Bambai Meri Jaan Review 14/09/2023
Entertainment

Bambai Meri Jaan Review: नई बोतल में पुरानी शराब, हां… इस बार दाऊद की कहानी ज्यादा रियलिस्टिक, ज्यादा खौफनाक

Bambai Meri Jaan Review: ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो पर 'बंबई मेरी जान' वेब सीरीज ने दस्तक दे दी है। यहां पढ़ें सीरीज का रिव्यू

Sunil Shukla

अश्विनी कुमार: Bambai Meri Jaan Review: इन दिनों ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो पर ‘बंबई मेरी जान’ वेब सीरीज ने दस्तक दे दी है। मुंबई अंडरवर्ल्ड से जुड़ी कई कहानियों को पहले भी दिखाया और सुनाया गया है।

एक बार फिर से इसी क्रम में ‘बंबई मेरी जान’ वेब सीरीज को ओटीटी पर लाया गया है। अब इस सीरीज में ऐसा क्या है, जो पहले नहीं देखा गया या ऐसा क्या है, जिसकी वजह से इसे देखा जाना चाहिए?

सीरीज के हैं 10 एपिसोड

इस सवाल का जवाब इसके 10 एपिसोड की कहानी में छिपा है, जो 1990 में मुंबई में पुलिस ऑफिसर इस्माइल कादरी के अंडरवर्ल्ड के खिलाफ खड़े होने से शुरु होता है। साल 1986 में दारा कादरी के मुंबई से दुबई शिफ्ट होने तक चलता है।

हुसैन जैदी की किताब डोगरी टू मुंबई पर बेस्ड मुंबई अंडरवर्ल्ड की कहानी

बंबई मेरी जान की सबसे खास बात ये है कि ये फिल्मों की तरह डॉन को हीरो बनाने के लिए ज्यादा सिनेमैटिक लिबर्टी नहीं लेता। बस किरदारों के नाम बदलता है। हुसैन जैदी की किताब डोगरी टू मुंबई पर बेस्ड मुंबई अंडरवर्ल्ड की इस कहानी में हाजी मस्तान, हाजी इकबाल कहलाता है। करीम लाला- अजीम पठान हो जाता है। वरदराजन मुदलियार- अन्ना मुदलियार के नाम से जाना जाता है। दाऊद को दारा कादरी और हसीना को हबीबा का नाम मिल जाता है। मान्या सुर्वे को सीरीज में गन्या सुर्वे कहा गया है, जो थोड़ा अजीब तो लगता है।

दारा के बचपन से शुरु होती कहानी

कहानी दारा के बचपन से शुरु होती है, जो एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर इस्माइल कादरी का दूसरे नंबर का बेटा है। दारा अक्लमंद है लेकिन उसकी अक्ल अपने अब्बू की फितरत के ठीक उलट चलती है। कहानी वही है जो आपने पढ़ी है, सुनी है… और जरा-जरा से हिस्सों में कई फिल्मों में देखी है। बंबई मेरी जान, उन कई फिल्मों के जरा-जरा से सच को एक साथ पहली बार स्क्रौफन पर दिखाता है।

थोड़ा ब्रेक लेने पर मजबूर करेगी सीरीज

सवाल ये है कि कैसा दिखाता है, जो जवाब है बहुत ज्यादा रियलिस्टिक…. कहीं-कहीं तो बहुत ज्यादा खौफनाक। दारा के दोस्त की शादी के तुरंत बाद, पठान के भांजों का उन पर हमला और उनकी वहशियत आपको एक बार सीरीज पर PAUSE का बटन दबाकर, थोड़ा ब्रेक लेने पर मजबूर कर देती है। फिर जब दारा, उन दोनों से बदला अपने दोस्त और भाभी का बदला लेता है, तो ये भी ज्यादा खतरनाक है।

दारा का भाई एक प्रॉस्टीट्यूट के साथ

कुछ लम्हे तो आपको झकझोर देते हैं, जब दारा और परी होटल के एक कमरे में साथ आते हैं और दूसरी ओर दारा का भाई एक प्रॉस्टीट्यूट के साथ होता है। इन दोनों सीन्स को दोनों की डी-कंपनी में हैसियत और उनके जेहनी हालात को दिखाते हैं। हांलाकि बंबई मेरी जान में कई बार लगता है कि कहानी के दारा और असल के दाऊद के जुर्मों को उसके और उसके परिवार के साथ हुए हादसे से जस्टीफाई किया जा रहा है, लेकिन फिर दारा के अब्बू इस्माइल कादरी, जो किरदार के.के.मेनन निभा रहे हैं, उनकी नाउम्मीदी वाले नरेशन से इस कमी को दूर भी करने की थोड़ी कमजोर कोशिश भी की गई है।

मुंबई की सल्तनत पर बैठने का सीन कमाल है

इस सीरीज को जरूरत से ज्यादा लंबा खींचा गया है। गालियों पर कोई खास ऐतराज नहीं है, क्योंकि अंडरवर्ल्ड सीरीज में आप इसकी उम्मीद भी नहीं कर सकते, लेकिन कहानी बीच-बीच में जरूरत से ज़्यादा खिंचती है। हां, क्लाइमेक्स के दो एपिसोड की स्पीड और हबीबा का मुंबई की सल्तनत पर बैठने का सीन कमाल है।

के.के. मेनन सीरीज की मजबूत कड़ी

बंबई मेरी जान में दारा कादरी के किरदार में अविनाश तिवारी ने अपने किरदार में रहने की पूरी कोशिश की है। हां उनका कंपैरिजन अब तक दाऊद का किरदार निभा चुके कलाकारों के साथ होगा, लेकिन यकीन मानिए अविनाश हल्के नहीं पड़ेंगे। इस्माइल कादरी के किरदार में के.के. मेनन इस सीरीज की मजबूत कड़ी है। हाजी मकबूल बने सौरभ सचदेवा ने मस्तान के किरदार को बहुत करीन से पकड़ा है।

सीरीज को 3.5 स्टार

गन्या सुर्वे बने सुमित व्यास इस सीरीज की सबसे कमजोर कड़ी हैं। आप हैरान होते हैं कृतिका कामरा को हबीबा बने देख, उनकी बॉडी लैग्वेंज और एक्सप्रेशन्स शानदार हैं। दारा की मां के किरदार में निवेदिता भट्टाचार्या का काम भी बेहद शानदार है। बीवी और मां के बीच की खींच-तान को उन्होंने बखूबी दिखाया है। बंबई मेरी जान अंडरवर्ल्ड पर बनी फिल्मों और वेब सीरीज के रिकॉर्ड रूम में सबसे रियलिस्टिक दस्तावेज है। इस सीरीज को 3.5 स्टार।

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