
IAF Combat Exercise: भारतीय वायुसेना ने उत्तरी और पश्चिमी सेक्टरों में चीन-पाकिस्तान के मोर्चों पर एक प्रमुख युद्धाभ्यास 'त्रिशूल' शुरू कर दिया है, जिसमें लड़ाकू विमानों और सतह से हवा में मार करने वाले हथियारों को तैनात किया गया है. भारतीय सेना ने भी पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल-सिक्किम सेक्टर में ऊंचाई वालों स्थानों पर सैन्य अभ्यास किया है.
त्रिशूल युद्धाभ्यास को वेस्टर्न एयर कमांड (डब्ल्यूएसी) कर रही है, जो भारतीय वायुसेना की अग्रिम कमांड है. वेस्टर्न एयर कमांड के पास लद्दाख से राजस्थान तक विशाल क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. ये अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है, जब इसी सप्ताह भारत जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की लिए पूरी तरह तैयार है.
10 दिनों तक चलेगा अभ्यास
वेस्टर्न एयर कमांड का ये अभ्यास 10 दिनों तक चलेगा, यानी जब नई दिल्ली में जी20 की बैठक हो रही होगी, उस समय देश के पश्चिमी मोर्चे पर देश की वायुसेना अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी. अभ्यास का उद्देश्य युद्ध की सभी तैयारियों को परखना होगा. लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव चौथे साल में पहुंच गया है.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि युद्धाभ्यास में "राफेल, जगुआर, मिग-29 और सुखोई-30 एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों और सी-130जे, सी-17 जैसे परिवहन विमानों से लेकर एस-400, एमआर-एसएएमएस, आकाश से हवा में मार करने वाली मिसाइल तैनात की गई हैं."
G20 की बैठक के दौरान होगा विराम
रिपोर्ट में कहा गया है कि 9 और 10 सितंबर को जब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक हो रही होगी, उस समय हवाई अभ्यास को हल्का विराम दिया जाएगा.
साथ ही सेना की दो चीन-विशिष्ट माउंटेन स्ट्राइक कोर (1 और 17) की इकाइयां अपने तैनाती वाले क्षेत्रों में प्रशिक्षण ले रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, ''1 कोर और 17 कोर की इकाइयां हर गर्मियों में चीन से लगी 3488 किलोमीटर लंबी सीमा (एलएसी) पर तैनाती करती हैं और अभ्यास करती हैं."
2020 से जारी है पूर्वी लद्दाख में तनाव
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में साल 2020 में मई के महीने में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए थे. उस हिंसक झड़प के बाद से अभी तक तनाव में कमी नहीं आई है. दोनों पक्षों ने टैंक, तोपखाने बंदूकें और एसएजीडब्ल्यू जैसे भारी हथियारों के साथ 50,000 से ज्यादा सैनिकों को तैनात किया है.
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