इस पर चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया धनंजय चंद्रचूड ने कहा कि नियम सबके लिए बराबर है और आप प्रक्रिया के तहत मंगलवार को आइए.
उद्धव ठाकरे पक्ष की मांग है कि तीर-धनुष चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे गुट को ना दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे की तरफ़ से वरिष्ठ वकील डॉक्टर अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए.
दो दिन पहले ही चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे गुट को दिया था.
पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे के लिए यह एक बड़ा झटका है क्योंकि पूरी पार्टी अब उनके हाथ से निकल चुकी है.
हालांकि उद्धव ठाकरे ने यह साफ़ कहा है कि वे चुनाव आयोग के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे, लेकिन उनके सामने संकट बड़ा है.
उद्धव ठाकरे ही नहीं बल्कि इस पूरी लड़ाई में उनके साथ खड़े रहे विधायकों की भी कुर्सी भी अब सवालों के घेरे में आ गयी है.
जब एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री का पद संभाला तो उनके समूह ने उद्धव ठाकरे के साथ रहने वाले 15 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. उसके बाद आदित्य ठाकरे को छोड़कर 14 विधायकों के ख़िलाफ़ अयोग्यता की कार्रवाई भी की गई.
जहां यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि शिवसेना पार्टी के सभी अधिकार एकनाथ शिंदे के पास रहेंगे.
तो अब सवाल उठता है कि उद्धव ठाकरे के साथ रहने वाले 15 विधायकों का क्या हश्र होगा.
देश और दुनिया की बड़ी ख़बरें और उनका विश्लेषण करता समसामयिक विषयों का कार्यक्रम.
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर
समाप्त
इससे पहले कि हम 15 विधायकों के ख़िलाफ़ अयोग्यता की कार्रवाई के बारे में जानें, शिवसेना में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद पैदा हुई स्थिति को समझना ज़रूरी है.
पिछले साल 20 जून को विधान परिषद चुनाव होने के बाद एकनाथ शिंदे के साथ सभी विधायक सूरत के लिए रवाना हो गए थे, इसके बाद ये लोग गुवाहाटी चले गए थे.
उस वक्त शिवसेना विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे थे और सुनील प्रभु पार्टी के सचेतक थे. प्रभु ने शिवसेना विधायकों के नाम एक पत्र लिखा और उन्हें मुंबई में बैठक में भाग लेने का आदेश दिया.
इसी बीच पार्टी की ओर से एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से भी हटाया गया. उद्धव ठाकरे ने अपने गुट के विधायक अजय चौधरी को विधायक दल के नेता पद के लिए चुन लिया.
लेकिन एकनाथ शिंदे ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए प्रभु द्वारा जारी पत्र भी ख़ारिज कर दिया.
सूरत के होटल से एकनाथ शिंदे ने कहा कि सुनील प्रभु अब विधानमंडल में पार्टी के सचेतक नहीं हैं. उनकी जगह रायगढ़ के महाड से विधायक भरत गोगावले को पार्टी का सचेतक बनाने की उन्होंने घोषणा की.
बीते साल 30 जून को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार बनने के बाद तीन जुलाई को विधान सभा का विशेष सत्र बुलाया गया.
इस सत्र के पहले दिन विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव किया गया. कोलाबा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा विधायक राहुल नार्वेकर अध्यक्ष पद के लिए चुने गए.
शिंदे और ठाकरे दोनों धड़ों ने शिवसेना से वोटिंग के लिए अपने-अपने पक्ष में व्हिप जारी किया था.
शिंदे गुट के नेता भरत गोगावले के व्हिप के मुताबिक़, 15 विधायकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की गई थी, जबकि ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु के व्हिप के मुताबिक़ 39 विधायकों के ख़िलाफ़ दलबदल निषेध क़ानून के तहत कार्रवाई की गई थी.
पहली बार ठाकरे समूह द्वारा नियुक्त किए गए विधानमंडल के मुख्य प्रतिनिधि सुनील प्रभु ने तीन जुलाई से पहले की रात यानी दो जुलाई को शिवसेना विधायक दल कार्यालय के माध्यम से 3 लाइन का व्हिप जारी किया.
इस पत्र के मुताबिक़, राजन साल्वी ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया. व्हिप की ओर से पार्टी को आदेश दिया गया कि शिवसेना पार्टी के सभी सदस्य पूरे समय हॉल में मौजूद रहें और साल्वी को वोट दें.
3 लाइन व्हिप को गंभीर माना जाता है. इसका मतलब यह था कि साल्वी को वोट नहीं देने पर पार्टी के ख़िलाफ़ स्टैंड लेने के लिए सीधे अयोग्यता की कार्रवाई की जाएगी.
शिंदे गुट और फडणवीस के माध्यम से राहुल नार्वेकर की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद शिंदे गुट ने भी इस संबंध में व्हिप भी जारी किया.
विधानसभा के विशेष सत्र में, 3 जुलाई को होने वाले चुनाव में नार्वेकर को वोट देने के लिए एक पार्टी आदेश पारित किया गया था.
शिंदे समूह ने भी उस समय कहा था, "यह व्हिप पार्टी के बाक़ी 16 विधायकों पर भी लागू होगा. व्हिप की एक प्रति इन माननीय विधायकों को भी भेजी गई है."
इस बीच, 16 में से एक अन्य विधायक संतोष बांगर भी शिंदे गुट में शामिल हो गए.
2019 से विधानसभा अध्यक्ष रहे नाना पटोले ने फ़रवरी 2021 में अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. उसके बाद इस पद के लिए किसी का चयन नहीं हो सका.
इस दौरान विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि झिरवाल अस्थाई तौर पर विधानसभा के अध्यक्ष का दायित्व निभा रहे थे.
30 जून को एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद तीन जुलाई को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था. उन्हें इस सत्र में अपना बहुमत साबित करना था.
बीजेपी ने राहुल नार्वेकर को अध्यक्ष पद के लिए चुनने का प्रस्ताव रखा. महाविकास अघाड़ी की ओर से राजन साल्वी की उम्मीदवारी की घोषणा की गई.
राहुल नार्वेकर को चुनने का प्रस्ताव शुरू में ध्वनि मत से पारित किया गया था. झिरवाल ने कहा कि उसके पास 'हां' का बहुमत है. लेकिन विपक्ष की मांग के मुताबिक़ झिरवाल ने चुनाव कराने का एलान कर दिया.
इस एलान का अर्थ होता है कि प्रत्येक सदस्य को खड़े होकर अपना नाम और क्रम संख्या बताकर मतदान करना होता है. सभी विधायकों ने उसी के अनुसार मतदान किया.
इसमें राहुल नार्वेकर को 164 मत मिले, जबकि राजन साल्वी को 107 मत मिले.
मतगणना के बाद कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने मांग की कि हम इस बात का संज्ञान लें कि शिंदे गुट ने शिवसेना का व्हिप तोड़ा है और इसे रिकॉर्ड में लिया जाए.
झिरवाल ने कहा, "अध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया हो गई है. शिवसेना के कुछ सदस्यों ने पार्टी के आदेश के विरुद्ध मतदान किया है, ये इसमें सामने आ गया है. मेरा आदेश है कि इसे रिकॉर्ड पर लिया जाए, उन सदस्यों का नाम लिख लिखा जाए."
इसके बाद झिरवाल ने घोषणा की कि विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा और शिंदे गुट के उम्मीदवार विधायक राहुल नार्वेकर ने 164 वोट पाकर जीत हासिल की है. इसके बाद नार्वेकर को अध्यक्ष बनाया गया.
नार्वेकर को अध्यक्ष पद संभालने के बाद पार्टी के सभी नेताओं ने सम्मानित किया. सबके अपने-अपने भाषण थे. भाषण के दौरान शिवसेना नेता विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा कि 39 विधायकों ने व्हिप तोड़ा.
उन्हें जवाब देते हुए शिंदे गुट ने कहा, "हम शिवसेना के 16 विधायकों को भी अयोग्य घोषित कर सकते हैं, लेकिन हम आज ऐसी बात नहीं करेंगे, फ़िलहाल व्हिप की चर्चा को हम किनारे रख रहे हैं."
इसके बाद एकनाथ शिंदे द्वारा नियुक्त नये सचेतक भरत गोगावले ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को इस संबंध में एक पत्र भेजा.
उद्धव ठाकरे के गुट के 15 विधायकों ने व्हिप का पालन नहीं किया. गोगवले ने मांग की कि आदित्य ठाकरे और अन्य 14 विधायकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए.
गोगावले ने बाद में कहा कि, ''आदित्य ठाकरे बालासाहेब के पोते हैं, इसलिए हमलोग उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग नहीं कर रहे हैं.''
सभी के भाषण के बाद अध्यक्ष नार्वेकर ने कहा, ''मुझे शिवसेना विधायक दल के प्रमुख प्रतिनिधि भरत गोगावले का पत्र मिला है. इसके मुताबिक शिवसेना विधायक दल के 16 सदस्यों ने पार्टी के आदेश के ख़िलाफ़ मतदान किया है."
जुलाई माह में विधानसभा के विशेष सत्र हुए अब आठ महीने बीत चुके हैं. इस बीच शिवसेना विवाद पर सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में सुनवाई चल रही थी.
इनमें चुनाव आयोग में नाम और सिंबल को लेकर हुए विवाद पर बीते शुक्रवार को फ़ैसला आया. आयोग ने स्पष्ट किया है कि शिवसेना का नाम और धनुष-बाण का चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे के पास रहेगा.
अब पूरी पार्टी के एकनाथ शिंदे के हाथों में जाने के बाद ऐसा देखा जा रहा है कि उनके ख़िलाफ़ 15 विधायकों की अयोग्यता का मुद्दा एक बार फिर से सामने आ गया है.
चुनाव आयोग के फ़ैसले के बाद एकनाथ शिंदे समूह के विधायक और मंत्री दीपक केसरकर ने ठाकरे समूह के विधायकों को चेतावनी दी.
दीपक केसरकर ने कहा, "वे शिवसेना के सिंबल पर चुने गए हैं. इसलिए उन्हें कम से कम इस कार्यकाल के लिए हमारे साथ रहना होगा. उन्हें अब हमारे व्हिप का पालन करना होगा. अगर वे पार्टी के अनुशासन का पालन नहीं करते हैं, तो उनके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी."
वहीं दूसरी ओर उद्धव ठाकरे गुट की नेता सुषमा अंधारे ने केसरकर की बात का खंडन करते हुए कहा कि चुनाव आयोग पहले ही दोनों गुटों को स्वतंत्र मान्यता दे चुका है.
व्हिप को लेकर अपनी राय ज़ाहिर करते हुए अंधारे ने कहा, 'अंधेरी उपचुनाव के वक्त चुनाव आयोग ने दो गुटों को मंज़ूरी दी थी. शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे अलग गुट है और उन्हें अलग मशाल चिन्ह दिया गया है.'
"लेकिन एकनाथ शिंदे की बालासाहेब की शिवसेना एक अलग समूह है और ढाल-तलवार उनका अलग चुनाव चिन्ह है. चूंकि दोनों समूहों की स्पष्ट मान्यता को स्वीकार कर लिया गया है, इसलिए उनके व्हिप को यहां फिर से लागू करने का कोई सवाल ही नहीं है."
इस बीच मनसे नेता संदीप देशपांडे ने भी शिवसेना में चल रहे असमंजस को लेकर उद्धव ठाकरे के गुट के विधायकों की चुटकी ली है.
शिवसेना के जख़्मों पर नमक छिड़कते हुए देशपांडे ने कहा, 'अगर आप उद्धव ठाकरे की भाषा में पूछना चाहते हैं कि आप आदमी की तरह व्हिप का पालन करने जा रहे हैं या विधायक को लात मारने जा रहे हैं.'
उन्होंने आगे कहा, "यह मुद्दा केवल आदित्य ठाकरे पर लागू नहीं होता है. सांसद संजय राउत को भी इस व्हिप का पालन करना होगा क्योंकि दिल्ली में भी शिंदे गुट मूल शिवसेना बन गया है."
संदीप देशपांडे ने भी सवाल खड़ा किया है कि संजय राउत संसद में क्या करेंगे? कुल मिलाकर हर गुट के नेता उद्धव ठाकरे के गुट के विधायकों को लेकर अपनी राय रखते नज़र आ रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले से इस पूरे मामले पर कहा, "सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आना बाक़ी है. व्हिप लागू होगा या नहीं, इस पर क़ानूनी लड़ाई होगी. चुनाव आयोग यह तय नहीं कर सकता कि विधानसभा में क्या होना चाहिए."
उन्होंने यह भी बताया, ''उद्धव ठाकरे की ओर से क़ानूनी चुनौती दी जाएगी और अंतिम फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट में होगा. जब वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तो वे चुनाव आयोग के फ़ैसले पर रोक लगाने की मांग करेंगे."
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे कहते हैं, ''कुछ लोगों के मुताबिक़ मूल पार्टी शिवसेना ही रहेगी और उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को उनके आदेश का पालन करना होगा. चुनाव आयोग का आदेश है."
अभय देशपांडे यह भी कहते हैं, "इसे लेकर बहुत भ्रम है क्योंकि ठाकरे सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं. अगर सुप्रीम कोर्ट फ़ैसले पर रोक लगाता है तो इस मुद्दे पर कुछ समय के लिए देरी होगी. लेकिन अगर वे रोक से इनकार करते हैं और कहते हैं कि केवल विधानसभा अध्यक्ष के पास इस मामले में अधिकार है, तो उद्धव ठाकरे के सामने मुश्किल होगी."
इस बारे में एबीपी माझा से बात करते हुए महाराष्ट्र के महाधिवक्ता श्रीहरि अणे ने कहा, "चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है. इसका निर्णय लेने का अधिकार बरक़रार है. यह जब चाहे अपना फ़ैसला दे सकता है.
आयोग ने अपने सामने साक्ष्य को लेकर हुए विवाद पर फ़ैसला सुनाया है. हां ये बात भी सही है कि निर्णय को चुनौती दी जा सकती है. मुझे लगता है कि इस निर्णय में कुछ आपत्तिजनक बिंदु हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए."
अणे के मुताबिक़, एकनाथ शिंदे का व्हिप ठाकरे गुट के विधायकों पर लागू नहीं होगा.
इसकी वजह बताते हुए वे कहते हैं, ''चुनाव आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि शिवसेना के दो धड़े दो अलग-अलग पार्टियां हैं. उन्होंने कहा कि मुख्य पार्टी शिंदे की पार्टी है. इसका मतलब यह है कि शिंदे की पार्टी सत्ता में है और ठाकरे की पार्टी विपक्ष में. दोनों अलग-अलग पार्टियां हैं."
अणे ने यह भी बताया, "जैसे, बीजेपी का व्हिप शिवसेना पर नहीं चलता, शिवसेना का व्हिप राष्ट्रवादी काँग्रेस पर नहीं चलता वैसे ही एकनाथ शिंदे के पार्टी का व्हिप ठाकरे गुट पर लागू नहीं होगा."
The mainstream media establishment doesn’t want us to survive, but you can help us continue running the show by making a voluntary contribution. Please pay an amount you are comfortable with; an amount you believe is the fair price for the content you have consumed to date.
happy to Help 9920654232@upi