
बठिंडा के मिलिट्री स्टेशन में फायरिंग की घटना तब हुई जब जवान अपनी बैरक में सो रहे थे। सेना और पुलिस ने घटनास्थल से इंसास रायफल के 19 खोल बरामद किए हैं। घटना से दो दिन पहले सेना की एक इकाई से एक रायफल और 28 गोलियां गायब हो गए थे। सेना ने बताया कि इस इंसास रायफल को बरामद कर लिया गया है। ऐसा शक है कि गुम हुई रायफल का ही गोलीबारी में इस्तेमाल हुआ। सेना इस रायफल का फरेंसिक अनालिसिस कराएगी। उधर प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि दो हमलावर थे और वे सिविल कपड़ों में आए थे। वहीं बुधवार की रात को एक और जवान की संदिग्ध मौत हो गई। हालांकि सेना का दावा है कि जवान की मौत, गलती से उसकी ही रायफल से हुई फायरिंग से हुई है। सेना ने बठिंडा फायरिंग मामले को इंटर्नल मामला बताया है लेकिन कई सवाल उठ रहे हैं।
बठिंडा छावनी देश के सबसे बड़े गोला-बारूद डिपो में से एक है। यह चंडीगढ़-फाजिल्का खंड पर राष्ट्रीय राजमार्ग-7 के साथ स्थित है जो आगे राजस्थान की ओर जाता है। यह इलाका पाकिस्तान बॉर्डर से महज 150 किलोमीटर है। सेना के कैंट इलाके सेफ होते हैं। कैंप के पास सुरक्षा कड़ी होती है। आम इंसान को यहां आने-जाने की इजाजत नहीं होती है। सेना के इतने हाइ सेफ जोन में वारदात होना बहुत बड़ी बात है।
इलाके में इतनी सख्ती और सेना की चौकसी होने के बाद भी हमलावर आर्टिलरी यूनिट तक कैसे पहुंचे? उन्होंने तड़के यहां जाकर फायरिंग की। उनके हाथ में कुल्हाड़ी भी थे। दोनों हथियार इतने छोटे नहीं होते कि कोई भी इन्हें जेब में छिपाकर आ-जा सके। ऐसे में दो हमलावर हाथों में कुल्हाड़ी और इंसास जैसी रायफल लेकर फायरिंग करते हैं और वहां से आसानी से भाग भी निकलते हैं। खासबात यह भी है कि दोनों ने सफेद रंग के सादे कपड़े पहने थे। चेहरे और सिर को पूरी तरह से ढक रखा था। ऐसे में उन्हें एंट्री कैसे मिली और वे इतने सेफ जोन तक कैसे पहुंचे?
सेना का कहना है कि यह इंटर्नल मामला है लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि यह आंतरिक मामला कैसे हो सकता है? सूत्रों की मानें तो सेना ने कैंप में मौजूद जवानों की जांच की। कोई भी जवान मिसिंग नहीं है। ऐसे में यह बात साफ है कि हमलावर आपस का कोई जवान नहीं था। जब हमलावर सेना का जवान नहीं था तो फिर यह इंटर्नल मामला कैसे हो सकता है।
बठिंडा के मिलिट्री स्टेशन में घटना तड़के लगभग साढ़े चार बजे हुई। उसके बाद से यह मामला अंदर ही रहा। लगभग 9 बजे के बाद फायरिंग की घटना बाहर आई। इस दौरान पुलिस को सूचना मिली लेकिन उन्हें बाहर ही रोक दिया गया। पहले सूचना आतंकी हमले की आई लेकिन बाद में इसे आपसी फायरिंग की घटना बताया गया। पुलिस को दोपहर तक घटना स्थल पर जाने की इजाजत नहीं थी। सेना अंदरूनी जांच करती रही और दोपहर बाद पुलिस में एफआईआर कराई गई। पंजाब पुलिस और सैन्य पुलिस उन सैनिकों का जांच कर रही है, जो मंगलवार देर रात अपनी शिफ्ट खत्म होने के बाद ऑफिसर्स मेस में ड्यूटी पर थे और बैरक में सो रहे थे। योगेश और सागर एक कमरे में सो रहे थे जबकि संतोष और कामेश बगल के कमरे में थे। उनके कमरों के दरवाजे खुले हुए थे।
पंजाब के बठिंडा में जहां फायरिंग की घटना हुई। वहीं गुरुवार सुबह एक और सेना के जवान के मारे जाने की सूचना आई। सूत्रों ने कहा कि जवान बुधवार को हुई फायरिंग में घायल हुआ था और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। हालांकि सेना ने इस मामले में बयान जारी किया और कहा कि जवान की मौत उसकी ही सर्विस रायफल से हुई फायरिंग में हुई है। मृतक जवान की पहचान लघु राज शंकर के रूप में हुई है। बठिंडा कैंट पुलिस स्टेशन को एसएचओ गुरदीप सिंह ने कहा कि सिपाही अपने सर्विस हथियार के साथ संतरी ड्यूटी पर था। सिपाही के पास से एक ही हथियार का खोखा व कारतूस का डिब्बा मिला है। उन्हें तुरंत सैन्य अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया। भारतीय सेना का कहना है कि सिपाही 11 अप्रैल को छुट्टी से लौटा था। मामला कथित तौर पर आत्महत्या का लग रहा है। कल बठिंडा मिलिट्री स्टेशन में हुई घटना से कोई संबंध नहीं है।
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