रिपोर्ट्स के मुताबिक- पेंटागन ने जो आंकड़े जारी किए हैं उनमें साफ नजर आता है कि यंग जनरेशन मिलिट्री ज्वॉइन करने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। मसलन, 2002 में मिलिट्री रिक्रूटमेंट का जो टारगेट था, उसमें 25% की कमी दर्ज की गई। इससे भी ज्यादा फिक्र ये है कि इस साल भी ये टारगेट पूरा होता नजर नहीं आता।
एयरफोर्स और नेवी भी परेशान
‘फॉक्स न्यूज’ ने पेंटागन के सूत्रों के हवाले से अमेरिकी मिलिट्री में रिक्रूटमेंट के हवाले से रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक- 1973 के बाद यह पहला मौका है जब अमेरिकी सेना इस तरह की परेशानी से जूझ रही है। इससे देश की सुरक्षा को खतरा है। पिछले साल 25% कम सैनिक और अफसर रिक्रूट हो सके तो इस साल भी हालात जुदा नहीं हैं।
अफसर इसकी कई वजहें मानते हैं। मसलन- बेरोजगारी कम हो गई है, मिलिट्री में जाने लायक युवा कम हैं। इन दोनों के इतर एक वजह और भी है, और ये हैरान करती है। इसके मुताबिक- यंग जनरेशन में मिलिट्री सर्विस ज्वॉइन करने को लेकर कॉन्फिडेंस बहुत कम हुआ है। नेवी और एयरफोर्स भी सैनिकों की कमी से जूझ रहे हैं।
रिपोर्ट कहती है- वजहें चाहे जो हों, एक बात तो तय है कि इससे फौज की तैयारियों और उसकी क्वॉलिटी पर गंभीर असर हो रहा है। वो भी ऐसे वक्त जब रूस और चीन मिलकर अमेरिका को कई इलाकों और कई मोर्चों पर चैलेंज कर रहे हैं।
एक अफसर ने कहा- ये ट्रैंड हकीकत में परेशान करने वाला है। दरअसल, यंग अमेरिकन्स बहुत बड़े मौके गंवा रहे हैं। फौज में रहने से जो डिसिप्लिन, लीडरशिप और लाइफ स्किल्स सीखने मिलती हैं, वो आपको बेहतर नागरिक और इंसान बनाती हैं। ये देश के फ्यूचर से जुड़ा मामला है।
फौज में सपने पूरे होते हैं
रिपोर्ट में एक स्टडी का हवाला दिया गया है। इसके मुताबिक- 19 साल का कोई लड़का या लड़की जब मिलिट्री ज्वॉइन करता है तो उस कम से कम 4 हजार डॉलर मिलने लगते हैं। व्हाइट अमेरिकन्स की कम्पेरिजन में ब्लैक अमेरिकन्स मिलिट्री में जाना ज्यादा पसंद करते हैं।
यहां एक युवा गैल्वन की मिसाल भी दी गई है। वो 10वीं तक लो-एवरेज स्टूडेंट था, लेकिन फौज में भर्ती हो गया। इराक और अफगानिस्तान में तैनात रहा। उसका सपना डॉक्टर बनने का था। मिलिट्री ज्वॉइन करने के बाद वो यह ख्वाब भी पूरा कर सका। आज वो मिलिट्री में रेडियोलॉजिस्ट है।
गैल्वन ने कहा- मिलिट्री में आने के बाद मैं खुद को समझ सका और आज कामयाब इंसान हूं। हर पेशे की तरह यहां भी कुछ कमियां होंगी, लेकिन ये तो तय है कि बतौर नागरिक आप समाज को बहुत कुछ दे सकते हैं।
फौज के बाद भी सैकड़ों मौके
पेंटागन के एक अफसर कहते हैं- मिलिट्री जो चीजें आपको सिखाती है, वो ताउम्र काम आती हैं। आज ज्यादातर कंपनियां उन लोगों को अहमियत देती हैं, जो फौज में रहे हों। कंपनियां जानती है कि फौजी सेल्फ डिसिप्लिन्ड होता है और उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत इसी बात की होती है।
रिपोर्ट के मुताबिक- अमेरिका में एजुकेशन लोन एक बड़ा मुद्दा है। फौज में रहकर ये कर्ज आसानी से उतारा जा सकता है। इसके बाद जो कुछ है, वो सेविंग्स हैं। आज ज्यादातर हाईस्कूल के बाद बड़े लोन लेकर कॉलेजों में दाखिला लेते हैं ताकि फ्यूचर में उन्हें मोटी सैलरी वाले जॉब मिल सकें। उनके पेरेंट्स और टीचर भी उन्हें यही करने को कहते हैं।
रिपोर्ट में बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन और पेंटागन को कुछ सलाह भी दी गईं हैं। इनके मुताबिक- फौजियों को सम्मानित किया जाना चाहिए। सिर्फ ‘देश सेवा के लिए शुक्रिया’ कहना काफी नहीं है। टीचर्स, कॅरियर काउंसलर्स और स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी है कि वो युवाओं को फौज में शामिल होने के लिए उनकी हौसलाअफजाई करें।
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