रीवा में एक परिवार के 5 लोगो को है अजीबो-गरीब बीमारी;दिन व दिन सिकुड़ रहा है शरीर

मध्यप्रदेश के रीवा में एक ही परिवार के पांच लोगो को है अनोखी बीमारी| परिवार में तीन भाई, माता-पिता और बहन हैं| तीन भाई,बहिन और पिता के शरीर की मांशपेशियां सिकुड़ रहीं हैं| जानकारी के मुताबिक इस बीमारी का नाम मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बताया जा रहा है| इस बीमारी का इलाज देश में उपलब्ध नहीं है|
Photo Credit:DainikBhaskar
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सबसे पहले इस बीमारी के लक्षण इस परिवार के बच्चों में दिखे थे| जिसके बाद 2006 में उनके नाना उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल ले गए थे| जहाँ बच्चो के टेस्ट के बाद रिपोर्ट्स को अमेरटिका भेजा गया था| रिपोर्ट की जांच होने के बाद पता चला की इस बीमारी का इलाज केवल जर्मनी और यूके में ही संभव है | शुरुआती जांच के मुताबिक यह बीमारी जन्म के दस साल बाद शुरू हुई है|

आइए जानते हैं,क्या है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ?

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारियों का एक समूह है जो प्रगतिशील कमजोरी और मांसपेशियों के नुकसान का कारण बनता है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में, असामान्य जीन (म्यूटेशन) स्वस्थ मांसपेशियों के निर्माण के लिए आवश्यक प्रोटीन के उत्पादन में बाधा डालते हैं।मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कई प्रकार की होती है। सबसे आम किस्म के लक्षण बचपन में शुरू होते हैं, ज्यादातर लड़कों में। अन्य प्रकार वयस्कता तक सतह पर नहीं आते हैं।मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का कोई इलाज नहीं है। लेकिन दवाएं और उपचार लक्षणों को प्रबंधित करने और रोग के बढ़ने की गति धीमा करने में मदद कर सकते हैं|

क्यों इस डिस्ट्रॉफी में इंसान का शरीर धीरे-धीरे कंकाल की तरह दिखने लगता है?

इस बीमारी के होने पर मांसपेशियों की कोशिकाओं में डाइस्ट्रोफिन (Dystrophin) नामक एक प्रोटीन का उत्पादन होना कम होने लगता है या उसका उत्पादन पूरी तरह से बंद भी हो सकता है।इसकी वजह से मांसपेशियां धीरे-धीरे खत्म होना शुरू हो जाती हैं और लंबे तक इसकी स्थिति के कारण वो पूरी से खराब भी हो सकती है। यानी अगर शरीर के किसी हिस्से का मांसपेशियों को यह बीमारी प्रभावित करती हैं और समय रहते उसका उपचार न किया जाए, तो वह प्रभावित हिस्सा पूरा से खराब हो सकता है।

क्या हैं इस बीमारी के शुरूआती लक्षण?

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण 6 वर्ष की उम्र से पहले नहीं दिखाई देते| इसी वजह से जन्म के शुरुआती वर्षों में इसकी पहचान नहीं हो पाती है। इसके लक्षण हैं-

थकान होना।सीखने की कठिनाई होना, बच्चे का IQ लेवल 75 से कम हो सकती है।बच्चे में बौद्धिक अक्षमता होना, जैसे- बार-बार प्रयास करने पर बच्चा कुछ नया सीखने व करने में असमर्थ हो।मांसपेशी में कमजोरी होना, खासतौर पर पैर, बाजुओं व गर्दन में।मोटर कौशल के साथ समस्याएं होना, जैसे – बच्चे को दौड़ने, कूदने या किसी भी शारीरिक गतिविधि को करने में परेशानी होना।बार-बार गिरना।लेटने, उठने या चलने-फिरने में परेशानी होना।

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