Important decision of Bombay High Court, the mother who abandons the child will no longer be able to object to the custody of the biological father.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बच्चे की कस्टडी को लेकर उसके जैविक पिता को देने के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा, वह पिता को बच्चे की कस्टडी लेने पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं लगा सकती।
Important decision of Bombay High Court, the mother who abandons the child will no longer be able to object to the custody of the biological father.
Important decision of Bombay High Court, the mother who abandons the child will no longer be able to object to the custody of the biological father.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बच्चे की कस्टडी को लेकर उसके जैविक पिता को देने के पक्ष में फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि एक बार जब मां ने अपनी इच्छा से बच्चे को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को सौंप दिया था, तो वह पिता को बच्चे की कस्टडी लेने पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं लगा सकती। पिता ने अपने बच्चे की सुरक्षा व कस्टडी के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, जिसका जन्म उसके और उसकी प्रेमिका के भागने के बाद हुआ था।

Bombay High Court Decision : बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बच्चे की कस्टडी को लेकर उसके जैविक पिता को देने के पक्ष में फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि एक बार जब मां ने अपनी इच्छा से बच्चे को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को सौंप दिया था, तो वह पिता को बच्चे की कस्टडी लेने पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं लगा सकती। पिता ने अपने बच्चे की सुरक्षा व कस्टडी के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, जिसका जन्म उसके और उसकी प्रेमिका के भागने के बाद हुआ था।

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याचिका में कोई आपत्ति उठाना संभव नहीं

अदालत ने मां के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पिता को कस्टडी न देने का कोई कानूनी कारण नहीं है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक केस पर फैसला सुनाते हुए कहा कि एक बार जब मां ने बच्चे का आत्मसमर्पण कर दिया है, तो अब उसके पिता को बच्चे की कस्टडी लेने के लिए वर्तमान याचिका में कोई आपत्ति उठाना संभव नहीं है।

पिता के ऊपर पोक्सो के तहत मामला दर्ज

जानकारी के अनुसार अक्टूबर 2021 में बच्चे का पिता और उसकी मां कर्नाटक भाग गए थे। युवती जब भागी तब वह गर्भवती थी। उनके बच्चे का जन्म 26 नवंबर को हुआ था। कुछ समय बाद जब दोनों मुंबई लौटे तो, बच्चे की मां ने बच्चे के पिता के ऊपर बलात्कार और पोक्सो के तहत मामला दर्ज करा दिया। उसके बाद 5 मार्च, 2022 को बॉम्बे पुलिस ने पिता को गिरफ्तार कर लिया।

सीडब्ल्यूसी ने बच्चे को पिता को सौंपा

इस बीच मां ने बच्चे को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को सौंप कर, किसी और के साथ शादी कर ली। सीडब्ल्यूसी ने बच्चे को गोद लेने के लिए सूचना घोषित कर दिया। इसके बाद बच्चे को 2023 में पालन-पोषण देखभाल में दे दिया गया। पिता के बहुत प्रयासों के बाद सीडब्ल्यूसी ने 27 जुलाई को बच्चे को उसके जैविक पिता को दे दिया।

वकील की दलील

वहीं बच्चे की मां के वकील फ्लाविया एग्नेस ने अदालत में अपनी दलील देते हुए कहा कि पिता को 2022 में हिरासत में लिया गया था और यह मामला बलात्कार और पॉक्सो का था। इसमें बच्चे की कस्टडी पिता को देना सही नहीं है।

पिता को कस्टडी सौंपने में कोई आपत्ति नहीं

एग्नेस की दलीलों को आधारहीन और तर्कहीन बताते हुए न्यायाधीश रेवती मोहिते-डेरे और गौरी गोडसए ने कहा कि जन्म से लेकर अपने पिता की गिरफ्तारी तक, बच्चा उसके और मां के साथ था। पिता ने कभी भी बच्चे का त्याग नहीं किया और इसके बजाय, उसने बच्चे की कस्टडी पाने के लिए सभी प्रयास किए। इस पर उन्होंने यह फैसला लिया कि जैविक पिता को बच्चे की कस्टडी सौंपने में कोई आपत्ति नहीं है।

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