
लेकिन 24 घंटे के अंदर उन्होंने अचानक यू टर्न ले लिया और अपने सैनिकों की वापसी की घोषणा की.
ये विद्रोह जितना अचानक शुरू हुआ था, उतना ही अचानक समाप्त भी हो गया.
लेकिन इन 24 घंटों ने दुनिया को चौंका दिया और विशेषज्ञों के बीच आम सहमति यह बनी कि इस घटना ने राष्ट्रपति पुतिन की स्थिति कमज़ोर कर दी है.
इस घटना ने रूस के सबसे क़रीबी मित्र चीन को भी चिंता में डाल दिया. लेकिन 24 घंटे के अंदर चीन ने राष्ट्रपति पुतिन के समर्थन की घोषणा कर दी.
रविवार को चीनी विदेश मंत्री चिन गांग और चीनी उप विदेश मंत्री मा जोशू ने बीजिंग में दौरे पर आए रूसी उप विदेश मंत्री एंड्रे रुड्येंको से मुलाक़ात की.
इसके बाद चीनी पक्ष ने वागनर ग्रुप की ओर से किए गए विद्रोह को रूस का आंतरिक मामला बताया.
इसके साथ ही राष्ट्रीय स्थिरता बनाए रखने के रूस के प्रयासों के लिए समर्थन व्यक्त किया.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "रूस के एक पड़ोसी दोस्त और नए दौर के रणनीतिक भागीदार के रूप में, चीन राष्ट्रीय स्थिरता बनाए रखने और विकास और समृद्धि प्राप्त करने में रूस का समर्थन करता है."
चीन और रूस, दो प्रमुख वैश्विक शक्तियां हैं, जिनके रिश्तों में हालिया वर्षों में उल्लेखनीय उछाल देखने को मिला है.
इन दोनों देशों के बीच साझेदारी एक रणनीतिक गठबंधन के रूप में विकसित हुई है, जो आपसी हितों और साझा भू-राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है.
पिछले कुछ सालों में दोनों देश एक-दूसरे के काफ़ी क़रीब आते दिखे हैं.
साल 2022 की चार फ़रवरी को बीजिंग में आयोजित शीतकालीन ओलंपिक की आधिकारिक शुरुआत से कुछ घंटे पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ एक लंबी बैठक की थी.
इसके बाद जारी एक संयुक्त बयान में द्विपक्षीय संबंधों को 'सीमाओं से परे दोस्ती' कहा गया.
इस घोषणा के चार दिन बाद ही रूस ने यूक्रेन पर चढ़ाई कर दी. चीन ने अब तक रूस के इस आक्रमण की आलोचना नहीं की है बल्कि इनके बीच दोस्ती में और भी गर्मजोशी आई है, जैसा कि दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ के प्रोफ़ेसर स्वर्ण सिंह कहते हैं, "चीन रूस के इतना क़रीब जा चुका है कि वो अब किसी भी हालत में पीछे नहीं हट सकता."
एक मज़बूत रूस को देखना जब चीन के हित में है तो प्रिगोज़िन के विद्रोह से क्या चीन को चिंता नहीं होगी?
प्रोफ़ेसर स्वर्ण सिंह कहते हैं, "चीन को बहुत चिंतित होना चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति पुतिन के साथ मिलकर वो अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करना चाहता है, बदलाव लाना चाहता है."
वह कहते हैं, "दिलचस्प बात ये है कि पुतिन को किस तरह का धक्का लगा है, वो बातें सामने नहीं आ रही हैं. और उनका सामने न आना और घटना के बारे में कुछ न कहना, उनके लिए चुनौती को और भी गंभीर बनाता है."
हालांकि, विद्रोह के तुरंत बाद राष्ट्रपति पुतिन ने एक टीवी संबोधन में घोषणा की थी कि विद्रोह "एक आपराधिक काम है, एक गंभीर अपराध है, ये देशद्रोह, ब्लैकमेल और आतंकवाद है."
लेकिन कुछ ही घंटों बाद एक समझौते के तहत उन्होंने वागनर प्रमुख प्रिगोज़िन के ख़िलाफ़ सभी आपराधिक आरोप वापस लेने का फ़ैसला लिया.
सिंगापुर में चीनी मूल के वरिष्ठ विश्लेषक सन शी के मुताबिक़, राष्ट्रपति पुतिन की एक मज़बूत नेता की छवि कमज़ोर ज़रूर हुई है लेकिन रूस पर इसका कोई ख़ास असर नहीं होगा.
वो कहते हैं, "इस घटना से पुतिन की ताक़त कमज़ोर या क्षतिग्रस्त हो गई है लेकिन एक राष्ट्र के रूप में रूस कमज़ोर नहीं हुआ है. क्योंकि इस मामले को भी 24 घंटे के भीतर हल कर लिया गया."
इसका मतलब ये है कि यह सिर्फ़ एक अप्रिय घटना थी. इस घटना का पुतिन की प्रतिष्ठा पर कुछ प्रभाव पड़ा है लेकिन रूस पर बहुत सीमित प्रभाव पड़ा है.
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