Explainer: ED पर सुप्रीम कोर्ट में क्यों घिरी मोदी सरकार? एजेंसी के बॉस पर अब 'दोस्त' ने भी उठा दिए सवाल

ईडी के ऐक्शन पर विपक्ष सवाल उठाता है। किसी भी थाने में एक करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला आने पर एजेंसी ऐक्टिव हो जाती है। यह विदेश में संपत्ति, खरीद-
Explainer: Why is the Modi government surrounded in the Supreme Court on ED? Now the 'friend' also raised questions on the boss of the agency
Explainer: Why is the Modi government surrounded in the Supreme Court on ED? Now the 'friend' also raised questions on the boss of the agency28/02/2023
  • ईडी डायरेक्टर के कार्यकाल विस्तार पर घिरी सरकार

  • तीन बार एक्सटेंशन मिलने पर विपक्षी नेता पहुंचे कोर्ट

  • सुप्रीम कोर्ट के फ्रेंड ने कहा, यह विस्तार अवैध था

  • ED यानी प्रवर्तन निदेशालय जब भी किसी विपक्षी नेता के खिलाफ कार्रवाई करता है तो सियासी हमले शुरू हो जाते हैं। विपक्ष के नेता केंद्र सरकार को घेरने लगते हैं। हालांकि इस समय ईडी डायरेक्टर को मिला कार्यकाल विस्तार सवालों के घेरे में है। मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। दरअसल, ईडी निदेशक एसके मिश्रा का कार्यकाल पांच साल तक बढ़ा दिया गया। इसके लिए कानून में संशोधन भी किया गया। इस फैसले के विरोध में याचिकाएं दाखिल की गईं। सरकार की मुश्किल तब और बढ़ गई जब इस मामले में न्याय मित्र (Amicus Curiae) नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता ने कह दिया कि एक्सटेंशन गैरकानूनी है। जबकि सरकार की तरफ से दलील दी गई थी कि जो लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं उनके या उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले चल रहे हैं। आखिर सरकार के फैसले का विरोध क्यों हो रहा है? मोदी सरकार के समय कानून में क्या बदलाव हुआ? आइए जानते हैं।

  • ईडी डायरेक्टर का मामला क्या है?
    ED के डायरेक्टर एस के मिश्रा हैं। उन्हें तीसरी बार कार्यकाल विस्तार दिया गया है। केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा कि भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी के पद पर मिश्रा (62) को एक साल का सेवा विस्तार दिया गया है। अधिसूचना में कहा गया है कि 1984 बैच के IRS अधिकारी 18 नवंबर 2023 तक पद पर रहेंगे। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, जया ठाकुर और तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, साकेत गोखले आदि ने याचिकाएं दायर की हैं। इसी पर सुनवाई चल रही है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग कर लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे को नष्ट कर रही है। कांग्रेस नेता ने दलील दी है कि शीर्ष अदालत ने एक विशिष्ट आदेश में मिश्रा को आगे सेवा विस्तार नहीं देने को कहा था लेकिन केंद्र ने उन्हें 17 नवंबर 2021 से 17 नवंबर 2022 तक दूसरा सेवा विस्तार दे दिया।

सरकार का तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर को ईडी के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा को दिए तीसरे एक्सटेंशन को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। केंद्रीय सतर्कता आयोग को भी नोटिस जारी किए गए थे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि इस मामले में याचिकाएं ऐसे नेताओं की ओर से दी गई हैं जिनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले लंबित हैं। सरकार की ओर से कहा गया, ‘मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर मामलों का सामना कर रहे लोग ही कोर्ट आए हैं।’

मिश्रा पहली बार कब बने ईडी डायरेक्टर
संजय कुमार मिश्रा को पहली बार 19 नवंबर 2018 को दो साल के लिए ईडी का बॉस बनाया गया था। 13 नवंबर, 2020 को एक आदेश में केंद्र ने नियुक्ति पत्र को संशोधित किया और कार्यकाल तीन साल कर दिया गया।

पिछले साल सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर कहा कि ईडी और सीबीआई प्रमुखों का कार्यकाल दो साल की अनिवार्य अवधि के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। केंद्र ने 5 सितंबर को शीर्ष अदालत में दलील दी थी कि ईडी प्रमुख को सेवा विस्तार और संशोधित कानून को कुछ नेता चुनौती दे रहे हैं, यह उनकी दबाव बनाने की रणनीति है। तब SC ने वरिष्ठ वकील विश्वनाथन को सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया था।

न्याय मित्र ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता के.वी. विश्वनाथन को न्याय मित्र बनाया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी राय रखी। विश्वनाथन ने साफ कहा कि कार्यकाल विस्तार अवैध है। उन्होंने कहा कि न केवल एक्सटेंशन बल्कि सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ऐक्ट 2003 में किया गया 2021 संशोधन भी अवैध है। इसी संशोधन के जरिए केंद्र सरकार को ईडी डायरेक्टर का कार्यकाल 5 साल तक बढ़ाने के अधिकार मिल गए। वरिष्ठ वकील ने आगे कहा कि एक्सटेंशन गैरकानूनी है क्योंकि कोर्ट पहले ही कह चुका है कि केवल असाधारण मामलों में ही सेवा विस्तार दिया जा सकता है। कॉमन काज जजमेंट में दिए गए निर्देश के तहत मिश्रा को नवंबर 2021 से आगे विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए था।

याचिका लंबित रहने के दौरान फिर से 18 नवंबर 2022 से 18 नवंबर 2023 तक तीसरा सेवा विस्तार दे दिया गया। याचिकाओं में कहा गया है कि इससे लगता है कि कानून के शासन के प्रति कोई सम्मान नहीं है। 18 नवंबर को जस्टिस एस के कौल ने ईडी निदेशक के लिए 5 साल तक विस्तार की अनुमति देने वाले संशोधित कानून को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। एक दिन बाद ही मिश्रा को ईडी प्रमुख के तौर पर एक साल का सेवा विस्तार दे दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी आर गवई और अरविंद कुमार की पीठ ने कहा है कि इस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। अब अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।

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