संसद सेंट्रल हॉल मंदिर जैसा’, पुरानी संसद में PM Modi का आखिरी भाषण, जानें 10 बड़ी बातें

संसद के विशेष सत्र में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के पिछले 75 के कार्यों का उल्लेख किया।
Parliament Central Hall is like a temple, PM Modi's last speech in the old Parliament, know 10 big things
Parliament Central Hall is like a temple, PM Modi's last speech in the old Parliament, know 10 big things18/09/2023

संसद के 5 दिनों तक चलने वाले संसद के विशेष सत्र की शुरुआत हुई। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोग सभा में अपना विचार रखा। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान- 3, जी-20 की सफलता समेत कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।

पुरानी संसद भवन में अपना आखिरी भाषण देते हुए प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने देश के 75 साल के इतिहास की चर्चा के दौरानकान पंडित नेहरू से लेकर मनमहोन सिंह तक की बात की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की (PM Modi Speech Highlights) 10 बड़ी बातें…

1- पुराने सदन से विदा लेना भावुक पल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम सब इस ऐतिहासिक भवन से अब विदा ले रहे हैं। आजादी से पहले यह काउंसिल का स्थान हुआ करता था और आजादी के बाद इसे संसद भवन के रूप में नई पहचान मिली। भले ही इस इमारत का निर्माण विदेशी शासकों का कार्यकाल में हुआ लेकिन हम गर्व से कह सकते हैं कि इसका निर्माण में देशवासियों पसीना, परिश्रम और पैसे से हुआ था। भले ही हम इस भवन से अब नए भवन में जा रहे हैं, लेकिन यह भवन आने वाले समय में आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। यह भारतीय लोकतंत्र की स्वर्णिम यात्रा का अहम अध्याय है।

2- भारत की पहचान विश्व मित्र की

भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकन यूनियन जी-20 का सदस्य बनना हमारे लिए गर्व का विषय है। भारत की ताकत हीं है कि G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान सभी सदस्य देशों के बीच दिल्ली घोषणा पत्र पर आम सहमति बनी और सभी लोगों हस्ताक्षर किए। हम सब के लिए ये गर्व और गौरव की बात है कि भारत की दुनिया में पहचान एक विश्व मित्र के रूप देश के रुप में हुई है और पूरी दुनिया भारत में अपना मित्र राष्ट के रुप में ढूढ़ रहा है।

3- रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला गरीब बच्चा पहुंचा संसद

पहली बार संसद सदस्य बनने पर मैं संसद भवन के दरवाजे पर अपना माथा झुकाकर लोकतंत्र के इस मंदिर में श्रद्धा भाव से कदम रखा था। भारत के लोकतंत्र की हीं ये ताकत है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक गरीब बच्चा संसद तक पहुंच पाया। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि देश मुझे इतना आशीर्वाद और प्यार देगा।

4- सदस्यों के लिए सेंट्रल हॉल मंदिर जैसा

पूर्व सदस्यों के लिए सदन का सेंट्रल हॉल मंदिर जैसा है। पुराने सदस्य सदन के सेंट्रल हॉल में जरूर आते। पूरे सामर्थ्य के साथ देश आगे बढ़ते रहा। भले ही काले बादल होंगे, लेकिन हम आगे बढ़ते रहेंगे इस विश्वास के साथ। इसी भवन में 2 साल 11 महीने तक संविधान सभा की बैठकें हुई और संविधान बना। जो हमारा आज भी मार्ग दर्शन कर रहा है जो आज भी हमें चलाता है। हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत इस व्यवस्था के प्रति लोगों का अटूट विश्वास है और य आगे भी बनी रहेगी।

5- संसद ने तीन प्रधानमंत्रियों को खोया

देश ने जब तीन प्रधानमंत्री खोए, तब ये सदन आंसुओं से भर गया था। हर स्पीकर ने अनेक चुनौतियों के बावजूद दोनों सदनों को सुचारू रूप और तरीके से चलाया है।

6- इस सदन भवन से विदाई लेना बेहद ही भावुक पल

इस सदन से विदाई लेना एक बेहद ही भावुक पल है। परिवार भी अगर अपना पुराना घर छोड़कर नए घर जाता है तो बहुत सारी यादें कुछ पल के लिए उसे झकझोर देती है। ऐसे ही हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावना और अनेक यादों से भर गया है। खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक, उत्सव-उमंग तमाम यादों से जुड़ा है।

7- संसद पर हमला लोकतंत्र पर हमला

संसद पर हुआ आतंकी हमले की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने संसद को बचाने के लिए गोलियां खाने वाले और शहीद होने वाले लोगों को नमन किया। प्रधानमंत्री ने कहा, वो हमला एक इमारत पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया लोकतंत्र की मां, हमारी जीवात्मा पर था। श उस घटना को कभी भी भूल नहीं सकता। सदन को और सदन के सदस्य को बचाने के लिए जिन्होंने आतंकियों से लड़ते हुए अपने सीने पर गोली झेली उन्हें नमन।

8- पंडित नेहरू से चौधरी चरण सिंह तक की तारीफ

पंडित नेहरू और उनके योगान की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह वही सदन है, जहां नेहरू जी का ‘स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट’ की गूंज रात में सोने नहीं देगी। पंडित नेहरू की सरकार में शामिल बाबा साहब अंबेडकर ने देश को वॉटर पॉलिसी दी। बाबा साहब अंबेडकर का मानना था कि भारत के विकास के लिए का औद्योगिकी करण जरूरी है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 के युद्ध देश के वीर जवानों को इसी सदन से प्रेरणा दी थी। साथ ही उन्होंने इसी सदन से हरित क्रांति की नींव भी रखी थी। इसी सदन से इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश की आजादी भी सुनिश्चित की थी साथ ही इसी सदन से आपातकाल भी देखी। इसी सदन से चौधरी चरण सिंह ने ग्रामीण मंत्रालय का गठन किया।

9- अटल जी से लेकर अबतक की चर्चा

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र उन्होंने हुए पीएम मोदी ने कहा अटल जी ने इसी सदन में कहा था, आज भी वो शब्द इस सदन में गूंज रहे हैं – ‘सरकारें आएंगी जाएंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी, लेकिन ये देश रहना चाहिए।’ इस पर लोकसभा सदस्यों ने जमकर मेज थपथपाई। मनमोहन सिंह सरकार चर्चा करते हुए उन्होंने कहा इसी सदन ने ‘कैश फॉर वोट कांड’ भी देखा। इसी सदन से आर्टिकल 370 का समाधान भी हुआ। GST, वन रैंक वन पेंशन, गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण भी इसी सदन से मिला।

10- कोरोना संकट में देश एक साथ

संसद के कैंटीन में सब्सिडी पर मिलने वाले खाने की भी उन्होंने चर्चा की। कोरोना काल में इसी सदन के सांसदों ने अपनी सैलरी में कटौती की और देश के सामने आए संकट में अपनी बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाई।

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