कानपुर का पहलवान मट्‌ठा, जो ब्रांड बना:61 साल पहले ठेले पर बिका, अब 3 स्टोर; सिर्फ यहां मिलता है 6 तरह का स्पेशल बन-मक्खन

कानपुर का पहलवान मट्‌ठा, जो ब्रांड बना:61 साल पहले ठेले पर बिका, अब 3 स्टोर; सिर्फ यहां मिलता है 6 तरह का स्पेशल बन-मक्खन
कानपुर का पहलवान मट्‌ठा
कानपुर का पहलवान मट्‌ठा07/07/2023

UP वालों के लिए मट्ठा गर्मियों में कोल्ड ड्रिंक होता है। लेकिन, कानपुर वालों के लिए मट्‌ठा का स्टाइल थोड़ा जुदा है। क्योंकि यहां है, देसी पहलवान का मट्‌ठा। ऐसा मट्‌ठा, जिसके स्वाद के लिए लोग खींचे चले आते हैं। ये दिवानगी किस लेवल तक है, ये टर्न ओवर से भी आंक सकते हैं। क्योंकि साल में 13 लाख रुपए का सिर्फ पहलवान मट्‌ठा ही बिक जाता है।

अब आप सोच रहे होंगे कि मट्‌ठा तो हर जगह मिलता और बिकता है। फिर कानपुर का पहलवान मट्‌ठा इतना फेमस क्यों है? ये हम आपको बताते हैं। लेकिन उससे पहले आपको पढ़वाते हैं कि कानपुर का देसी मट्‌ठा की शुरुआत कहां से हुई...।

बहुत रोचक है मट्‌ठा की पहलवान नाम पड़ने की कहानी
जब जायका की तलाश में दैनिक भास्कर की टीम कानपुर की इस दुकान पर पहुंची, तो हमारी मुलाकात विपिन बिहारी शुक्ल से हुई। जोकि दुकान के मालिक हैं। वो फाइन आर्टस के प्रोफेसर भी रहे। उन्होंने भी बाबा की राह पर चलते हुए नौकरी छोड़ मट्‌ठा बेचने के कारोबार को आगे बढ़ाया। 2014 में उन्होंने कारोबार को संभाल लिया।

विपिन बिहारी शुक्ल बताते हैं, "मेरे बाबा शालिग्राम शुक्ल ने 1962 में बैंक की नौकरी छोड़कर मट्‌ठा बनाना शुरू किया। उनका स्टाइल देसी था। वो फूलबाग स्थित नानाराव पार्क के गेट पर ठेले पर मट्‌ठा बेचते थे। मट्‌ठा बिकता भी खूब था, लेकिन उस वक्त ठेला का या मट्‌ठा का कोई नाम नहीं था। उस वक्त ब्रांडिंग के बारे में कोई सोचता भी नहीं था। ये सिलसिला 20 साल तक चलता रहा। बाबा ठेले पर रखकर मट्‌ठा बेचते रहे।"

उन्होंने बताया, "फिर मेरे पिता देवी दयाल ने 1983 में इस कारोबार को संभाला। उस वक्त पापा पहलवानी करते थे। इस कारोबार के लिए उन्होंने पहलवानी छोड़ दी। जब उन्होंने ठेला संभाला, तो लोग कहते थे कि पहलवान जी... जरा मट्‌ठा पिलाओ। बस यहीं से मट्‌ठा का नामकरण हुआ। नाम पड़ा पहलवान का मट्‌ठा।"

ठेला से शुरू हुआ सफर आज शहर के अंदर 3 स्टोर तक फैल चुका है। नानाराव पार्क के पुराने स्टोर के बाद 2020 में जाजमऊ और 2022 में किदवई नगर स्थित साइट नंबर वन पर तीसरा स्टोर खोल लिया।

मट्‌ठा के इस 61 साल के सफर को पढ़ने के बाद आपको ये बताते हैं कि फैट फ्री मट्‌ठा आखिर दूसरे मट्‌ठा से खास कैसे है?

1 घंटे तक दही को 7 लोग हाथों से मथते हैं
विपिन बताते हैं, "ज्यादातर लोग फैट के साथ ही मट्‌ठा बेचते हैं, लेकिन पहलवान मट्‌ठा लोगों को फैट फ्री मट्‌ठा पिलाता है।" उनके मुताबिक, पहले हम दूध को लाल होने तक पकाते हैं। इसके बाद उसको ठंडा करके जमाने के लिए करीब 6 से 8 घंटे छोड़ देते हैं। जमने के बाद उसको 1 घंटे तक 7 लोग हाथों से लकड़ी की मथानी से इतना मथते हैं कि उसका फैट अलग हो जाए और उसकी मिठास भी कम न होने पाए।

इस प्रक्रिया में लोग अब मशीन इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन, हमारे यहां अभी भी अपने हाथों से इस काम करते हैं। मशीन के इस्तेमाल से मट्‌ठा की ओरिजनल मिठास खत्म हो जाती है। लकड़ी की मथानी से पूरा फैट अलग कर लिया जाता है। जो फैट के रूप में मक्खन निकलता है, उसे ब्रेड-मक्खन के साथ बेचा जाता है।"

जहां बाबा मट्‌ठा बनाते थे, उसी शुक्लागंज में आज प्रोडक्शन
आज इस मट्‌ठे के लोग इस कदर दीवाने हैं कि सिर्फ कानपुर ही नहीं, जालौन, कन्नौज, औरेया, हरदोई, लखनऊ से भी इसका स्वाद लेने के लिए पहुंच जाते हैं। विपिन के मुताबिक शुक्लागंज में ही पूरा मट्‌ठा तैयार किया जाता है। क्योंकि बाबा भी शुक्लागंज से ही मट्‌ठा बेचने कानपुर आते थे, इसलिए आज भी मट्‌ठा वहीं के कारखाने में तैयार किया जाता है।

25 लीटर से अब रोजाना 150 लीटर की खपत
दुकान पर काम कर रहे निखिल शुक्ला ने बताया, "पहले 25 से 30 लीटर मट्ठे की खपत होती थी, आज सिर्फ 6 घंटे में ही डेढ़ कुंतल मट्‌ठा बिक जाता है। यहां ये भी खास बात है कि पहलवान मट्‌ठा के आउटलेट सुबह 5 बजे से दोपहर 1 बजे तक ही खुलते हैं। आज सड़कों से लेकर 5 स्टार होटल तक में लोग इनके मट्‌ठे के दीवाने हैं। कई बार स्पेशल ऑर्डर कर होटल में भी इनका मट्‌ठा मंगवाया जाता है।"

6 प्रकार का बनाते हैं ब्रेड मक्खन
पहलवान मट्‌ठा के 3 स्टोर में 6 प्रकार का बन-मक्खन मिलता है। स्पैनिश कार्न ब्रेड, सैंडविज ब्रेड, हनी चॉकलेट ब्रेड, पिज्जा मसाला बन, मल्टीग्रेन बंद और बटरस्कॉच ब्रेड। यह सभी ब्रेड स्पेशल ऑर्डर देकर ही तैयार की जाती हैं।

अब पढ़िए कि आखिर मट्‌ठा में जायका बनाए रखने के लिए क्या-कुछ किया जाता है.

अब आपको मट्‌ठा पीने के फायदे भी बताते हैं...
कैल्शियम, पोटेशियम और विटामिन बी-12 से भरपूर, मट्‌ठा में लैक्टिक एसिड होता है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। यह वजन घटाने में मददगार होता है। यह हमारे पाचन तंत्र के लिए वरदान है। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। मट्‌ठा पीने से एसिडिटी नहीं होती है।

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ठग्गू के लड्डू…ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं: 55 साल पुराना कनपुरिया जायका; स्वाद ऐसा कि पीएम मोदी भी मुरीद, सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपए

गंगा नदी के किनारे बसा कानपुर, स्वाद की दुनिया में भी खास पहचान रखता है। यहां का एक जायका 55 साल पुराना है। इसकी क्वालिटी और स्वाद आज भी वैसे ही बरकरार है। यूं तो आपने देश के कई शहरों में लड्डुओं का स्वाद चखा होगा। लेकिन गाय के शुद्ध खोए, सूजी और गोंद में तैयार होने वाले ठग्गू के लजीज लड्डुओं का स्वाद आप शायद ही भूल पाएंगे। पीएम मोदी जब कानपुर मेट्रो का उद्घाटन करने आए थे, तब उन्होंने मंच से इस लड्डू की तारीफ की थी।

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