3 जून की वो योजना जो बताती है कि जल्दी से भारत से निकल जाना चाहते थे अंग्रेज

यह 3 जून की योजना या माउंटबेटन की योजना में स्पष्ट तौर पर निर्धारित था कि अंग्रेज हर हाल में 22 जून 1948 तक भारत को पूरी तरह से छोड़ देंगे और उससे पहले ही भारत और पाकिस्तान को विभाजन के साथ ही अपने लिए, अस्थाई ही सही, खुद शासन तंत्र तैयार कर लेना था.
The plan of June 3 which tells that the British wanted to leave India quickly
The plan of June 3 which tells that the British wanted to leave India quickly03/06/2023

1947 में भारत की आजादी एक प्रक्रिया के तहत हुई थी. इसके लिए अंग्रेजों ने एक 3 जून की योजना बनाई थी जिसे माउंटबेटन योजना भी कहते है. इसमें उस प्रक्रिया को निर्धारित किया गया था कि कैसे अंग्रेजों के जाने के बाद भारत का शासन चलेगा और नई व्यवस्था बनने तक कैसे देश चलेगा. इस योजना के बारे में हम अक्सर यही देखा जाता है कि भारत को आजादी कैसे मिली और देश का बंटवारा कैसे होता है, लेकिन इसमें एक पहलू और भी था और वह था अंग्रेजों का पहलू. उस वक्त का घटनाक्रम और खुद यह तीन जून की योजना बताती है कि अंग्रेज भारत छोड़ने को लेकर कितनी जल्दी में थे और उन्हें भारत (और पाकिस्तान) में व्यवस्था की नींव डालने में कोई रुचि नहीं थी.

द्वितीय विश्व युद्ध और भारत में विरोध का असर
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ही अंग्रेजों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. भारत में भी आजादी की मांग स्वर तेज हो गए थे. भारतीय नौसेना के विद्रोह ने अंग्रेजों को हिला दिया था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों को भारतीयों की मदद की भी जरूरत थी. इसलिए उन्हें भारतीयों को आजादी देने की दिशा में कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके अलावा अब ब्रिटेन पर भी अपने उपनिवेशों को आजादी देकर अंतरराष्ट्रीय बाजार खोलने का दबाव आ गया था.

प्रयासों पर नहीं बन रही थी बात
फरवरी 1946 में ही ब्रिटेन ने पहले भारतीयों को आजादी देने की प्रक्रिया के निर्धारण के लिए “तीन सदस्यीय कैबिनेट मिशन को भेजा जिसने मई 1946 में भारत के बिना विभाजन के आजादी देने का प्रस्ताव था. लेकिन इससे बात ना बनने पर ठीक एक महीने बाद कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव में बदलाव हुआ जिसमें भारत के विभाजन की बात कही गई. उस प्रस्ताव को कांग्रेस ने स्वीकार नहीं किया.

एक बड़ा ऐलान
तमाम तरह की बातचीत और भारतीयों (खासतौर पर कांग्रेस और मुस्लिम लीग) के बीच मतभेदों के बीच कोई फार्मूला तय नहीं हो पा रहा था. अंतत 20 फरवरी 1947 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने ऐलान कर दिया कि ब्रिटेन सरकार 30 जून 1948 को हर हाल में ब्रिटिश भारत को स्वशासन सौंप देगी. जिसमें भारतीय रियासतों का फैसला बाद में तय होगा. इसके बाद अगले साढ़े तीन महीने तक कोई प्रक्रिया निर्धारित ना हो सकी.

तीन जून की योजना वह अंतिम योजना थी जिसे स्वीकार करना एक तरह से मुस्लिम लीग और कांग्रेस दोनों की मजबूरी हो गई थी. प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

माउंटबेटन योजना और उनकी मजबूरी
ऐसे में 3 जून को लॉर्ड माउंटबेटन ने एक योजना प्रस्तुत की जिसे तीन जून की योजना  या माउंटबेटन योजना कहा जाता है. दस्तावेज और उस समय की बातचीत के रिकॉर्ड से पता चलता है कि माउंटबेटन जो उस समय भारत के वायसरॉय थे. उन्होंने योजना प्रस्ताव करते समय कहा था कि अगर इस योजना को सभी पक्षों ने स्वीकार नहीं किया तो अंग्रेजों को बिना औचपारिकता पूरी किए ही भारत छोड़ना पड़ेगा. उन्होंने तब जोर देकर कहा था कि अंग्रेज 22 जून 1948 से आगे भारत में नहीं रुक सकते है.

क्या था 3 जून की योजना में
3 जून की योजना में भारत और पाकिस्तान नाम के दो डोमिनियन स्टेट बनाने की बात की गई. प्रत्साव में कहा गया कि बंगाल और पंजाब का विभाजन किया जाएगाऔर उत्तर पूर्वी सीमा प्रांत के साथ ही असम के सिलहट जिले में जनमत संग्रह कराया जाएगा. पाकिस्तान के लिए अलग से संविधान सभा के गठन को मंजूरी दी गई.

21 जून 1948 को सी राजगोपालाचारी के गवर्नर जनरल बनने के बाद अंग्रेजों ने औपचारिक तौर पर भारत छोड़ दिया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

15 अगस्त तक आजादी?
प्रस्ताव में भारत और पाकिस्तान को सत्ता हस्तान्तरण की प्रक्रिया की शुरुआत के लिए 15 अगस्त 1947 का दिन निर्धारित किया गया. ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई 1947 को 3 जून की योजना को ही भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के रूप में पास कर दिया. इसमें भारत की रियासतों को तीन विकल्प दिए गए. या तो वे खुद को भारत अथवा पाकिस्तान में मिला लें या फिर वे खुद कोस्वतंत्र राष्ट्र भी घोषित कर सकते हैं.

उस समय की विधायी और प्रशासन व्यवस्थाओं को उसी तरह से काम करने  का आदेश दिया गया था जैसे कि वे पहले से कर रही थीं. 7 जून 1947 को विभाजन के लिए कमेटी का गठन किया गया था जिसे सैन्य और अन्य विभागों के बंटवारे का निर्धारण करने का जिम्मा दिया गया था.  वहीं भारत और पाकिस्तान की सीमा रेखा का बनाने की जिम्मेदारी सर रेडक्लिफ को  दी गई थी जो पहले कभी भारत नहीं आए थे. सत्ता हस्तांतरण की पूरी प्रक्रिया 21 जून 1948 को हुई थी जब सी राजगोपालाचारी भारत के पहले भारतीय और देश के अंतिम गवर्नर जनरल बने थे और भारत एक स्वतंत्र डोमिनियन स्टेट बना. इसके बाद 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ देश एक गणराज्य बन गया.

.

The mainstream media establishment doesn’t want us to survive, but you can help us continue running the show by making a voluntary contribution. Please pay an amount you are comfortable with; an amount you believe is the fair price for the content you have consumed to date.

happy to Help 9920654232@upi 

Related Stories

No stories found.
Buy Website Traffic
logo
The Public Press Journal
publicpressjournal.com