.

*किसी पार्टी को किसी निर्वाचन क्षेत्र में अहम तब माना जाता है, जब उसके प्रत्याशी को 20 फीसदी से ज़्यादा वोट हासिल हों... वर्ष 2018 के लिए JDS और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के वोटों को जोड़ा गया है, क्योंकि उनके बीच चुनाव-पूर्व गठबंधन हुआ था... वर्ष 2013 के लिए BJP का वोट शेयर KJP और BSRCP के अलग-अलग गुटों के साथ जोड़ा गया है... BQ-Prime के विश्लेषण में केवल वर्ष 2008 के बाद के चुनावों का विश्लेषण किया गया है, जब परिसीमन हुआ था और नए निर्वाचन क्षेत्र तय किए गए थे...

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