
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पार्दीवाला की बेंच ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी को इस मुद्दे पर अपना पक्ष संस्कृति मंत्रालय के सामने रखने के लिए कहा है.
इस मामले में याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिए जारी किए जाएं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय केंद्र सरकार के फ़ैसले के बारे में अदालत को अवगत कराएगा.
जब चीफ़ जस्टिस ने सुब्रमण्यम स्वामी से कहा कि वे संबंधित पार्टी से मिल सकते हैं तो उन्होंने अदालत से कहा, "अगर वे नहीं मिलना चाहते हैं तो मैं किसी से नहीं मिलना चाहता हूं. हम एक ही पार्टी में हैं. ये हमारे घोषणापत्र में भी है. उन्हें चार से छह हफ़्तों में इस पर फ़ैसला करने दीजिए."
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि ये मामला पिछले आठ सालों से पेंडिंग है लेकिन सरकार इस याचिका पर कोई फ़ैसला नहीं ले रही है.
इससे पहले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने 22 दिसंबर को राज्यसभा में कहा था कि भारतीय सैटलाइट्स को राम सेतु की उत्पत्ति से संबंधित कोई सबूत नहीं मिले हैं.
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में जितेंद्र सिंह ने कहा था कि "भारतीय सैटेलाइट्स ने भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाले रामसेतु वाले इलाक़े की हाई रिज़ोल्यूशन तस्वीरें ली हैं. हालांकि इन सैटेलाइट तस्वीरों से अब तक सीधे तौर पर रामसेतु की उत्पत्ति और वो कितना पुराना है इससे संबंधित कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं."
उन्होंने अपने जवाब में ये भी कहा था कि समंदर के नीचे डूबे शहर द्वारका की तस्वीरें रिमोट सेन्सिंग सैटलाइट के ज़रिए नहीं ली जा सकती क्योंकि ये सतह के नीचे की तस्वीरें नहीं ले सकते.
लेकिन विपक्ष ने सरकार के इस जवाब पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जब यही बात मनमोहन सिंह सरकार ने कही थी तो बीजेपी ने कांग्रेस को हिंदू विरोधी बताया था.
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