तालिबान ने महिलाओं पर लगा दिया फिर ये नया प्रतिबंध, संयुक्त राष्ट्र भी हैरान

तालिबान का जुल्म अफगानी महिलाओं पर लगातार जारी है। पहले अफगानिस्तान की लड़कियों और महिलाओं को उच्च शिक्षा से वंचित करने और उन्हें नौकरी नहीं करने देने के अजीबोगरीफ फरमान जारी करने के बाद तालिबान ने अब एक नया प्रतिबंध लगा दिया है।
तालिबान ने महिलाओं
तालिबान ने महिलाओं तालिबान ने महिलाओं

 तालिबान का जुल्म अफगानी महिलाओं पर लगातार जारी है। पहले अफगानिस्तान की लड़कियों और महिलाओं को उच्च शिक्षा से वंचित करने और उन्हें नौकरी नहीं करने देने के अजीबोगरीफ फरमान जारी करने के बाद तालिबान ने अब एक नया प्रतिबंध लगा दिया है। नए प्रतिबंध में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मिशनों में सहायता कर्मियों के तौर पर काम करने वाली महिलाओं को ड्यूटी करने से रोक दिया गया है। इससे महिलाओं के काम करने का आखिरी द्वार भी बंद हो गया है। इस तालिबानी फरमान से संयुक्त राष्ट्र भी हैरान है।

संयुक्त राष्ट्र के विश्वव्यापी मानवीय अभियानों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स ने सोमवार को आगाह किया कि अफगानिस्तान में महिला सहायता कर्मियों पर तालिबान का प्रतिबंध कई महत्वपूर्ण मानवीय कार्यक्रमों को ‘‘खत्म करने जैसा है। संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान के इस फरमान को खतरे की घंटी माना है। मार्टिन ग्रिफिथ्स ने कहा कि अगर तालिबान ने अपने फरमान में कुछ अपवाद शामिल नहीं किए तो यह बहुत ही विनाशकारी होगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहायता समूहों सहित एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले सप्ताह अफगानिस्तान के विदेश मामलों और वित्त मंत्रियों सहित तालिबान के 9 अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान भी इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि मानवीय कार्यों में अफगानिस्तानी महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।

संयुक्त राष्ट्र को भरोसा तालिबानी मानेंगे निर्देश

ग्रिफिथ्स ने कहाकि अभी हमें धैर्य रखने के लिए कहा गया है, क्योंकि हमें सूचना दी गई है कि तालिबान अधिकारियों द्वारा दिशानिर्देशों पर काम किया जा रहा है, जिसके तहत कथित तौर पर मानवीय कार्यों में महिलाओं की मौजूदगी की अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि तालिबान का लगातार यह संदेश देना कि ‘‘महिलाओं के काम करने के लिए एक जगह होगी, यह थोड़ा तसल्ली देने वाला महत्वपूर्ण संदेश है। ग्रिफिथ्स ने 24 दिसंबर 2022 को जारी किए गए तालिबान के एक फरमान का जिक्र किया, जिसके बाद से सहायता समूह अफगानिस्तानी महिलाओं को रोजगार नहीं दे पा रहे हैं।

वहीं संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के लिए ‘प्रोग्रामिंग’ के उप कार्यकारी निदेशक उमर आब्दी ने कहा कि 60 लाख से अधिक अफगानिस्तानी आपातकालीन स्तर की खाद्य समस्या का सामना कर रहे हैं। वह लोग अब अकाल से महज एक कदम दूर हैं। ऐसे में अफगानिस्तान बड़े संकट में फंस सकता है। इस साल 875,000 बच्चों के गंभीर कुपोषण से पीड़ित होने की आशंका है। ऐसे में महिलाओं को काम करने से रोकना घातक होगा।

The mainstream media establishment doesn’t want us to survive, but you can help us continue running the show by making a voluntary contribution. Please pay an amount you are comfortable with; an amount you believe is the fair price for the content you have consumed to date.

happy to Help 9920654232@upi 

Buy Website Traffic
logo
The Public Press Journal
publicpressjournal.com