इन दिनों टेक कंपनियों से लोगों को निकालने का एक नया ट्रेंड चल गया है। ये कंपनियां कभी कारण बताकर तो कभी धमकी देकर नौकरी से बाहर कर दे रही हैं। इसी कड़ी में भारत की एक कंपनी विप्रो का नाम जुड़ गया है। विप्रो ने एक आंतरिक परीक्षण में खराब प्रदर्शन का हवाला देते हुए 800 फ्रेशर्स को नौकरी से निकाल दिया है।
कंपनी ने बताया कि विप्रो द्वारा अपने लिए निर्धारित किए जाने वाले मानकों के अनुरूप होने की कर्मचारी से अपेक्षा की जाती है। इसकी परख के लिए एक टेस्ट लिया जाता है, जो लोग उसे क्लियर नहीं करते हैं, उन्हें नौकरी नहीं दी जाती है। बता दें, कंपनी का दावा है कि निकाले जाने वाले लोगों की संख्या 800 से कम है। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
कंपनी द्वारा बर्खास्त कर्मचारियों को भेजे गए टर्मिनेशन लेटर को देखने पर पता चला कि विप्रो द्वारा जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि प्रशिक्षण पर खर्च किए गए 75,000 रुपये का भुगतान करने के लिए कर्मचारी उत्तरदायी थे, लेकिन कंपनी ने उसे माफ कर दिया है।
टर्मिनेशन लेटर में कहा गया है, "हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि 75,000/- रुपये की प्रशिक्षण लागत, जो आप भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं, माफ कर दी जाएगी।"
एक फ्रेशर ने जिसे विप्रो में खराब प्रदर्शन के कारण नौकरी से निकाल दिया गया था, उसने एक मीडिया संस्थान से बातचीत में कहा, “मुझे जनवरी 2022 में एक ऑफर लेटर मिला था, लेकिन महीनों की देरी के बाद उन्होंने मुझे ऑनबोर्ड कर लिया और अब ये टेस्ट का बहाना बता कर मुझे नौकरी से निकाल रहे हैं?"
इस महीने की शुरुआत में विप्रो ने अपने Q3 FY23 परिणामों की सूचना जारी की थी। कंपनी ने पिछले वर्ष की समान तिमाही में 2,969 करोड़ रुपये की तुलना में शुद्ध लाभ में 2.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3,052.90 करोड़ रुपये की कमाई की है। बता दें, कंपनी लगातार लाभ कमा रही है, लेकिन उसके बावजूद भी वह बाकि कंपनियों की तरह छंटनी करने पर आमादा है।
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