मणिपुर विधानसभा का विशेष सत्र बिना चर्चा के स्थगित:कुकी समुदाय के दो मंत्री और 8 विधायक शामिल नहीं हुए; राज्य में अब तक 160 मौतें

मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। 120 दिनों से जारी हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इस बीच राज्य सरकार की मांग पर आज विधानसभा का एक दिन का सेशन होना था। इसमें राज्य में शांति बहाली को लेकर चर्चा की उम्मीद की जा रही थी। हालांकि, हंगामे के चलते ये सत्र अनिश्चित-काल के लिए स्थगित हो गया।
Special session of Manipur Assembly adjourned without discussion
Special session of Manipur Assembly adjourned without discussion29/08/2023

CM एन बीरेन सिंह ने 21 अगस्त को राज्यपाल अनुसुइया उइके को सत्र शुरू करने की सिफारिश की थी। 22 अगस्त को राजभवन ने अधिसूचना जारी कर दी। संविधान के आर्टिकल 174 (1) के मुताबिक, किसी भी सदन में दो सत्रों में छह महीने से ज्यादा का गैप नहीं होना चाहिए। मणिपुर में पिछला सत्र मार्च में हुआ था। ऐसे में छह महीने की डेडलाइन सितंबर में खत्म हो रही थी।

दो मंत्रियों समेत 10 विधायकों ने सेशन का बहिष्कार किया
दो मंत्रियों समेत 10 विधायकों ने सुरक्षा का हवाला देते हुए सत्र में शामिल होने से इनकार कर दिया। ये सभी आदिवासी कुकी समुदाय से आते हैं। इनमें एलएम खौटे, नगुर्सांगलुर सनाटे, लेटपाओ हाओकिप, लेटजमंग हाओकिप, पाओलीनलाल हाओकिप, वुंगजागिन वाल्टे, हाओखोलेट किपगेन (निर्दलीय), किम्नेओ हाओकिप हैंगशिंग (KPA), चिनलुंगथांग (KPA) के विधायक हैं। हालांकि, CM बीरेन सिंह ने उन्हें पूरी सिक्योरिटी मुहैया कराने का आश्वासन दिया था।

संसद के मानसून सत्र में मणिपुर पर हुई थी चर्चा
20 जुलाई से 11 अगस्त तक चले संसद के मानसून सत्र में मणिपुर का मुद्दा उठा था। मणिपुर पर चर्चा के लिए 26 जुलाई को विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस यानी I.N.D.I.A ने अविश्वास प्रस्ताव दिया। यह प्रस्ताव कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई लेकर आए थे। 8 से 10 अगस्त तक इस पर बहस हुई।

9 अगस्त को राहुल ने 35 मिनट के भाषण में भारत जोड़ो यात्रा और मणिपुर पर बात की। वहीं 10 अगस्त को मोदी ने 2 घंटे 12 मिनट का भाषण दिया, जिसमें वे मणिपुर पर 1 घंटे 32 मिनट बाद बोले। बड़ी बात ये कि जब प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर बात शुरू की, उसके पहले ही विपक्ष सदन से वॉकआउट कर चुका था। 12 घंटे चर्चा के बाद मोदी सरकार को 325 वोट मिले थे। विपक्ष को 126 वोट मिले। जिसके बाद अविश्वास प्रस्ताव गिर गया।

देश की 4 राज्यों की विधानसभा में भी मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाया गया...

18 अगस्त : दिल्ली विधानसभा
मणिपुर मुद्दे को लेकर सिर्फ संसद ही नहीं देश के अन्य राज्यों की विधानसभाओं में भी चर्चा हुई। 18 अगस्त को दिल्ली विधानसभा में मणिपुर हिंसा पर निंदा प्रस्ताव लाया गया। जिसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

7 अगस्त : UP विधानसभा
उत्तर प्रदेश विधानसभा में मॉनसून सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ शुरु हुई थी। सत्र की शुरुआत के पहले दिन 7 अगस्त को CM योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के मुद्दों को लेकर सदन में सार्थक चर्चा करने के लिए विपक्ष को साथ आने की अपील की, लेकिन अखिलेश यादव ने मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की।

31 जुलाई : पश्चिम बंगाल विधानसभा
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 31 जुलाई को मणिपुर में हिंसा की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने विधानसभा सत्र के दूसरे चरण में सदन में प्रस्ताव पढ़ा। प्रस्ताव पर बोलते हुए CM ममता बनर्जी ने हिंसाग्रस्त राज्य में स्थिति से निपटने में भाजपा और केंद्र सरकार की भूमिका की निंदा की।

31 जुलाई : झारखंड विधानसभा
झारखंड विधानसभा में भी 31 जुलाई को मणिपुर पर हंगामा हुआ था। विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो के सदन में आसन ग्रहण करते ही झारखंड विकास मोर्चा के प्रदीप यादव ने मणिपुर का मामला उठाया। जिस पर BJP विधायकों ने एतराज जताया।

65 हजार से अधिक लोगों ने घर छोड़ा
हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 6 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। राज्य में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं। पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों में कुल 129 चौकियां स्थापित की गईं हैं।

मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हो रही है। दरअसल 19 जुलाई को दो निर्वस्त्र महिलाओं को वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें भीड़ ने महिलाओं के कपड़े उतारकर उन्हें गांव में घुमाया। बाद में उनका गैंगरेप किया। ये घटना 4 मई की थी। वीडियो सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया।

चीफ जस्टिस ने कहा था कि जो वीडियो सामने आया है, उसे देखकर वह स्तब्ध हैं। ऐसी घटनाएं स्वीकार्य नहीं हैं। हिंसा में महिलाओं का टूल की तरह इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हम सरकार को इस पर कार्रवाई के लिए कुछ समय दे रहे हैं, नहीं तो फिर हम कार्रवाई करेंगे। फिलहाल इस मामले पर 28 जुलाई से सुनवाई जारी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को मणिपुर हिंसा से जुड़े मामलों को पड़ोसी राज्य असम में ट्रांसफर करने का आदेश दिया। इसके लिए कोर्ट ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश जारी किए हैं। बेंच ने कहा- मणिपुर हिंसा से जुड़े जिन मामलों की जांच CBI कर रही है उनके ट्रायल के लिए एक या एक से ज्यादा स्पेशल जज को नियुक्त करें।

मणिपुर हिंसा के 21 मामलों की जांच CBI के पास

CBI को मणिपुर हिंसा से 21 मामले जांच के लिए सौंपे गए हैं। CBI के 53 अफसर जांच में शामिल हैं, इनमें 29 महिलाएं अफसर हैं। CBI ने अब तक 8 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें मणिपुर में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न से संबंधित दो मामले भी शामिल हैं।

अधिकारियों का कहना है कि CBI के पास और केस भी आ सकते हैं। इसमें खासकर महिलाओं के साथ हुए उत्पीड़न, कुकी महिला के वायरल वीडियो के मामले शामिल होंगे। इसके अलावा 9 अगस्त को मैतेई महिला से गैंगरेप का मामला सामने आया था। इसकी जांच भी CBI को दी जा सकती है।

4 पॉइंट्स में जानिए, मणिपुर हिंसा की वजह...
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नगा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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