नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (National Company Law Appellate Tribunal) यानी (NCLAT) एनसीएलएटी ने रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) के समाधान के मामले में ऋणदाताओं की नीलामी की एक और दौर की याचिका को स्वीकार कर लिया है. कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल फिलहाल दिवाला प्रक्रिया (Insolvency Process) से गुजर रही है. एनसीएलएटी (NCLAT) ने आदेश को खारिज करते हुए कहा कि ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के पास ऊंची बोली के प्रयास करने का अधिकार है. अपीलीय न्यायाधिकरण ने सीओसी को चुनौती को जारी रखने और दो सप्ताह बाद बोलियां आमंत्रित करने की अनुमति दी है.
एनसीएलएटी ने यह आदेश विस्ट्रा आईटीसीएल इंडिया लिमिटेड (Vistra ITCL India) की याचिका पर दिया है. विस्ट्रा अनिल अंबानी (Anil Ambani) प्रवर्तित कंपनी के ऋणदाताओं में से है. याचिका में एनसीएलटी के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें दिवालिया कंपनी के लिए और नीलामी पर रोक लगाई गई थी. रिलायंस कैपिटल के मामले में टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने 8,640 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाई थी.
हालांकि, कंपनी की ऋणदाताओं की समिति ने दूसरी चुनौती चलाने का फैसला किया. उसके बाद हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (Indusind International Holdings Ltd) यानी आईआईएचएल (IIHL) ने संशोधित बोली जमा कराई.
टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स (Torrent Investments) ने एनसीएलटी की मुंबई पीठ के समक्ष इसे चुनौती दी. इससे पहले एनसीएलटी ने दो फरवरी को कहा कि वित्तीय बोली के लिए चुनौती व्यवस्था 21 दिसंबर, 2022 को पूरा हो गया है. इसके बाद टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने नौ जनवरी को नई याचिका दायर कर न्यायाधिकरण से ऋणदाताओं की नए सिरे से नीलामी की योजना पर रोक लगाने की अपील की. आईआईएचएल ने भी बाद में एक याचिका दायर कर एनसीएलटी के आदेश को चुनौती दी. आईआईएचएल ने एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील की.
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आपको बता दें कि रिलायंस कैपिटल जो कि दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही है, उसपर कुल 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज है.
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