
रायपुर: लोक निर्माण विभाग (PWD) में भ्रष्टाचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक के बाद एक नए घोटाले सामने आ रहे हैं, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। पहले, मोवा ओवरब्रिज के डामरीकरण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण पांच अभियंताओं को निलंबित किया गया था। इसके अलावा, बस्तर संभाग में सड़क निर्माण में भारी घोटाला सामने आया था, जिसमें अभियंताओं पर FIR दर्ज की गई थी। इस घोटाले से जुड़े पत्रकार की हत्या ने भी पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया था।
अब, एक और बड़ा भ्रष्टाचार मामला उजागर हुआ है, जिसमें रायपुर में दशकों से जमे PWD अभियंताओं द्वारा महत्वपूर्ण सड़क निर्माण परियोजनाओं में घोटाला किया गया है। यह मामला प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा था, जिससे शासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
नवीनतम मामला रायपुर के जोरा-धनेली मार्ग सहित कई महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण से जुड़ा है, जिसकी कुल लागत ₹22 करोड़ से अधिक है। इस परियोजना में घटिया डामरीकरण किए जाने की शिकायतें सामने आई हैं। निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है।
इस मामले को लेकर मुख्य अभियंता ने कड़ी कार्रवाई करते हुए कार्यपालन अभियंता अभिनव श्रीवास्तव, SDO जेके साहू, और सब-इंजीनियर अंशुमान को फटकार लगाई है और नोटिस जारी किया है। यह तीनों अभियंता पिछले 18 वर्षों से रायपुर में पदस्थ हैं। साथ ही, इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश भी की गई है।
हालांकि, अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि कार्यपालन अभियंता अभिनव श्रीवास्तव के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं होगी। ऐसा माना जा रहा है कि उनकी ऊंचे पदों पर बैठे प्रभावशाली लोगों से नजदीकी संबंध हैं, जिससे वह खुद को हर बार बचा लेते हैं। विभाग में पहले भी कई भ्रष्टाचार के मामले सामने आए, लेकिन प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
पूर्व में भी कई ऐसे मामले आए, जिनमें भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी, लेकिन सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता के चलते सभी मामले ठंडे बस्ते में डाल दिए गए। उदाहरण के लिए, रायपुर में एक उच्च-सुरक्षा जेल की दीवार निर्माण में भी भ्रष्टाचार की खबरें आई थीं, लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया।
PWD में भ्रष्टाचार का यह कोई पहला मामला नहीं है। पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें अभियंताओं को निलंबित किया गया, लेकिन अंततः किसी पर भी ठोस कानूनी कार्यवाही नहीं हुई। भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न होने से विभाग में भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति और बढ़ती जा रही है, जिससे सरकारी धन की बड़े पैमाने पर लूट हो रही है और बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस बार सख्त कदम उठाएगा, या यह मामला भी पहले की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? आम जनता और सामाजिक संगठनों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। लेकिन क्या सरकार इस पर ठोस कदम उठाएगी, यह देखने वाली बात होगी।
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