महाकाल लोक' राष्ट्र को समर्पित:PM मोदी ने कहा, भला ऐसे कैसे हो सकता है कि महाकाल बुलाएं और ये बेटा न आए

जय महाकाल.. ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जब उज्जैन में ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के नए परिसर 'महाकाल लोक' का लोकार्पण किया, तो चारों ओर इसी जयघोष की गूंज सुनाई दी
महाकाल लोक' राष्ट्र को समर्पित:PM मोदी ने कहा, भला ऐसे कैसे हो सकता है कि महाकाल बुलाएं और ये बेटा न आए
महाकाल लोक

वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रक्षा सूत्र (कलावे) से बनाए गए 15 फीट ऊंचे शिवलिंग की प्रतिकृति से मोदी ने रिमोट के जरिए जैसे ही आवरण हटाया, अध्यात्म का यह नया आंगन सभी के लिए खुल गया।

लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, महाकाल महादेव, महाकाल महाप्रभु, महाकाल महारुद्र, महाकाल नमोस्तुते। उज्जैन की यह ऊर्जा, यह उत्साह, अवंतिका की यह आभा, यह अद्भुतता, यह आनंद, महाकाल की यह महिमा, महाकाल लोक में लौकिक कुछ भी नहीं। शंकर के सान्निध्य में साधारण कुछ भी नहीं। सब कुछ अलौकिक है। असाधारण है। अविस्मरणीय है। महाकाल का आशीर्वाद जब मिलता है, तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं। हमारे ज्योतिर्लिंगों का विकास भारतीय संस्कृति का विकास है। भला ऐसे कैसे हो सकता है कि महाकाल बुलाएं और ये बेटा न आए।

प्रधानमंत्री ने 29 मिनट तक सभा को संबोधित किया। उनका भाषण 8 बजे महाकाल के जयघोष के साथ शुरू होकर 8.29 पर महाकाल के जयघोष के साथ ही खत्म हुआ।

इससे पहले मोदी ने महाकाल के दर्शन किए और साष्टांग मत्था टेका। महाकाल को चंदन, मोगरे और गुलाब की माला अर्पित कर जनेऊ चढ़ाया। सूखे मेवे और फल का भोग लगाया। दक्षिणा अर्पित की। वे संध्या आरती में भी शामिल हुए। महाकाल के दक्षिण दिशा में बैठकर रुद्राक्ष की माला से 3 मिनट तक जप करते हुए ध्यान लगाया। 30 मिनट तक ई-व्हीकल से 'महाकाल लोक' का अवलोकन किया।

'महाकाल लोक' प्रोजेक्ट दो फेज में 856 करोड़ रुपए की लागत से डेवलप किया जा रहा है। इसके जरिए 2.8 हेक्टेयर में फैला महाकाल परिसर 47 हेक्टेयर का हो जाएगा। इसमें 946 मीटर लंबा कॉरिडोर है, जहां से श्रद्धालु गर्भगृह पहुंचेंगे।

पीएम के भाषण की प्रमुख बातें...

  • आज जब हम उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक अपने प्राचीन मंदिरों को देखते हैं तो उनकी विशालता, उनका वास्तु हमें आश्चर्य से भर देता है।

  • आजादी के बाद पहली बार चार धाम प्रोजेक्ट के जरिए हमारे चारों धाम ऑल वेदर रोड से जुड़ने जा रहे हैं। इतना ही नहीं आजादी के बाद पहली बार करतारपुर साहिब कॉरिडोर खुला है। आज अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में श्री विश्वनाथ जी धाम भारत की सांस्कृतिक राजधानी का गौरव बढ़ा रहा है। श्री सोमनाथ जी में विकास के कार्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।

  • उज्जैन में कालचक्र के 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग, 4 महावीर, 6 विनायक, 8 भैरव, अष्ट मातृकाएं, 9 ग्रह, 10 विष्णु, 11 रूद्र, 12 आदित्य, 24 देवियां और 88 तीर्थ हैं। इन सब के केंद्र में कालाधिराज श्री महाकाल विराजमान हैं।

  • हमारे पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को हमारे ऋषियों ने प्रतीक स्वरूप में उज्जैन में स्थापित किया था, इसलिए उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का, ज्ञान और गरिमा का, सभ्यता और साहित्य का नेतृत्व किया।

  • उज्जैन वह नगर है, जो हमारी पवित्र सात पुरियों में से एक गिना जाता है। यह वह नगर है, जहां स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने आकर शिक्षा ग्रहण की थी। उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का वह प्रताप देखा है, जिसने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी।

  • उज्जैन के क्षण-क्षण और पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है। कण-कण में अध्यात्म समाया हुआ है। संपूर्ण ब्रह्मांड की ऊर्जा को हमारे ऋषियों ने प्रतीक स्वरूप में उज्जैन में समाहित किया है।

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