सीरिया ने इस हमले को नरसंहार के बराबर बताया है। वहीं, जिस्र अल-शुघुर शहर के घटनास्थल पर मौजूद 35 साल के मजदूर साद फातो ने बताया कि हमले के दौरान उन्होंने लोगों की जान बचाने में मदद की।
उन्होंने कहा- रूसियों ने हम लोगों पर गोले बरसाए। हमले के वक्त मैं बाजार में गाड़ी से टमाटर और खीरे उतार रहा था। हमले की बाद की तस्वीर को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। लोगों की मदद करने की वजह से मेरे हाथों में अभी तक खून लगा है।
AFP के रिपोर्टर ने घटनास्थल से काले धुएं का गुबार उठता देखा। कुछ ही देर में एंबुलेंस मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल ले जाने का काम शुरू हुआ।
साल का सबसे घातक हमला
ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के चीफ रामी अब्देल रहमान ने कहा कि ये इस साल सीरिया में रूस का सबसे घातक हमला है, जो नरसंहार के बराबर है। उन्होंने बताया कि पिछले हफ्ते भी रूस की ओर से किए गए एक ड्रोन हमले में दो बच्चों सहित चार लोगों की मौत हो गई थी।
सीरियाई रक्षा मंत्रालय ने रविवार शाम एक बयान जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में हमा और लताकिया प्रांत में कई लोग मारे गए हैं।
रूस ने 23 जून के हमले का बदला लिया
दरअसल, 23 जून को करदाहा शहर पर विद्रोहियों ने हमला कर दिया था। ये शहर रूस के हमीमिम एयर बेस के पास है और सीरियाई प्रेसिडेंट बशर-अल-असद का पैतृक शहर है। रूस सीरियाई प्रेसिडेंट का सपोर्ट करता है। माना जा रहा है कि 23 जून को हुए हमला का जवाब देते हुए रूस ने इदलिब प्रांत के शहरों पर हमला किया है।
सीरिया गृह युद्ध में रूस और तुर्किये की अहम भूमिका रही है। इस पूरे मामले को समझिए...
सीरिया में पिछले 12 सालों के गृह युद्ध चल रहा है। 2011 में जब अरब क्रांति की चिंगारी सीरिया तक पहुंची, तो वहां लोगों ने बशर-अल-असद की तानाशाही के खिलाफ आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया था। विद्रोहियों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। हिंसा बढ़ने लगी थी। इसके बाद 2015 में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की मदद के लिए उनके विद्रोही गुटों के खिलाफ रूसी सेना को भेजा था।
2016 में सीरिया गृह युद्ध में तुर्किये की डायरेक्ट एंट्री हुई। दरअसल, गृह युद्ध की शुरुआत से ही तुर्किये, सीरिया सरकार की निंदा कर रहा था। लेकिन 2016 में सीरिया के विद्रोहियों का सपोर्ट करते हुए तुर्किये ने अपनी सेना को सीरिया भेज दिया। 5 साल पहले रूस और तुर्किये ने मध्यस्थता करते हुए इदलिब शहर के आस-पास वाले इलाके को बफर जोन बना दिया।
हाल ही में जिन शहरों पर रूस ने हमला किया उन्हें रूस ने ही विद्रोहियों के कब्जे से छीना था। यहां से विस्थापित हुए करीब 40 लाख लोगों की वापसी भी रूस ने ही करवाई थी। लेकिन यहां तुर्किये सेना की मौजूद के चलते विद्रोही अपना सिर उठाते रहते हैं। सीरिया और रूस दोनों ही विद्रोहियों को दबाना चाहते हैं। इसके लिए सीरिया ने इन शहरों में मौजूद तुर्किये आर्मी की वापसी की मांग की थी। इसको लेकर सीरिया ने रूस की मदद से तुर्किये सरकार से बातचीत की थी। हालांकि तुर्किये नहीं माना जिस वजह से विवाद बढ़ता जा रहा है।
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