हरियाणा में भी देखने को मिलेगा महिला आरक्षण का असर, 45 वर्षों में 6 महिला ही, अब तक पहुंची है संसद में

केंद्र सरकार के नारी शक्ति बंधन अधिनियम बिल 2023 का असर अब हरियाणा में भी दिखाई देने लगा। यह बिल पारित होते ही हरियाणा विधानसभा और लोकसभा की तस्वीर बदल जाएगी । विधानसभा में महिलाओं के लिए 30 और लोकसभा में तीन सीट रिजर्व हो जाएंगे।
The effect of women's reservation will be seen in Haryana also, in 45 years only 6 women have reached Parliament so far.
The effect of women's reservation will be seen in Haryana also, in 45 years only 6 women have reached Parliament so far.20/09/2023

हालांकि केंद्र के इस बिल का लाभ 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महिलाओं को नहीं मिल पाया।  हरियाणा में महिलाओं को पंचायत में पहले ही 50% आरक्षण का लाभ मिल रहा है।  लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए परिसीमन वर्ष 2026 में होना है। 

अभी हरियाणा में लोकसभा की 10 और विधानसभा की 90 सीट हैं।  परिसीमन में आबादी के मुताबिक लोकसभा की तीन सीट  बढ़ेगी तो कल 13 लोकसभा सीट  हो जाएगी।  जिनमें चार महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे।  इस स्थिति में विधानसभा में सीट बढ़कर 117 हो जाएंगी ।  जिनमें 39 सीटे  महिलाओं की होगी ।

45 वर्षों में सिर्फ 6 महिला पहुंची संसद

हरियाणा में अब तक राजनीतिक दृष्टिकोण से महिलाओं के लिए कोई खास नहीं रहा।  राज्य में पिछले 45 वर्षों के दौरान केवल 6 महिला ही लोकसभा चुनाव जीतकर संसद तक पहुंच पाई हैं।  सबसे अहम बात यह है कि अभी तक हरियाणा में निर्दलीय कोई महिला आज तक नहीं जीत पाई । कांग्रेस की चंद्रावती, कुमारी शैलजा, सुरती चौधरी, भाजपा की सुधा यादव और सुनीता दुग्गल और इनेलो की कैलाश सैनी ही हरियाणा गठबंधन के बाद लोकसभा पहुंची। 

इन जिलों में नहीं मिलेगा महिलाओं का प्रतिनिधित्व

हरियाणा के 6 जिले ऐसे भी हैं जहां अभी तक महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है।  इसमें करनाल, रोहतक, हिसार ,फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत जिले शामिल है।  इन जिलों से एक भी महिला संसद संसद तक नहीं पहुंच पाई। सबसे ज्यादा तीन बार कांग्रेस की कुमारी शैलजा संसद पहुंची।  वह दो बार अंबाला शहर एक बार सिरसा से आरक्षित सीट पर चुनी गई। 

आरक्षण पर क्या बोले हरियाणा के दिग्गज

धनखड़ ने गोडे गोडे  चा फिल्म का उदाहरण दिया।  हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष  ओपी धनखड़  करने कहा है कि पंजाबी फिल्म है जिसका नाम गोडे गोडे चा है इसकी थीम है, कि महिलाओं को बारात में जाने की इजाजत नहीं।  लेकिन वह जाने के लिए संघर्ष करती है और वह सफल होती हैं।  पुराने जमाने में देश के कई हिस्सों में इस तरह की परंपरा रही ।

CM बोले  मजबूत होगी महिलाएं

बहुत समय से जनता ने उनकी चर्चा थी खासकर महिलाएं बार-बार पूछती थी कि हम लोगों ने तो यहां स्थानीय स्तर पर पंचायती राज और शहरी स्थानीय निकायों में जब से 50% का प्रावधान दिया था।  तब से यह चर्चा बार-बार चलती थी कि लोकसभा में विधानसभा में यह कब होगा । यह कदम सराहनीय  योग्य है निश्चित रूप से महिलाओं का शक्तिकरण बढ़ेगा। 

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