
मुंबई में ही महिलाओं के समूह ने काली मां का स्वरूप धारण किया, दही हांडी खेली और डांस भी किया। गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर से श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण की झांकी निकाली। देशभर के मंदिरों को आज सुंदर रोशनी से सजाया गया है। नोएडा, दिल्ली समेत देश के तमाम इस्कॉन मंदिरों में रात से ही भजन-पूजन चल रहा है।
गुजरात के राजकोट में मंगलवार से ही जन्माष्टमी का मेला शुरू हो गया है। ये मेला 9 सितंबर तक जारी रहेगा। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस साल दही हांडी उत्सव के लिए प्रो गोविंदा नाम से एक कॉम्पिटिशन आयोजित किया है, जिसमें जीतने वाले को कैश प्राइज दिया जाएगा।
इस साल दो दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी
देश के कई शहरों में बुधवार को जन्माष्टमी मनाई गई। रात 12 बजे मंदिरों और घरों में लोगों ने भगवान कृष्ण की पूजा की। हालांकि देश के कई बड़े मंदिरों में आज (7 सितंबर) को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इन मंदिरों में मथुरा का कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, वृंदावन का बांके बिहारी और द्वारका का द्वारकाधीश मंदिर शामिल हैं। इन मंदिरों में 7 और 8 सितंबर की दरमियानी रात 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव होगा।
वहीं, उज्जैन और वाराणसी समेत कई जगहों पर जन्माष्टमी बुधवार को मनाई गई। इस दौरान उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में कान्हा का नींबू और भुट्टे से शृंगार किया गया। वहीं, देशभर के स्कूलों में बच्चे कान्हा की ड्रेस में पहुंचे। कई जगह मटकी फोड़, दही हांडी के इवेंट हुए। वहीं केरल में उरियादी मनाई गई।
UP के जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति बुधवार को बांके बिहारी मंदिर पहुंचे। उन्होंने मंदिर प्रशासन को बांके बिहारी जी के लिए ड्रेस सौंपा। इसे बंदियों ने दिन रात मेहनत करके 15 दिन में तैयार किया है। रेशम के धागे से बनी यह ड्रेस 24 मीटर कपड़े से बनी है। जो हल्के पीले रंग की है। जन्माष्टमी पर इसे भगवान कृष्ण को पहनाया जाएगा।
ज्यादातर त्योहार दो दिन क्यों होते हैं?
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हिंदू पंचांग की तिथियां अंग्रेजी कैलंडर के मुताबिक नहीं होतीं। अक्सर तिथियां दोपहर या शाम से शुरू होकर अगले दिन तक होती हैं। जिस तिथि में दिनभर व्रत के बाद पूजन का महत्व होता है, वे ज्यादातर उदया तिथि में मनाई जाती हैं।
जिन तिथियों में रात की पूजा का महत्व ज्यादा होता है, उनमें उदया तिथि का महत्व नहीं देखा जाता। जैसे दीपावली में अगर अमावस्या एक दिन पहले ही शुरू हो गई हो तो अगले दिन उदया तिथि की अमावस्या की बजाय एक दिन पहले की अमावस्या पर रात में लक्ष्मी पूजन किया जाएगा।
जन्माष्टमी वैसे तो पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन गोकुल का नजारा थोड़ा अलग होता है। लगभग 5000 साल पहले द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन के 11 साल एक महीना इसी जगह पर बिताए थे।
गोकुल के नंद चौराहे पर लाला की छीछी बांटी जाती है। छीछी दही, हल्दी, चंदन पाउडर, पुष्प आदि का मिश्रण कर तैयार की जाती है। जिस श्रद्धालु पर शोभायात्रा में यह छीछी पड़ जाती है, वह समझता है कि भगवान का आशीर्वाद मिल गया।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज और कल, दोनों ही दिन मनेगी। आज मनाने वालों के लिए श्रीकृष्ण पूजा के 3 मुहूर्त हैं। 7 सितंबर को 4 मुहूर्त रहेंगे। आज सर्वार्थसिद्धि मुहूर्त के साथ पांच राजयोग में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनेगा।
अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर करीब 3.30 बजे शुरू होगी और 7 सितंबर को शाम 4 बजे तक रहेगी। श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की रात में हुआ था, इसलिए ज्योतिषियों और ग्रंथों का कहना है 6 को जन्माष्टमी मनाएं।
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