मोदी-पुतिन की फोन पर बातचीत:रूसी राष्ट्रपति ने कहा- G20 समिट में नहीं आ सकूंगा, फॉरेन मिनिस्टर लावरोव शिरकत करेंगे
दोनों नेताओं की बातचीत के बारे में नई दिल्ली और मॉस्को दोनों ने बयान जारी किए हैं। पिछले हफ्ते पुतिन के ऑफिस की तरफ से एक स्टेटमेंट जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि प्रेसिडेंट पुतिन नई दिल्ली नहीं आ सकेंगे।
साउथ अफ्रीका में मोदी से मिले थे लावरोव
पुतिन 2019 के बाद G20 की किसी मीटिंग में ‘इन पर्सन’ शामिल नहीं हुए हैं। वो हर बार वर्चुअली इस समिट का हिस्सा बनते रहे हैं। पिछले हफ्ते मॉस्को की तरफ से जारी बयान के बाद यह साफ हो गया था कि पुतिन नई दिल्ली नहीं आएंगे और हमेशा की तरह प्रेसिडेंट पुतिन की जगह फॉरेन मिनिस्टर लावरोव रूस को रिप्रेजेंट करेंगे।
हाल ही में साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स समिट हुई थी। यहां लावरोव ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। तब दोनों नेताओं के बीच आपसी और इंटरनेशनल इश्यूज पर लंबी बातचीत हुई थी। सोमवार को मोदी और पुतिन की बातचीत में यह तय हुआ कि दोनों नेता भविष्य में कम्युनिकेशन बनाए रखेंगे। रूस ने भारत को G20 की अध्यक्षता मिलने पर खुशी जताई। G20 मीटिंग 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में होगी।
पुतिन ने मोदी को चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर कामयाब लैंडिंग पर भी बधाई दी। दोनों स्पेस सेक्टर में भी साथ काम करने को लेकर सहमत थे।
पुतिन ने 2019 में आखिरी बार जापान में हुई G20 समिट में इन पर्सन शिरकत की थी। 2020 में रियाद और 2021 में रोम में हुई समिट में भी पुतिन वर्चुअली शामिल हुए थे। 2022 में बाली में हुई समिट में भी रूसी राष्ट्रपति मौजूद नहीं थे।
ब्रिक्स समिट में भी शामिल नहीं हुए थे
साउथ अफ्रीका में 22 से 24 अगस्त तक ब्रिक्स समिट हुई। इसमें भी व्लादिमिर पुतिन शामिल नहीं हुए। उनकी जगह फॉरेन मिनिस्टर लावरोव ने ही शिरकत की थी। इस समिट में भी पुतिन के शामिल होने पर आखिरी वक्त तक सस्पेंस था। बाद में होस्ट कंट्री साउथ अफ्रीका ने खुद ही साफ कर दिया था कि रूस के राष्ट्रपति जोहान्सबर्ग नहीं आएंगे।
दरअसल, ब्रिक्स समिट में पुतिन के शामिल होने को लेकर होस्ट साउथ अफ्रीका पशोपेश में था। इसकी वजह यह है कि यूक्रेन पर हमले और वॉर क्राइम्स को लेकर रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) वॉरंट जारी कर चुका है। पुतिन अगर जोहान्सबर्ग आते तो उनकी गिरफ्तारी का खतरा था। लिहाजा, साउथ अफ्रीकी और रूसी सरकार के बीच एग्रीमेंट हुआ और इसके बाद पुतिन की गैरमौजूदगी के बारे में जानकारी दी गई।
पुतिन के खिलाफ वॉर क्राइम्स का केस
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक- इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में पुतिन के खिलाफ वॉर क्राइम्स को लेकर केस दर्ज हैं। अगर वो जोहान्सबर्ग आते तो मेंबर कंट्री होने के नाते साउथ अफ्रीकी सरकार को पुतिन को गिरफ्तार करना पड़ता। इसकी वजह यह है कि इंटरनेशनल कोर्ट को लेकर तमाम देशों के बीच ट्रीटी है। रूस की तरफ से भले ही ऑफिशियली इस वजह का जिक्र न किया गया हो, लेकिन पुतिन के नई दिल्ली न आने की वजह भी यही है।
ICC ने इसी साल मार्च में पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने यूक्रेन पर हमले के दौरान गैरकानूनी तौर पर यूक्रेनी बच्चों को रूस डिपोर्ट किया। दूसरी तरफ, रूस का दावा है कि वो ICC का मेंबर ही नहीं है तो फिर पुतिन के खिलाफ वॉरंट भी गैरकानूनी माना जाएगा।
4 दिन भारत में रहेंगे जो बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन G-20 समिट के लिए दो दिन पहले 7 सितंबर को भारत पहुंचेंगे। G-20 समिट 9 और 10 सितंबर को होगी।
बाइडेन की यह पहली भारत यात्रा है। खास बात यह है कि बाइडेन इंडोनेशिया में होने वाली आसियान समिट में शिरकत नहीं करेंगे, क्योंकि उन्होंने भारत दौरे को ज्यादा तवज्जो दी है। व्हाइट हाउस ने बताया कि आसियान में बाइडेन की जगह वाइस प्रेसिडेंट कमला हैरिस शिरकत करेंगी।
व्हाइट हाउस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि प्रेसिडेंट बाइडेन G20 समिट शुरू होने से दो दिन पहले ही भारत पहुंच जाएंगे और यह दौरा मोटे तौर पर चार दिन का होगा। इस दौरान बाइडेन और प्रधानमंत्री दो बार बातचीत कर सकते हैं।
अमेरिकी सरकार इस दौरे को काफी अहमियत दे रही है। इस दौरान ट्रेड और डिफेंस के अलावा साइबर सिक्योरिटी से जुड़े कुछ अहम समझौते हो सकते हैं। 2026 में G-20 समिट अमेरिका में होगी। प्रधानमंत्री मोदी प्रेसिडेंट बाइडेन को इसकी अध्यक्षता सौंपेंगे।
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