चंद्रयान-3 का लॉन्च शुक्रवार को सफ़लतापूर्वक पूरा हो गया है. चंद्रमिशन के तहत चांद पर भेजा गया चंद्रयान-3 पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा.
चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे लॉन्च किया गया था.
फ़्रांस दौरे पर गए पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 लॉन्च की बधाई देते हुए ट्वीट किया. पीएम मोदी ने कहा, "चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक शानदार चैप्टर की शुरुआत की है."
पीएम मोदी ने कहा, "यह भारत के हर व्यक्ति के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर ले जाते हुए ऊंचाइयों को छू रहा है. यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं उनके उत्साह और प्रतिभा को सलाम करता हूँ."
इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा, "चंद्रयान-3 ने चांद की अपनी यात्रा शुरू कर दी है. चंद्रयान-3 को शुभकामनाएं दें कि आने वाले दिनों में वो चांद पर पहुंचे. एएलवीएम3-एम4 रॉकेट ने चंद्रयान 3 को सटीक कक्षा में पहुंचा दिया है."
इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 की गतिविधि पूरी तरह से सामान्य है और वो उसे चांद की सतह पर देखने की प्रतीक्षा में हैं.
चंद्रयान-3 तीन में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगा हुआ है. इसका कुल भार 3,900 किलोग्राम है.
चंद्रयान 3 के लॉन्च को देखने के लिए कई स्कूलों के क़रीब 200 स्टूडेंट्स स्पेस सेंटर पर पहुंचे थे. इस दौरान हज़ारों लोग स्पेस सेंटर पर मौजूद दिखे.
चंद्रयान-3 पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा.
पीएम मोदी ने चंद्रयान-3 के लॉन्च से पहले ट्वीट कर कहा था- ''भारत के स्पेस सेक्टर के क्षेत्र में 14 जुलाई 2023 की तारीख़ सुनहरे अक्षरों में लिखी जाएगी.''
इस मिशन में चंद्रयान का एक रोवर निकलेगा जो चांद की सतह पर उतरेगा और लूनर साउथ पोल में इसकी पोजिशनिंग होगी.
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चंद्रयान-3 की ने अपनी लॉन्चिंग के चार चरण सफलता पूर्वक पूरे कर लिए हैं.
इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 पृथ्वी की निर्धारित कक्षा में पहुंच गया है जहां से वो चांद की कक्षा की ओर प्रस्थान करेगा.
इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा, ''चंद्रयान-3 ने चांद की अपनी यात्रा शुरू कर दी है. चंद्रयान-3 को शुभकामनाएं दें कि आने वाले दिनों में वो चांद पर पहुंचे.''
सोमनाथ ने कहा, ''एएलवीएम3-एम4 रॉकेट ने चंद्रयान 3 को सटीक कक्षा में पहुंचा दिया है.''
इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 की गतिविधि पूरी तरह से सामान्य है और वो उसे चांद की सतह पर देखने की प्रतीक्षा में हैं.
लेकिन पिछली अनहोनी के बाद इसके कामयाब होने की कितनी संभावना है? चंद्रयान-3 में क्या-क्या बदलाव किए गए हैं? किन-किन चीज़ों का ध्यान रखा गया है? इस मिशन का लक्ष्य क्या है? ऐसे कई बुनियादी सवाल, जिनके जवाब जानने के लिए बीबीसी ने बात की डॉ आकाश सिन्हा से.
डॉ आकाश सिन्हा की अंतरिक्ष, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोट्स, ड्रोन्स में विशेषज्ञता है और वह शिव नादर यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं.
नीचे दिए गए सभी सवाल-जवाब, उनसे हुई बातचीत पर आधारित है.
सवाल: इस बात की कितनी संभावना है कि चंद्रयान 3, चंद्रयान- 2 के रास्ते नहीं जाएगा? इस बार क्या-क्या बदलाव किए गए हैं?
जवाब: बीते 50 सालों में कई मिशन प्लान और एग्जिक्यूट किए गए हैं, लेकिन चंद्रयान-2 ने पहली बार चांद पर पानी की खोज की. भले ही उसका लैंडर बाहर नहीं आ पाया पर इस बार हम आश्वस्त हैं कि वो ज़रूर होगा.
इस विश्वास के पीछे जो कारण हैं, वो ये कि पिछली बार लैंडर के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, उसमें अब बहुत बदलाव हुए हैं.
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