
वहीं मैदानी इलाकों यूपी में सामान्य से 13% कम बारिश हुई। बिहार में 25% कम, मध्य प्रदेश में 10% कम बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा केरल, झारखंड, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में भी कम बारिश हुई। इसकी वजह अल-नीनो है। वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि अगस्त के बाद अब सितंबर में भी बारिश सामान्य से कम रहने के आसार बन रहे हैं।
इसका मतलब है कि ये मानसून सीजन (30 सितंबर तक) सामान्य कम बारिश के साथ खत्म होगा। औसतन 94% से 106% बारिश को सामान्य श्रेणी में माना जाता है।
ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी के क्लाइमेट साइंटिस्ट डॉ. अक्षय देवरस ने अलग-अलग मौसमी मॉडल के ट्रेंड के आधार पर अनुमान लगाया है कि सितंबर में भारत के 36 मौसमी सब-डिवीजन में से 32 सब-डिवीजन में सामान्य से कम यानी 94% या उससे भी कम बारिश होगी। मात्रा के हिसाब से यह सितंबर में सामान्य से 20 मिमी कम रहेगी।
2018 के बाद जुलाई में सबसे ज्यादा बारिश, वहीं तीन साल का सबसे बड़ा सूखा
देश में इस बार मानसून सीजन काफी बदला-बदला सा रहा। 1970 के बाद पहली बार दिल्ली, आगरा और वृन्दावन में बाढ़ जैसी स्थिति घोषित की गई। वहीं हरियाणा में पहली बार बाढ़ की स्थिति बनी।
अर्थ साइंस मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, इस साल, भारत में 2018 के बाद से जुलाई में सबसे अधिक बारिश हुई तो दूसरी ओर पिछले तीन सालों में यह सबसे सूखा मानसून बना है। इस मानसून सीजन अब तक 7% कम बारिश दर्ज की गई है। अगस्त में अब तक की बारिश 32% कम है।
भारतीय मौसम विभाग भी अगले हफ्ते सितंबर के लिए अपना पूर्वानुमान जारी करने वाला है। हालांकि आईएमडी ने जुलाई के आखिर में मिड-मानसून पूर्वानुमान में अगस्त-सितंबर में सामान्य से कम बारिश की आशंका जताई थी।
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