कर्नाटक में दूध के सहारे राजनीतिक जंग! जानें कैसे ‘अमूल बनाम नंदिनी’ विवाद विधानसभा चुनाव कर सकती है प्रभावित

Amul Vs Nandini: नंदिनी बनाम अमूल मुद्दे को लेकर बेंगलुरु में विरोध के साथ कांग्रेस और भाजपा के बीच वाकयुद्ध जारी है। राज्य के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस मुद्दे का चुनाव पर प्रभाव पड़ सकता है।
Political war with the help of milk in Karnataka! Know how 'Amul vs Nandini' controversy can affect the assembly elections
Political war with the help of milk in Karnataka! Know how 'Amul vs Nandini' controversy can affect the assembly elections10/04/2023

Amul Vs Nandini: गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) ने 5 अप्रैल को घोषणा की कि वह कर्नाटक के बाजार में प्रवेश करने जा रही है। इस घोषणा के बाद दक्षिणी राज्य कर्नाटक में एक विवाद खड़ा हो गया।

कई राजनेताओं और बेंगलुरु के लोगों ने GCMMF के इस कदम की निंदा की और कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) ब्रांड नंदिनी का समर्थन किया। सोशल मीडिया पर ‘नंदिनी बचाओ’ और ‘गो बैक अमूल’ भी ट्रेंड करने लगा। इसके बाद अमूल बनाम नंदिनी की लड़ाई का राजनीतिकरण हो गया।

नौबत यहां तक आ गई कि राज्य के सीएम बसवराज बोम्मई को बयान देकर कहना पड़ा कि नंदिनी हमारे राज्य का एक बहुत अच्छा ब्रांड है। कांग्रेस और जद (एस) चुनाव के समय राजनीति कर रहे हैं।

कांग्रेस ने भाजपा पर कर्नाटक के डेयरी ब्रांड की ‘हत्या’ करने का आरोप लगाया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राज्य में 10 मई को चुनाव होने हैं और कर्नाटक में अमूल के प्रवेश का चुनावों पर असर पड़ सकता है। पूर्व सीएम सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार और जेडी (एस) एचडी कुमारस्वामी जैसे कांग्रेस नेताओं ने अपने विचार व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया।

एचडी कुमारस्वामी ने आरोप लगाया कि ‘एक राष्ट्र, एक अमूल, एक दूध, एक गुजरात केंद्र सरकार का आधिकारिक स्टैंड लगता है।’ डीके शिवकुमार ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि हमारे पास पहले से ही नंदिनी है, जो अमूल से बेहतर ब्रांड है। हमें किसी अमूल की जरूरत नहीं है- हमारा पानी, हमारा दूध और हमारी मिट्टी मजबूत है।

उधर, भाजपा ने भी पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहा है। कर्नाटक के सहकारिता मंत्री एसटी सोमशेखर ने रविवार को मीडिया को बताया कि कम कीमत के कारण नंदिनी अमूल से आगे निकल जाएगी और गुजरात दूध ब्रांड हमारे कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) के लिए कोई खतरा नहीं है।

दूध की इस लड़ाई का कर्नाटक चुनाव पर असर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसके अमूल बनाम नंदिनी की जंग के राजनीतिक परिणाम होने की संभावना है, क्योंकि मतदाताओं का एक वर्ग इस मुद्दे से अलग-थलग हो सकता है। कन्नडिगा खुद को नंदिनी ब्रांड से पहचानते हैं, जो देसी और स्थानीय हैं और जिस पर उन्हें गर्व है।

अधिकांश दुग्ध उत्पादक पुराने मैसूरु क्षेत्र से आते हैं, जहां वोक्कालिगा का प्रभुत्व है, जहां जनता दल (सेक्युलर) और कांग्रेस का गढ़ है। यह मध्य कर्नाटक है, जहां लिंगायतों का दबदबा है, जहां भाजपा की पकड़ अधिक है। इसलिए बीजेपी इस मुद्दे को छोटा बनाने की कोशिश कर रही है ताकि अपने मतदाताओं के बीच किसी भी तरह का डर खत्म हो सके।

1974 में हुई थी कर्नाटक मिल्क फेडरेशन की स्थापना

बता दें कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) की स्थापना 1974 में हुई थी और यह अमूल के बाद सफलतापूर्वक देश का दूसरा सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बन गया है। दिवंगत स्टार पुनीत राजकुमार ने भी बिना किसी फीस के नंदिनी के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में काम किया था।

KMF के निदेशकों में से एक आनंद कुमार ने एक मीडिया हाउस से बात की और कहा कि अमूल से बेहतर दूध की गुणवत्ता होने के बावजूद हम नंदिनी ब्रांड के विपणन और प्रचार में बहुत पीछे हैं। इसलिए #SaveNandini महत्वपूर्ण है। हालांकि अमूल दूध का इस्तेमाल महज 10 फीसदी है, लेकिन उनका विज्ञापन 90 फीसदी है, जो कर्नाटक के डेयरी किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। नंदिनी के ब्रांड मूल्य को बढ़ाने और लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए हमें एक मजबूत विज्ञापन अभियान को लागू करने की जरूरत है।

कुमार ने कहा, “अमूल की तरह, डेयरी किसानों को भी नंदिनी उत्पादों की कीमतें तय करने की खुली छूट दी जानी चाहिए। सब्सिडी के लिए सरकार पर उनकी निर्भरता ने ही हमें इस स्थिति तक पहुंचाया है। सरकार हमें दूध पर 5-10 रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त दे। आने वाले दिनों में, हम इस मुद्दे को गवर्निंग बॉडी की बैठक में उठाएंगे और स्थिति के आधार पर अमूल के खिलाफ विरोध का आह्वान करेंगे।” केएमएफ अब इस मुद्दे पर राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और केंद्र को लिखने की योजना बना रहा है।

अमूल बनाम नंदिनी का उत्पादन और कारोबार

ब्रुहट बैंगलोर होटल्स एसोसिएशन (बीबीएचए) शहर के लगभग 24,000 बड़े और छोटे होटलों का प्रतिनिधित्व करता है और नंदिनी का समर्थन करता है। ये होटल प्रतिदिन नंदिनी के करीब 4 लाख लीटर दूध और 50,000 लीटर दही की खपत करते हैं। वे केएमएफ से घी, मक्खन, कोवा, पनीर और चीज भी खरीदते हैं। बीबीएचए ने कहा है कि राज्य के किसानों और दुग्ध आपूर्तिकर्ताओं का समर्थन करने के लिए वे केवल नंदिनी उत्पादों को खरीदेंगे।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में नंदिनी बेंगलुरु को 70% से अधिक दूध की आपूर्ति करती है, जो लगभग 33 लाख लीटर प्रतिदिन है। नंदिनी ने एक लीटर की कीमत 39 रुपये रखी है, जो देश में सबसे कम है। दूसरी ओर, अमूल की कीमत 54 रुपये और प्रति लीटर नंदिनी से अधिक है।

KMF के मुताबिक, कर्नाटक में 14 संघ, 24 लाख दुग्ध आपूर्तिकर्ता और 14,000 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां हैं। लगभग 22,000 गांवों से प्रतिदिन 84 लाख लीटर दूध आता है और दूध आपूर्तिकर्ताओं को प्रतिदिन लगभग 17 करोड़ रुपये का भुगतान होता है।

KMF की तुलना में अमूल का टर्नओवर बहुत अधिक है, क्योंकि भारत और विदेशों में इसका बड़ा प्रभाव है। 2021-22 में नंदिनी का करीब 20,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ जबकि अमूल का करीब 61,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था।

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