नई विदेश व्यापार नीति में निर्यात बाध्यताओं को पूरा न कर पाने वालों को दी गई एमनेस्टी

नई विदेश व्यापार नीति के तहत सरकार व्यापारियों के सामने काम में आ रही दिक्कतों के निराकरण के लिए काम करने को तत्पर है. नई विदेश व्यापार नीति के तहत सरकार की ओर से घोषणा की गई है. सरकार ईपीसीजी, एडवांस अथॉराइजेशन और उच्च कर की वजह से परेशान निर्यातकों के भार को और लंबित मामलों को समाप्त करने के लिए वन टाइम सेटेलमेंट योजना भी नई व्यापार नीति में लेकर आई है.
Amnesty given to those who could not fulfill the export obligations in the new foreign trade policy
Amnesty given to those who could not fulfill the export obligations in the new foreign trade policy01/04/2023

देश की नई विदेश व्यापार नीति का ऐलान शुक्रवार को किया गया. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसे जारी किया. बाकी तमाम बातों के साथ इस बार निर्यात की व्यापारिक बाध्यताओं को पूरा कर पाने में नाकाम रहने वाले निर्यातकों के लिए एमनेस्टी की बात भी कही गई है. सरकार की ओर से वन टाइम सेटेलमेंट के माध्यम से ऐसे लोगों की राह आसान बनाई गई हैं जो अपनी निर्यात बाध्यताओं को पूरा नहीं कर पाए थे. विवाद से विश्वास के नारे के साथ सरकार व्यापारियों को हो रही दिक्कतों के समाधान की दिशा में काम कर ही है.

नई विदेश व्यापार नीति के तहत सरकार व्यापारियों के सामने काम में आ रही दिक्कतों के निराकरण के लिए काम करने को तत्पर है. नई विदेश व्यापार नीति के तहत सरकार की ओर से घोषणा की गई है. सरकार ईपीसीजी, एडवांस अथॉराइजेशन और उच्च कर की वजह से परेशान निर्यातकों के भार को और लंबित मामलों को समाप्त करने के लिए वन टाइम सेटेलमेंट योजना भी नई व्यापार नीति में लेकर आई है. अपनी निर्यात बाध्यताओं को पूरा नहीं कर पाने वाले निर्यातकों पर ब्याज के दबाव को कम करने पर सरकार ने ध्यान दिया है और ऐसे लोगों को एमनेस्टी के माध्यम से राहत दी गई है. सरकार का प्रयास है कि ऐसे लोगों में फिर से उठ खड़ा होने के लिए उत्साह पैदा और वे देश की प्रगति में भागीदार बन सकें. 

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) पेश की. इसका उद्देश्य देश के निर्यात को 2030 तक 2,000 अरब डॉलर तक पहुंचाना, भारतीय रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाना और ई-वाणिज्य निर्यात को बढ़ावा देना है. एफटीपी 2023 का रुख प्रोत्साहन के बजाए छूट और पात्रता आधारित व्यवस्था को अपनाना है. साथ ही निर्यातकों, राज्यों, जिलों तथा भारतीय दूतावासों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, लेनदेन लागत घटाना एवं और निर्यात केंद्र विकसित करना है.

देश का वस्तु एवं सेवा निर्यात शुक्रवार को समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष में 765 अरब डॉलर को पार कर सकता है. 2021-22 में यह 676 अरब डॉलर था.

विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष सारंगी ने नई विदेश व्यापार नीति के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि परंपरागत रूप से पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति की घोषणा की जाती रही है लेकिन इस नीति की कोई समाप्ति तिथि नहीं है और इसे बदलते वैश्विक परिदृश्य के मुताबिक अद्यतन किया जाता रहेगा.

इससे पहले, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एफटीपी 2023 पेश की. यह एक अप्रैल, 2023 से प्रभाव में आएगी.

गोयल ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय अगले चार-पांच महीनों के दौरान क्षेत्रवार या देशों के स्तर पर दुनिया में एक व्यापक पहुंच बनाने पर जोर देगा. विदेशों में भारतीय दूतावास तथा विदेश मंत्रालय विभाग के साथ मिलकर काम करेंगे.

वाणिज्य मंत्री ने कहा, ‘‘आगे जाकर हमें अपने निर्यात लक्ष्यों को पूरा करना है. 2030 तक हम 2,000 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पा लेंगे लेकिन इसमें ऐसा नहीं होना चाहिए कि सेवा निर्यात, वस्तु निर्यात से अधिक हो जाए.''

एफटीपी का उद्देश्य भारतीय रुपये में व्यापार को बढ़ावा देना और इसे वैश्विक रूप देना है. यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लेनदेन रुपये में करने का रास्ता खोलता है.

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि भारत ऐसे देशों के साथ भारतीय मुद्रा में व्यापार करने को तैयार है जो डॉलर की कमी या मुद्रा की विफलता का सामना कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय निर्यातकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनना होगा और उन्हें सब्सिडी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए.

व्यापार और उद्योग के हित की खातिर और निर्यातकों को प्रोत्साहन देने के लिए एफटीपी में उन निर्यातकों को राहत दी गई है जो अपने निर्यात बाध्यताओं को पूरा नहीं कर पाए. इसमें, अग्रिम प्राधिकरण और निर्यात संवर्धन पूंजीगत वस्तु (ईपीसीजी) योजनाओं के तहत निर्यात बाध्यताओं में चूक को लेकर एकमुश्त निपटान के लिए आम माफी योजना शुरू की गई है.

नई विदेश व्यापार नीति का उद्देश्य ‘एससीओएमईटी' (विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकियां) नीति के तहत दोहरे उपयोग वाले उत्पादों के निर्यात को व्यवस्थित करना है. इसमें, ‘निर्यात केंद्र के रूप में जिले' पहल के जरिए राज्यों और जिलों के साथ गतिविधियों को बढ़ाने पर जोर दिया गया है. इसके तहत हर जिले में उत्पादों और सेवाओं की पहचान करना, संस्थागत प्रणाली एवं जिला निर्यात कार्य योजना बनाना आदि शामिल है.

एफटीपी 2023 से ई-वाणिज्य निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा और इसके 2030 तक बढ़कर 200-300 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. इसके अलावा, इसमें कूरियर सेवाओं के माध्यम से निर्यात के लिए मूल्य सीमा 5 लाख रुपये प्रति खेप से बढ़ाकर 10 लाख रुपये की जा रही है.

इसमें विशेष अग्रिम प्राधिकरण योजना का विस्तार परिधान और कपड़ा क्षेत्र तक किया गया है और डेयरी क्षेत्र को औसत निर्यात बाध्याताएं बनाए रखने से छूट दी गई है.

नई एफटीपी में निर्यात उत्कृष्ट शहरों (टीईई) में चार नए शहरों को शामिल किया गया है जिनमें फरीदाबाद, मुरादाबाद, मिर्जापुर और वाराणसी हैं. ये पहले से मौजूदा 39 निर्यात उत्कृष्ट शहरों के अलावा हैं. डीजीएफटी ने कहा कि नीतिगत बदलाव नई एफटीपी की घोषणा के बगैर 2015 से ही किए जा रहे हैं.

पिछली नीति पांच साल की अवधि के लिए एक अप्रैल, 2015 से प्रभाव में आई थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी फैलने की वजह से इसका कई बार विस्तार दिया गया. अंतिम बार इसे सितंबर 2022 में 31 मार्च, 2023 तक के लिए बढ़ाया गया था.

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