Generic Medicine: - के अलावा दूसरी दवाइयां भी लिख सकेंगे डॉक्टर

Generic Medicine : नेशनल मेडिकल कमीशन ने अपने पुराने फैसले पर रोक लगता हुए साफ किया है कि अब डॉक्टर जेनेरिक के अलावा दूसरी दवाइयां भी लिख सकेंगे।
Generic Medicine: Apart from these, doctors will also be able to prescribe other medicines.
Generic Medicine: Apart from these, doctors will also be able to prescribe other medicines.25/08/2023

नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने बड़ा यूटर्न लेते हुए अपने ही फैसले को पलट दिया है। एनएमसी ने अपने पुराने फैसले को टालते हुए साफ किया है कि डॉक्टर्स अब जेनेरिक दवाइयों के अलावे दूसरी दवाई भी मरीजों के प्रिस्किप्सन पर लिख सकते हैं।

इससे पहले नेशनल मेडिकल कमीशन ने फरमान जारी करते हुए कहा था कि सभी डॉक्टरों को मरीजों की पर्ची पर जेनेरिक दवाइयां लिखना अनिवार्य होगा और जो डॉक्टर ऐसा नहीं करते हैं उनके प्रेक्टिस लाइसेंस को रद्द कर दिया जाएगा।

एनएमसी (NMC) के इस फरमान पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA) ने चिंता जताते हुए विरोध किया। इन लोगों का कहना है कि जेनेरिक दवाइयों की क्वालिटी को लेकर अनिश्चित्ता बन रही है, ऐसे में नेशनल मेडिकल कमीशन का सिर्फ जेनेरिक दवाई लिखने का आदेश नहीं है।

इस सिलसिले में इस संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से भी मुलाकात की थी। इन लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री से मामले में दखल देने और एनएमसी अपने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की थी।

आपको बता दें कि देश जनेरिक दवाइयों के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। यह किसी भी ब्रांडेड मेडिसन की तुलना में 30 से 80 फीसदी तक सस्ता होता है। ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चे में कमी आएगी। क्योंकि देश में लोगों की कमाई का बड़ा हिस्सा दवाइयों पर खर्च हो रहा है।

एनएमसी का मानना है कि ऐसे में अगर डॉक्टर मरीजों के पर्चे पर सिर्फ जेनेरिक दवाओं के नाम लिखते है तो लेकर इससे खरीदने को लेकर प्रेरित होंगे और स्वास्थ्य खासकर दवाइयों पर होने वाले खर्चे में कमी आएगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल का कहना है कि केंद्र सरकार ने अस्पतालों, स्वास्थ्य योजना कल्याण केंद्रों और पॉलीक्लिनिक के डॉक्टरों से जेनेरिक दवाई लिखने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी रेजिडेंट और एक्सपर्ट्स डॉक्टर मरीजों के प्रिस्क्रिप्शन पर सिर्फ ब्रांडेड दवाइओं के नाम लिख रहे हैं। जो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगा।

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