ये 300 किलो का वॉरहेड ले जाने और खुफिया-जानकारी जुटाने में भी सक्षम है।
ईरान में ये ड्रोन अमेरिका के MQ-9 ड्रोन की तरह है। ये ड्रोन 7 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। ईरानी मीडिया ने मंगलावर को एक पोस्टर भी जारी किया। इसमें ड्रोन इजराइल की न्यूक्लियर फैसिलिटी डिमोना के ऊपर उड़ता नजर आ रहा है। इस पोस्टर पर फारसी और हीब्रू में लिखा था- स्टोन एज में लौटने को तैयार रहें।
ईरानी मिलिट्री को सौंपी जाएंगी 2 बैलिस्टिक मिसाइलें
इस ड्रोन का अनावरण राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के सामने किया गया। रईसी ने कहा- इससे पहले जिन 2 लंबी दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइलों की टेस्टिंग की गई थी, अब वो इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स को दिए जाने के लिए तैयार है। इनमें हज कासिम और खुर्रमशहर मिसाइल शामिल हैं।
रईसी बोले- ईरान अपने दुश्मनों को नहीं बख्शेगा
रईसी ने कहा- ईरान के मिलिट्री एडवांसमेंट की वजह से दुनिया का हमारी तरफ देखने का नजरिया बदल गया है। पहले लोग हमें ऐसे देश के तौर पर देखते थे, जो कन्ज्यूमर है और जिसे मदद की जरूरत है। लेकिन अब हम एक प्रोड्यूसर हैं, जो डिफेंस क्षेत्र में काफी ताकतवर है।
रईसी ने ये भी कहा कि ईरान सभी देशों से दोस्ताना रिश्ते चाहता है, लेकिन वो किसी भी ऐसे देश को नहीं बख्शेगा जो उन पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे।
रूस से ईरान खरीद रहा सुखोई-25 लड़ाकू विमान
इससे पहले ईरान ने मार्च में घोषणा की थी कि उसने रूस के साथ सुखोई-35 लड़ाकू विमानों की डील पक्की कर ली है। किर्बी ने कहा कि ये जानकारी पब्लिक की जा रही है, जिससे दोनों देशों की डिफेंस पार्टनरशिप को बेनकाब किया जा सके।
इससे पहले यूक्रेन ने कई बार रूस के हमले में ईरान के कामिकाजे ड्रोन के इस्तेमाल का दावा किया है। उन्होंने अपने कई शहरों में मिले ईरान के ड्रोन के मलबे की तस्वीरें भी जारी की थीं। हालांकि, रूस ने हमेशा इन दावों को खारिज किया है। वहीं ईरान ने रूस को ड्रोन भेजने की बात स्वीकारी थी लेकिन उसके मुताबिक ये सप्लाई जंग शुरू होने से पहले की गई थी।
यूक्रेन पर ईरान के शाहीद-136 ड्रोन से हमला हुआ था
17 अक्टूबर 2022 को रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर ईरान के कामीकाजे ड्रोन से हमला किया था। हमले में इस्तेमाल किए गए कामीकाजे ड्रोन का नाम शाहीद-136 था। इस ड्रोन को ईरान का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है। इस ईरानी ड्रोन को सुसाइड ड्रोन भी कहा जाता है।
हमले के बाद अमेरिका ने दावा किया था कि क्रीमिया में ईरानी सैनिक रूस के सैनिकों को जंग लड़ने की ट्रनिंग दे रहे हैं। व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर कहा था- ईरानी सैनिकों को रूसी बलों की मदद के लिए क्रीमिया भेजा गया। वो रूसी सैनिकों को ड्रोन चलाना सिखा रहे हैं। वे यूक्रेन के नागरिकों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर ड्रोन हमले करने में रूस की मदद कर रहे हैं।
2020 में खत्म हो गई थी ईरान पर हथियार खरीदने की पाबंदी
2015 में ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोकने के वादे के बाद UN ने जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लैन ऑफ एक्शन (JCPOA) डील के तहत उसे कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत दे दी थी। हालांकि, 2018 में ईरान के साथ परमाणु समझौता खत्म करने के बाद अमेरिका ने 2019 से ईरान पर फिर प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए थे।
वहीं ईरान पर UN ने कन्वेंशनल वेपन्स खरीदने को लेकर पाबंदी अक्टूबर 2020 में खत्म हो गई थी। इसके बाद रूस ने ईरान को सुखोई Su-35 खरीदने की पेशकश की थी।
The mainstream media establishment doesn’t want us to survive, but you can help us continue running the show by making a voluntary contribution. Please pay an amount you are comfortable with; an amount you believe is the fair price for the content you have consumed to date.
happy to Help 9920654232@upi