भारत को नाटो देशों वाली टेक्नोलॉजी देगा अमेरिका:इंडो-अमेरिका संबंधों का नया दौर, मोदी की अमेरिका यात्रा में कई समझौते संभव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले दोनों देशों के शीर्ष अधिकारी एक ऐसी कवायद में जुटे हैं, जिस पर 13 महीने से पर्दा है। इनिशिएटिव फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (आईसेट) के तहत यह पहल क्वाड बैठक के दौरान जापान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच मुलाकात के दौरान हुई थी।
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America will give India the technology of NATO countries: t10/06/2023

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके अमेरिकी समकक्ष जैक सुलीवन के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। 22 जून से शुरू होने वाली मोदी की यात्रा के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। हालांकि, दोनों देशों ने यह खुलासा नहीं किया कि क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजी में ऐसी कौन सी तकनीक हैं, जिन्हें साझा किया जाएगा।

भारत को नाटो प्लस का दर्जा देना चाहता है अमेरिका
सूत्र बता रहे हैं कि अमेरिका अब उन डिफेंस, स्पेस और परमाणु तकनीकों का हस्तांतरण और संयुक्त निर्माण करने के लिए तैयार है, जिन्हें वह नाटो जैसे सामरिक सहयोगियों से ही साझा करता रहा है। इसलिए अमेरिकी संसद की एक समिति ने भारत को नाटो प्लस का दर्जा देने की सिफारिश की है। नाटो प्लस में अमेरिका उन देशों को रखता है, जो किसी सामरिक संधि से नहीं जुड़ना चाहते, बल्कि निष्पक्ष रहते हुए साझीदार बनना चाहते हैं।

पांचवीं पीढ़ी के सर्विलांस उपकरण, 6जी टेक्नोलॉजी में सहयोग के समझौते अहम
अमेरिका से भारत कुछ अहम टेक्नोलॉजी चाहता है। सुपर कंप्यूटर सर्विलांस के लिए पांचवीं पीढ़ी के उपकरणों की आपूर्ति का रास्ता भी इसी फ्रेमवर्क के तहत खुलेगा।

इन समझौतों की कवायद

  • एडवांस्ड सर्विलांस उपकरण, जो समुद्री और जमीनी सीमाओं की सुरक्षा मजबूत करेंगे।

  • एडवांस्ड AI, यह तकनीक डिफेंस के अलावा विकास योजनाओं में भी काम आएगी।

  • क्वांटम टेक्नोलॉजी, जो मौजूदा समय में सबसे तेज कंप्यूटिंग और सूचना विस्तार में काम आएगी।

  • रक्षा उद्योग का विकास, अंतरिक्ष उड़ान में सहयोग, नासा में इसरो के प्रोफेशनल्स की ट्रेनिंग।

  • 6जी कम्युनिकेशन में अमेरिका का सहयोग दूरसंचार के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हो सकती है।

दोनों NSA 12-13 जून को बैठकों में तय करेंगे एजेंडा
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और अमेरिकी समकक्ष जैक सुलीवन के बीच 12-13 जून को अहम बैठकें होंगी। इन बैठकों में दोनों देशों के बीच होने वाले समझौतों के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा। इससे पहले भी दोनों NSA लगातार बैठकें कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से पहले भारत के कई शीर्ष अधिकारियों के अमेरिकी दौरे चल रहे हैं।

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के भारत दौरे के बाद भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा वॉशिंगटन पहुंचे थे। उनसे पहले प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा अमेरिका गए थे, जहां उन्होंने वाणिज्य मंत्री जिना रायमोंडो के साथ बैठक की। अमेरिका की ओर से रायमोंडो और सुलीवन ही आईसेट के तहत होने वाले समझौतों पर काम कर रहे हैं।

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