नई दिल्ली: कर्नाटक में कांग्रेस की जीत ने विपक्षी खेमे के लिए 'संजीवनी' का काम किया है। दावे किए जा रहे हैं कि मोदी-शाह की जोड़ी को भी चुनाव में शिकस्त दी जा सकती है। दरअसल, पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों के बाद भी कर्नाटक में भाजपा की सरकार नहीं बची, इसे विपक्ष अपने लिए बड़ा संकेत मान रहा है। विपक्षी नेताओं की मुलाकातें हो रही हैं। चर्चा चली कि जून के महीने में पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक होने वाली है। मिशन 2024 पर केंद्रित इस बैठक की मेजबानी नीतीश कुमार करने वाले थे, कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के भी पहुंचने की चर्चा थी लेकिन बात नहीं बनी। बैठक स्थगित करनी पड़ी। इधर, भाजपा की तरफ से अमित शाह और जेपी नड्डा की जोड़ी ने एनडीए कुनबे को फिर से मजबूत करना शुरू कर दिया है। जी हां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को एक बड़ा मैसेज दिया था, इसके बाद भाजपा ने रणनीति बदली। आम चुनाव और कई राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए एनडीए से छिटके सहयोगी दलों को फिर से साथ लाने की तैयारी हो रही है। कुछ नए दलों को भी जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
चंद्रबाबू फिर साथ आएंगे!
पिछले दिनों एनडीए के पुराने सहयोगी टीडीपी के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू की गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात हुई थी। इसके बाद दोनों पार्टियों के बीच फिर से गठबंधन की चर्चा शुरू हो गई। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 2018 के बाद से नायडू और शाह की यह पहली मुलाकात थी। 5 साल पहले TDP ने भाजपा की अगुआई वाले एनडीए से रिश्ता तोड़ लिया था। नायडू तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ आम चुनावों के लिए भी भाजपा के साथ गठबंधन करना चाहते हैं। भाजपा भी मिशन साउथ को मजबूती देने के लिए सहयोगी ढूंढ रही है।
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