पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में आज 'एक देश, एक चुनाव' समिति की पहली बैठक

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में आज एक देश, एक चुनाव समिति की पहली बैठक होगी. ये बैठक आज दोपहर 3 बजे होगी.
First meeting of 'One Country, One Election' committee today under the chairmanship of former President Ramnath Kovind.
First meeting of 'One Country, One Election' committee today under the chairmanship of former President Ramnath Kovind.06/09/2023

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में आज एक देश, एक चुनाव समिति की पहली बैठक होगी. ये बैठक आज दोपहर 3 बजे होगी. सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति की अधिसूचना जारी की थी. यह समिति इस मुद्दे पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इसके बाद ही यह तय होगा कि आने वाले समय में क्या सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी कराएगी या नहीं. 

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में आज एक देश, एक चुनाव समिति की पहली बैठक होगी. ये बैठक आज दोपहर 3 बजे होगी. सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति की अधिसूचना जारी की थी. यह समिति इस मुद्दे पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इसके बाद ही यह तय होगा कि आने वाले समय में क्या सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी कराएगी या नहीं. कई साल तक एक साथ हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव 

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भारत में आजादी के कुछ समय बाद तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ ही कराए जाते थे. 1951-52 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव ज्यादातर एक साथ हुए. लेकिन इस प्रथा को बाद में खत्म करके विधानसभा और लोकसभा चुनाव को अलग-अलग से कराया जाने लगा. हालांकि, इसे लागू करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गिर जाए तो ऐसे में क्या किया जाएगा

संशोधन की आवश्यकता होगी...

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी उच्चस्तरीय समिति एकसाथ चुनाव आयोजित कराने के बारे में संभावनाएं तलाशेगी और सिफारिशें करेगी. समिति संविधान, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य कानून एवं नियमों की पड़ताल करेगी तथा विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करेगी, क्योंकि एकसाथ चुनाव कराने के उद्देश्य से इनमें संशोधन की आवश्यकता होगी. समिति इस बात की भी पड़ताल और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी. समिति त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या दलबदल अथवा एकसाथ चुनाव की स्थिति में ऐसी किसी अन्य घटना जैसे परिदृश्यों का विश्लेषण और संभावित समाधान भी सुझाएगी. 

समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे हैं और इसमें गृहमंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह का शामिल किया गया था. लेकिन अधीर रंजन चौधरी ने अपना नाम वापस ले लिया है. गृह मंत्री शाह को लिखे पत्र में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने समिति का सदस्य बनने से इनकार कर दिया. 

ये लोग भी हैं समिति में शामिल

उच्च स्तरीय समिति में पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी सदस्य होंगे. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में समिति की बैठकों में हिस्सा लेंगे, जबकि कानूनी मामलों के सचिव नितेन चंद्रा समिति के सचिव होंगे.

बता दें कि केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है. सूत्रों के अनुसार, सरकार इस दौरान एक देश एक चुनाव को लेकर बिल भी ला सकती है.

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