नीतीश-तेजस्वी के कार्यकर्ताओं के साथ महामंथन के मायने समझिए:मोदी से मुलाकात के बाद क्या नीतीश कुमार फिर कुछ बड़ा करने वाले हैं

बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपने जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ दो दिनों तक बैठक की। आरजेडी की बैठक 10 और 11 सितंबर को हुई तो जेडीयू की बैठक सीएम हाउस में 11 और 12 सितंबर को हुई।
Understand the meaning of Mahamanthan with Nitish-Tejashwi workers
Understand the meaning of Mahamanthan with Nitish-Tejashwi workers14/09/2023

सीएम नीतीश कुमार ने पार्टी के जिला अध्यक्षों, प्रखंड अध्यक्षों, प्रमंडल प्रभारियों समेत लगभग 850 नेताओं से 8 घंटे गहन चर्चा की। बैठक से पहले जेडीयू के किसी भी नेता को एजेंडे की जानकारी नहीं दी गई थी। सभी के मोबाइल बाहर रखवा लिए गए थे।

बैठक के बाद सभी नेता एक तरह के जवाब भी दे रहे थे। हम 2024 लोकसभा चुनाव के लिए तैयार हैं। सीएम ने कार्यकर्ताओं की ओर से किए जा रहे कार्यों की सराहना की है।

जेडीयू की बैठक से राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का नदारद रहना। जेडीयू के साथ आरजेडी की बैठक का होना। इसके बाद सियासी गलियारों में अफवाहों का बाजार गर्म है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार फिर से कुछ बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं?

आखिर क्यों नीतीश कुमार को दो दिनों का महामंथन करना पड़ा? इससे पहले कब उन्होंने इतनी बड़ी बैठक की थी ? हमने एक्सपर्ट की मदद से हमने इन सवालों के जवाब को टटोलने के साथ बैठक के मायने को भी समझने की कोशिश है। पढ़िए दैनिक भास्कर की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट…

आगे बढ़ने से पहले इन दो तस्वीरों को देखिए। ये तस्वीर G-20 मीटिंग में शामिल राष्ट्राध्यक्षों के लिए राष्ट्रपति की ओर से आयोजित रात्रिभोज की है।

इस तस्वीर में सीएम नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी एक-दूसरे के काफी क्लोज लग रहे हैं। इस तस्वीर के जारी होने के बाद से सियासी गलियारों में अफवाहों का बाजार गर्म हो गया।

अब चार सवालों में समझिए नीतीश कुमार की मीटिंग के मायने...

1. क्या नीतीश कुमार एक बार फिर से पाला बदल सकते हैं?

पहले विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की तरफ से नीतीश कुमार को कन्विनर नहीं बनाना। इसके बाद डेढ़ साल बाद उस कार्यक्रम (G-20 राष्ट्राध्यक्षों के लिए राष्ट्रपति की ओर से आयोजित रात्रिभोज) में शामिल होना, जिसमें पीएम मोदी उपस्थित थे। इसके बाद अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक।

इन सब ने उन अफवाहों को हवा दे दी। क्या नीतीश कुमार एक बार फिर से पाला बदल सकते हैं? पॉलिटिकल एक्सपर्ट इन अफवाहों को सिरे से खारिज करते हैं। एक्सपर्ट की माने तो अगर नीतीश कुमार को पाला बदलना होगा तो इसके लिए उन्हें कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने की जरूरत नहीं है।

वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि नीतीश कुमार G-20 के जिस भोज में गए थे, वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से आयोजित नहीं किया गया था। ये राष्ट्रपति की तरफ से आयोजित किया गया भोज था।

नीतीश कुमार के विजन को भी समझना होगा। वे इस बात को क्लियर समझते हैं कि कहां जाना है और कहां नहीं जाना है। 4 घंटे तक इस भोज में वे कई लोगों से मिले।

2. संगठन की बैठक से राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह नदारद थे, क्या ललन सिंह नाराज चल रहे हैं?

पार्टी के कई नेता इस बात को कह चुके हैं कि ललन सिंह बीमार चल रहे हैं। यही कारण है कि ने पार्टी की बैठक में शामिल नहीं हुए और नहीं I.N.D.I.A गठबंधन के को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में शामिल हुए।

एक्सपर्ट कहते हैं कि ललन सिंह की नाराजगी का कोई कारण नहीं दिखाई पड़ रहा है। ललन सिंह नीतीश कुमार के हनुमान हैं। इस बात को समझना होगा।

3. नीतीश कुमार ने आखिरी बार जिलाध्यक्षों और प्रखंड अध्यक्षों के साथ बैठक कब की थी?

वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडेय कहते हैं कि नीतीश इस तरह की बैठक के लिए नहीं जाने जाते हैं। यह एक तरह का अनयूजुअल बैठक था। लेकिन पार्टी की तरफ से इस तरह की बैठक हर 5 साल में एक बार हुआ करती थी।

रवि उपाध्याय कहते हैं कि वशिष्ठ नारायण सिंह जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे तो वे अक्सर सांगठनिक बैठक करते थे। ये बैठक पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित होती थी, जिसमें सीएम नीतीश कुमार भी शामिल होते थे। पिछले कुछ वर्षों से इस पर ब्रेक लगी थी।

4. जेडीयू और आरजेडी दोनों की बैठक लगभग साथ हुई? इसके क्या मायने निकाले जाएं

अरुण पांडेय कहते हैं कि दोबारा नीतीश कुमार महागठबंधन का हिस्सा बने तो जेडीयू का आरजेडी में विलय होने का अफवाह उड़ा था। लेकिन ऐसी कोई बात हुई नहीं। अब सामने लोकसभा चुनाव है।

पार्टी के लिए कार्यकर्ता ही सब कुछ हैं। चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन करना जरूरी था। ये उसी कार्यक्रम का हिस्सा था।

रवि उपाध्याय कहते हैं कि जब लड़ाई आमने-सामने का है तो कैप्टन तैयारी तो देखेगा ना। ये नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की एक वार्म अप मीटिंग थी। ये नीतीश कुमार भी जानते हैं कि 2024 उनके सामने एक बड़ा टास्क है।

ऊपर से समय से पूर्व लोकसभा चुनाव होने की बात वे कह रहे हैं। ऐसे में जरूरी है जमीनी स्तर पर तैयार रहना। इसको ध्यान में रखकर चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। ये बैठक उसी तैयारी का एक हिस्सा था।

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