How will UAE end the enmity between India and Pakistan
How will UAE end the enmity between India and Pakistan How will UAE end the enmity between India and Pakistan

भारत और पाकिस्तान की दुश्मनी को क्या ख़त्म करेगा यूएई

14 फ़रवरी 2019. भारतीय सैनिकों से भरी एक बस कश्मीर से गुज़र रही थी. तभी पुलवामा में विस्फोटकों से भरी एक कार इस बस में जा घुसी. आत्मघाती हमले में 40 भारतीय सैनिकों की जान गई.

26 फ़रवरी 2019. भारत ने दावा किया कि वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की. न्यूज़ चैनलों में 'बदला लेने' और 'घर में घुसकर मारने' जैसी ख़बरें चलाई जाने लगीं.

5 अगस्त 2019. कुछ दिन पहले ही कश्मीर घूमने और अमरनाथ यात्रा में गए लोगों से कहा गया था- घर लौट जाएं. लिहाज़ा कश्मीर की फ़िज़ा में ख़ामोशी थी और सैनिकों की भारी तैनाती थी. तभी 5 अगस्त को मोदी सरकार ने कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली अनुच्छेद 370 को ख़त्म कर दिया.

ये वो तीन तारीख़ें हैं जिन्होंने बीते सालों में भारत और पाकिस्तान के बीच की दूरी और कड़वाहट को और ज़्यादा बढ़ाया.

फिर डेढ़ साल बाद 2021 में अचानक भारत और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों की बैठक, तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा का ''शांतिपूर्ण तरीके से बात'' करने का बयान और कपास, चीनी के आयात पर लगे प्रतिबंध हटाने जैसी बातें होने लगीं. तब लगा कि रिश्ते फिर पटरी पर लौट रहे हैं.

भारत, पाकिस्तान के जम चुके रिश्तों से ये बर्फ़ जिस देश ने पिघलाई, उसका नाम था- यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात.

यूएई जिसे अमेरिकी जनरल एक वक़्त में 'लिटिल स्पार्टा' कहते थे. प्राचीन ग्रीस में स्पार्टा शहर के सैनिकों की ख़ास इज़्ज़त थी. सैन्य हौसलों को देखते हुए पूर्व अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने यूएई को ये नाम दिया था.

अब एक बार फिर जनवरी 2023 में यूएई के ज़रिए भारत-पाकिस्तान रिश्तों में सुधार की उम्मीदें जगी हैं.

भारत और पाकिस्तान की कड़वाहट कम करने में एक बार फिर यूएई अहम भूमिका निभा सकता है.

आर्थिक तंगियों से जूझ रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ का ताज़ा बयान इसी ओर इशारा करता है. सत्ता संभालने के बाद तीसरी बार यूएई दौरे पर गए शरीफ़ ने अल-अरबिया न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में इस बारे में कई बातें कही हैं.

शरीफ़ ने कहा, ''मैंने यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाहयान से भारत और पाकिस्तान के बीच सुलह करवाने की गुज़ारिश की है. वो पाकिस्तान के दोस्त हैं और साथ ही उनके भारत से भी अच्छे संबंध हैं. वो दोनों देशों की बातचीत करवाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. मैंने ज़बान दी है कि हम पूरी शिद्दत से भारत से बात करेंगे.''

शरीफ़ ने ''ज़रूरी सबक'' मिलने और ''शांति के लिए तैयार'' रहने जैसी बातें भी कहीं. भारत की ओर से इस विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस पर कहा, ''इस तरह की बातचीत के लिए अमन का माहौल होना चाहिए. हमारा हमेशा से ही यही नज़रिया रहा है.''

शरीफ़ ने कहा, ''मैं भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ये संदेश देना चाहता हूं कि आइए साथ बैठते हैं और कश्मीर जैसे ज्वलंत मुद्दे पर गंभीर बात करते हैं.''

ऐसे में सवाल ये है कि अतीत में भारत, पाकिस्तान को साथ लाने में यूएई की क्या भूमिका रही थी? क्या शहबाज़ शरीफ़ की उम्मीदों पर वाक़ई यूएई खरा उतर सकता है और क्यों यूएई, भारत और पाकिस्तान की ये तिकड़ी ख़ास है?

साथ ही ये भी समझने की कोशिश करेंगे कि इन सबसे यूएई को क्या हासिल होगा?

तीनों देशों के बीच रिश्ते को समझना है तो आबादी और व्यापार से शुरुआत करते हैं.

यूएई की कुल आबादी क़रीब 93 लाख है. इसमें भारतीयों की संख्या क़रीब 35 लाख है और पाकिस्तानियों की संख्या 13 लाख से ज़्यादा है.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक़, यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. 2021-22 में दोनों देशों के बीच लगभग 73 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले तीन सालों में ये व्यापार 100 अरब डॉलर से ज़्यादा का होगा.

यूएई भारत में आठवां सबसे बड़ा निवेशक है. अनुमान है कि भारतीय कंपनियों ने यूएई में लगभग 85 अरब डॉलर का निवेश किया.

वहीं यूएई ने साल 2000 से 2021 तक भारत में लगभग 11 अरब डॉलर का निवेश किया.

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