
देश में समान नागरिक संहिका को लेकर पहली बार भाजपा सांसद और मंत्री का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) से पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी लोग, उनके रीति-रिवाज और अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार में पूर्व कानून राज्य मंत्री और वर्तमान में स्वास्थ्य राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि भाजपा आदिवासी समुदायों की विविधता और संस्कृति का सम्मान करती है। कहा कि भाजपा ऐसा कोई कानून नहीं लागू करेगी जो उनके हितों के खिलाफ हो।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने एक आदिवासी महिला को भारत के राष्ट्रपति के रूप में नामित किया, जो देश का सर्वोच्च पद है। आज के समय में आदिवासी विधायकों, सांसदों, राज्यसभा सदस्यों और मंत्रियों की सबसे बड़ी संख्या है। पार्टी पूर्वोत्तर के रीति-रिवाजों का सम्मान करती है। हम किसी भी धार्मिक या सामाजिक रीति-रिवाजों को चोट नहीं पहुंचाएंगे, लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति भी सही नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि संविधान की अनुसूची 6 के अनुसार असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में कुछ आदिवासी क्षेत्रों को विशेष प्रावधान मिले हैं। इन आदिवासियों पर तब तक कुछ भी लागू नहीं होगा, जब तक उनकी अपनी राज्य विधानसभाएं केंद्र के फैसले की पुष्टि नहीं कर देतीं।
उन्होंने कहा कि जहां तक दूसरे राज्यों के आदिवासियों की बात है तो उनसे भी सलाह ली जाएगी, क्योंकि कोई भी कानून बनाने से पहले उनकी राय को ध्यान में रखा जाता है। बताया गया है कि कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के प्रमुख और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने भी एक सवाल के जवाब में कहा था कि उत्तर पूर्व और अन्य क्षेत्रों में आदिवासी आबादी को यूसीसी के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।
बता दें कि यूसीसी एक संवैधानिक जनादेश है, जिसका उद्देश्य विभिन्न धार्मिक समुदायों में विवाह, तलाक, विरासत और अन्य मामलों को नियंत्रित करने वाले एक ही कानून होना है। भाजपा यूसीसी को अधिनियमित करने पर जोर दे रही है, जो उसके प्रमुख वैचारिक मुद्दों में से एक है। बताया गया है कि पिछले हफ्ते पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश में एक रैली के दौरान इस विषय पर सार्वजनिक बहस की अपील की थी।
हालांकि, यूसीसी को विभिन्न समुदायों जैसे अल्पसंख्यक समूहों और आदिवासी समुदायों से खुल कर विरोध सामने आ रहा है। उन्हें डर है कि इससे उनकी पहचान और स्वायत्तता खत्म हो जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भाजपा के सहयोगी कई गैर सरकारी संगठन और राजनीतिक दल भी इसका विरोध कर चुके हैं।
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