जब एक बच्ची को बचाने के लिए साथ आए Nirmala Sitharaman और Shashi Tharoor
थरूर ने सीतारमण से अनुरोध तब किया जब एक दंपति ने उन्हें बताया किया कि वे अपनी बेटी की कैंसर की दवा पर 7 लाख रुपये का GST शुल्क वहन नहीं कर सकते। तिरुवनंतपुरम के सांसद ने 15 मार्च को सीतारमण को पत्र लिखकर मानवीय आधार पर युगल के लिए जीएसटी छूट का अनुरोध किया।
उन्होंने अपने द्वारा भेजे गए पत्र की तस्वीरें भी साझा कीं और उन त्वरित कार्रवाइयों का विवरण भी साझा किया, जिनसे रोगी को समय पर दवा प्राप्त करने में मदद मिली।
बच्ची ने उपचार के कुछ पार्ट्स को पूरा कर लिया है। बच्ची को इम्यूनोथेरेपी उपचार की आवश्यकता है और विशेष रूप से एक महंगी दवा दिनुतुक्सिमाब बीटा (Qarziba) का इस्तेमाल होता है, जिसे वर्तमान में प्रति शीशी 10 लाख रुपये की कीमत पर आयात किया जाता है।
थरूर ने इम्यूनोथेरेपी के एक पूर्ण इलाज की लागत लगभग ₹63 लाख होने का अनुमान लगाया। जबकि दंपति ने क्राउडफंडिंग और दान के माध्यम से अधिकांश धन जुटाया था, आयातित दवाओं पर जीएसटी ने ₹7 लाख का एक महत्वपूर्ण बोझ था।
वित्त मंत्री से मिली नहीं थी कोई प्रतिक्रिया
थरूर का अनुरोध मामले की वास्तविक मानवीय प्रकृति और इस तथ्य के आधार पर किया गया था कि इस उपचार के माध्यम से एक छोटी बच्ची की जान बचाई जा सकती है। हालांकि, शुरुआत में उन्हें वित्त मंत्री के कार्यालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। दंपति ने बाद में 26 मार्च को फिर से थरूर से संपर्क किया, यह बताते हुए कि जीएसटी का भुगतान न करने के कारण सीमा शुल्क निकासी के लिए दवा मुंबई हवाई अड्डे पर अटकी हुई है।
इसके बाद थरूर ने सीधे मंत्री से संपर्क किया और उन्हें सूचित किया कि इंजेक्शन खराब हो सकता है और जल्द ही समाप्त हो जाएगा, जिसका अर्थ है कि बच्ची की जान केवल सीतारमण के तत्काल हस्तक्षेप से ही बचाई जा सकती है। फिर वित्त मंत्री के निजी सचिव सरन्या भूटिया ने आधे घंटे के भीतर थरूर को सूचित किया कि उन्होंने अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष से बात की है। अध्यक्ष विवेक जौहरी ने तब थरूर से अगले 10 मिनट के भीतर अतिरिक्त दस्तावेज मांगे। छूट 28 मार्च को शाम 7 बजे तक दी गई थी।
थरूर का धन्यवाद
थरूर ने कहा, ‘जब भी मुझे अपने जीवन का इतना अधिक समय राजनीति में बिताने के बारे में संदेह होता है, तो कुछ ऐसा होता है और यह सब सार्थक हो जाता है। धन्यवाद निर्मला-जी, धन्यवाद सरन्या और धन्यवाद, विवेक। आपने सरकार, राजनीति और सबसे बढ़कर मानवता में मेरे विश्वास की फिर से पुष्टि की है। जय हिन्द।’
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