
Health Tips In Changing Weather: आजकल तापमान में गिरावट के साथ प्रदूषण भी बढ़ रहा है। एक तो त्योहारों का मौसम है, इसलिए लोग घरों से बाहर भी खूब निकल रहे हैं। वहीं, शहरों में व्हीकल्स की अधिकता होने से प्रदूषण से जुड़ी समस्याएं भी इन दिनों नेचरल तरीके से बढ़ जाती हैं। मौसम में बदलाव और तापमान में कमी आने से प्रदूषणकारी अतिसूक्ष्म कण (Particulate Pollution) (PM 2.5 और PM 10) नीचे आ जाते हैं, जिससे हवा विषैली होने लगती है।
वायुमंडलीय प्रदूषण (Atmospheric Pollution) का हमारे शरीर पर दो तरह से असर होता है। पहला- तापमान में बदलाव के चलते परिस्थितियां तरह-तरह के वायरस के फ्रेंडली हो जाती हैं, जिससे मनुष्य के शरीर में ये ज्यादा असरदार होने लगते हैं। इस दौरान टेंपरेचर में बदलाव से रेस्पिरेशन और स्किन इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। दूसरा- प्रदूषण के चलते रेस्पिरेटरी सिस्टम और आंखों पर असर पड़ता है। आंखों में जलन और संक्रमण की समस्या बढ़ जाती है। प्रदूषण से सांस लेने में तकलीफ, खांसी, जुकाम जैसी सामान्य दिक्कतें होती हैं।
सांस से जुड़ी बीमारियां इस समय इसलिए बढ़ जाती है, क्योंकि गर्म और ठंड के बीच शरीर का ताप संतुलन बिगड़ जाता है। इस टाइम रात को पंखा या एसी चलाकर सोते हैं, तो उससे शरीर का थर्मोरेगुलेशन संतुलन नहीं बिठा पाता है। ताप संतुलन बिगड़ने से इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है, इससे बुखार व संक्रमण का जोखिम बढ़ता है।
वायरल संक्रमण के अलावा इन दिनों वेक्टर जनित संक्रमण भी देखा जा रहा है, खासकर कई इलाकों में अभी भी डेंगू के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। कई जगहों पर मच्छरों के कारण लोगों को परेशानी हो रही है। मच्छरों से बचाव के लिए जरूरी सुरक्षा उपाय अपनाने पर ध्यान देना चाहिए।
ठंड सुबह अधिक होती है। बच्चों को पूरे कपड़े पहनाकर स्कूल भेजना चाहिए। उन्हें यह जरूर बताए कि दोपहर में खेलते समय पसीना होने पर उसे पंखा चलाकर न सुखाएं। बच्चों के खानपान में भी सावधानी रखें। ध्यान रखें कि उनकी नींद पूरी हो। अगर बच्चे को सांस की कोई दिक्कत होती है, तो डाक्टर की सलाह से ब्रॉन्कोडायलेटर (सांस लेने की मशीन) का इस्तेमाल कर सकते हैं। यही बात बड़ों के लिए भी ध्यान में रखनी है, जो लोग सीओपीडी (कोनिक आस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) या सांस के मरीज हैं, उनमें इस समय परेशानी बढ़ने की आशंका ज्यादा होती है।
ऐसे लोगों को अपनी दवा का नियमित सेवन करते रहना चाहिए। चूंकि, ठंड में ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक की आशंका भी होती है, ऐसे में सतर्कता थोडी अधिक रखनी चाहिए। जो लोग हाइपरटेंशन या डायबिटिक हैं, उनमें संक्रमण का जोखिम अधिक होता है। यदि उम्र 50-60 साल के बीच या उससे ज्यादा हैं, तो फ्लू का इंजेक्शन, स्वाइन फ्लू और अन्य तरह के फ्लू की वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए। इससे पूरी सर्दी में फायदा होगा। इस समय शरीर की रेसिस्टेंट कैपेसिटी को बेहतर रखने के लिए भरपूर नींद, तनावमुक्त रहने, पौष्टिक भोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ये तीनों बातें बहुत जरूरी है।
हर रात अच्छी और पूरी नींद लें।
घर के बने पौष्टिक भोजन लें और बाहर के भोजन से बचें।
देश के कुछ इलाकों टाइफाइड हमेशा बना रहता है, यह दूषित खाना खाने से होता है। इससे पेट में संक्रमण जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। ताजा और साफ सुथरा भोजन करें।
जहां धूल-मिट्टी हो रही है, वहां साफ-सफाई ध्यान रखें।
प्रदूषण बढ़ने के दौरान बाहर कम से कम निकलें। त्योहारों का दौर चल रहा है, तो कोशिश करें कि जिस चीज की बहुत जरूरत नहीं है या जो काम टाल सकते हैं, उसे इस दौरान न करें।
जिन्हें प्रदूषण से अधिक परेशानी होती है या पहले से दिल या सांस से जुड़ी कोई परेशानी है, उन्हें प्रदूषण बढ़ने पर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
शरीर को ढककर रखें, रात में थोड़ी गर्मी महसूस होने पर भी एसी या पंखे का इस्तेमाल ना करें। मच्छरों से बचाव के लिए पूरी बांह के कपड़े पहनें।
सुबह और शाम के समय प्रदूषण का लेवल ज्यादा हो जाता है, इसलिए इस दौरान बाहर खुले में व्यायाम करने के बजाय इसे घर में ही करें।
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