बदल रहा है नौकरी का भविष्य:रोबोट्स का प्रभाव बढ़ेगा...एक सैलरी के बजाय कई कंपनियों में काम का ट्रेंड बढ़ेगा

changing future of jobs
changing future of jobschanging future of jobs

शिक्षा से डॉक्टर, रितेश मलिक दिल से आंत्रप्रेन्योर हैं। वह भारत के दूसरे सबसे बड़े को-वर्किंग प्लेटफॉर्म Innov8 के संस्थापक हैं। यह प्लेटफॉर्म स्टार्ट-अप्स, कॉर्पोरेट्स , फ्रीलांसर्स और अन्य प्रोफेशनल्स को एक साथ लाता है। रितेश अब तक 60 से ज्यादा स्टार्ट-अप्स में निवेश कर चुके हैं। उन्होंने 2012 में अपनी MBBS की पढ़ाई के अंतिम वर्ष में ALIVE ऐप के रूप में पहला स्टार्ट-अप शुरू किया था जिसे बाद में बेनेट एंड कोलमैन ग्रुप ने खरीद लिया। आज डॉ. रितेश मलिक स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने के साथ ही मोहाली में प्लाक्षा यूनिवर्सिटी बना रहे हैं। आज वह बता रहे हैं कि कैसे टेक्नोलॉजी नौकरियों का भविष्य बदलने वाली है..

आज दुनिया ह्यूमन रिसोर्स से जुड़ी एक क्राइसिस के मुहाने पर खड़ी है। इस क्राइसिस की वजह से ही हम देख सकते हैं कि टेक्नोलॉजी कई लोगों की नौकरी खा जा रही है, वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे नए काम शुरू हो रहे हैं जिनके लिए हमारे पास स्किल्ड लेबर ही नहीं है।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक अगले 10 साल में पूरी दुनिया में 120 करोड़ कामगार ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी और AI से प्रभावित होंगे। ये वर्ल्ड इकोनॉमी के 50% के बराबर है। इससे 14.6 ट्रिलियन डॉलर, यानी करीब 1200 लाख करोड़ के बराबर तनख्वाहों पर असर पड़ेगा।

ह्यूमन रिसोर्स की इस क्राइसिस से बचने के लिए जरूरी है कि हम शिक्षा को बेहतर मैनेज करें। लोगों को नए स्किल्स सीखने में मदद करें, पुराने ढर्रे के ज्ञान को भुलाएं और नई चीजों को सीखें। लोगों के लिए नए मौके बनाए जाएं।

मेरी राय में एक परमानेंट नौकरी के बजाय कई पार्टटाइम जॉब करने का ट्रेंड, जिसे आज Gig Economy कहा जाता है, और बढ़ेगा। इसकी वजह भी साफ है। ये वर्कर को उसके काम के हर घंटे के बदले बेहतर कैपिटल देता है और इसमें फ्लेक्सिबिलिटी भी है। उबर जैसे प्लेटफॉर्म्स ने इस Gig Economy को लोकतांत्रिक बना दिया है। आपकी जरूरत के हिसाब से कार और ड्राइवर उपलब्ध कराना ही इसकी खासियत है और भविष्य में ऐसे प्लेटफॉर्म्स और ज्यादा फलेंगे-फूलेंगे।

सोलोप्रेन्योर्स का कॉन्सेप्ट भी जल्द लोकप्रिय होगा। एक पूरी कंपनी खड़ी करना मुश्किल है, मगर सोलोप्रेन्योरशिप इसके मुकाबले आसान है। ये सोलोप्रेन्योर्स, कंसल्टेंट्स की तरह पर्सनल ब्रांड्स खड़े करेंगे।

यही नहीं, लोग एक फिक्स्ड सैलरी के बजाय अपने समय का बेहतर मोलभाव शुरू करेंगे जो किसी एक कंपनी के साथ नहीं, बल्कि एक साथ कई कंपनियों के साथ होगा। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति दिन में 8 से 10 घंटे काम करता है तो वो इसे 3 से 4 कंपनियों के बीच बांट सकता है। मेरी राय में यही नौकरी का भविष्य हो सकता है।

आने वाले दशकों में कंपनियों में डेडिकेटेड सैलरी वाले कर्मचारियों की संख्या घटने वाली है। लोग अपनी कमाई के बजाय अपनी लाइफस्टाइल और अपने मेंटल हेल्थ के बारे में ज्यादा चिंतित होंगे। इसी वजह से काम में फ्लेक्सिबिलिटी किसी भी नौकरी की सबसे बड़ी क्वालिटी बन सकती है। इसमें वर्क फ्रॉम होम एक मुख्य कैटेगरी बन सकती है। साथ ही Zoom और Kong जैसे प्लेटफॉर्म्स और भी ज्यादा सामयिक हो जाएंगे।

इंडस्ट्री 4.0 क्रांति के साथ ही AI और रोबोट्स कई नौकरियों में अपनी जगह बना लेंगे। एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक 80 करोड़ रोजगार ऐसे होंगे जिनमें रोबोट्स इंसानों की जगह ले लेंगे।

इसका एक उदाहरण रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर्स हैं। अगले एक दशक में हाउसकीपिंग रोबोट्स आपको हर जगह दिखने लगेंगे। ChatGPT ने कॉपीराइटिंग के काम की तस्वीर बदल दी है।

रोबोट्स की वजह से आज हर क्षेत्र का हर रोजगार प्रभावित जरूर हुआ है।

हर काम जो आज एक इंसान कर रहा है वो टेक्नोलॉजी से प्रभावित होगा। ये प्रभाव अच्छा भी होगा और बुरा भी। हम नहीं जानते कि AI और मशीन लर्निंग मानव जीवन की गुणवत्ता को किस तरह से बदलेगा, लेकिन इसकी कीमत तो चुकानी होगी।

इसीलिए हमें आज से ही ऐसे नए स्किल्स सीखना शुरू करना चाहिए जो भविष्य के लिए जरूरी हों। क्या आप जानते हैं कि सिर्फ मेडिकल इमेजिंग की फील्ड में ही 386 मशीन लर्निंग कंपनियां हैं। उनकी वजह से रेडियोलॉजिस्ट्स की जरूरत कम हो जाएगी क्योंकि ये मशीन्स किसी डॉक्टर से ज्यादा सटीक गाइडेंस देती हैं।

मेडिकल इमेजिंग के क्षेत्र में AI का इस्तेमाल अब तेजी से बढ़ रहा है।

लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि रेडियोलॉजिस्ट्स की जरूरत ही खत्म हो जाएगी। हां, उनकी महत्ता जरूर कम हो जाएगी। एक स्कैन को समझने में रेडियोलॉजिस्ट को जो वक्त लगता है, मशीन लर्निंग उसे काफी हद तक घटा देती है।

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, करीब 60 रोजगार ऐसे हैं जो भविष्य में बिल्कुल खत्म हो जाएंगे। ये ट्रेंड हमें ये सोचने का समय देता है कि कैसे हम सही स्किल डेवलपमेंट के लिए बजट बढ़ाएं ताकि 140 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में हर घर में रोजगार मुहैया कराया जा सके।

इसीलिए, सरकार को आज ही Gig Economy, स्किल रिडेवलपमेंट प्रोग्राम्स जैसी चीजों में निवेश बढ़ाना होगा। साथ ही ये सुनिश्चित करना होगा कि भारत पूरी दुनिया को तरक्की के नए दौर के लिए संसाधन मुहैया करा सके।

The mainstream media establishment doesn’t want us to survive, but you can help us continue running the show by making a voluntary contribution. Please pay an amount you are comfortable with; an amount you believe is the fair price for the content you have consumed to date.

happy to Help 9920654232@upi 

Buy Website Traffic
logo
The Public Press Journal
publicpressjournal.com