पिछले साल रूसी सेना ने जल, थल और वायु तीनों अंगों में यूक्रेन पर हमला कर दिया था। यूक्रेन की सीमा पर तैनात सैनिक तीन तरफ से देश की सीमा में घुसे और कुछ दिनों की शुरुआती कामयाबी के बाद एक घातक लड़ाई में फंस गए। युद्ध को शुरू हुए 400 से अधिक दिन बीत चुके हैं। इस दौरान कई शहर मलबे में तब्दील हो गए और बड़ी संख्या में परिवार उजड़ गए। इस बर्बादी के बीच अग्रिम मोर्चे पर ड्यूटी करने वाली रूस की महिला चिकित्साकर्मियों को हाई रैंक अधिकारियों की सेक्स स्लेव (सेक्स गुलाम) बनने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो फ्री लिबर्टी की ओर से प्रकाशित एक इंटरव्यू में सीमा पर ड्यूटी कर रही एक महिला सदस्य ने कहा कि रूसी अधिकारी बारी-बारी महिलाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। उसने कहा कि जो लोग 'फील्ड वाइफ' बनने के लिए सहमत हुए, उन्हें खाना बनाना, साफ-सफाई करना और अधिकारियों को खुश करना था। उसने बताया कि जिन लोगों ने सेक्स गुलाम बनने से इनकार किया उन्हें कड़ी सजा और पिटाई का सामना करना पड़ा। महिला अधिकारी की पहचान उजागर नहीं की गई है।
महिला अधिकारी ने बताया कि उसने अपने परिवार और विकलांग बच्चे की खातिर अग्रिम मोर्चे पर चिकित्साकर्मी का काम चुना, जो पूरी तरह उस पर निर्भर हैं। महिला के अनुसार, जब वह निजनी नोवगोरोड ट्रेनिंग कैंप में थी तब उसकी पलटन के प्रभारी एक कर्नल ने उसे अपनी 'फील्ड वाइफ' बनाने के लिए चुना था। जब उसने अधिकारी की यौन इच्छाओं को पूरा करने से इनकार कर दिया तो अधिकारी ने अपने सैनिकों से कहा कि वे उसके जीवन को और कठिन बना दें। महिला के अनुसार उसे एक महीने तक बाहर सोने के लिए मजबूर किया गया जबकि बाकी लोग अपने टेंट के भीतर सोते थे।
हाई-रैंक अधिकारी ने एक बार फिर कोशिश की और जब महिला डॉक्टर ने फिर मना किया तो उसे सजा के रूप में अग्रिम मोर्चे पर जाने के लिए मजबूर किया गया। महिला के अनुसार वह जिस पलटन का हिस्सा थी, उसमें सात महिलाएं थीं और सभी ने कमांडिंग अधिकारियों से यौन संबंध बनाए थे। एक भयानक दृश्य को याद करते हुए उसने बताया कि एक अधिकारी अपनी 'फील्ड वाइफ' को गोली मारने के बाद अपने हाथ में गोली मार ली थी ताकि ऐसा लगे कि वह यूक्रेनी गोलीबारी से उसकी रक्षा कर रहा था।
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