अखिलेश यादव वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन पूजन कर शिविर और चुनाव की आगामी तैयारियों की शुरुआत करेंगे। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि बीजेपी के अयोध्या, काशी और मथुरा के साथ ही हार्ड हिंदुत्व के बीच सपा ने सॉफ़्ट हिंदुत्व की राजनीति का आगाज करने का प्लान तैयार किया है। सपा के 2024 लोकसभा के चुनावी एजेंडा 5 बिंदुओं में समझते हैं।
बीजेपी अयोध्या, काशी और मथुरा का एजेंडा तो सपा का सॉफ्ट हिंदुत्व
बीजेपी के एजेंडे में जहां अयोध्या, काशी और मथुरा है तो वहीं सपा ने नैमिषारण्य धाम को राजनीतिक चुनावी स्थल के रूप में चुना है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बीते दिनों स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए गए बयान से स्वर्ण वर्ग के वोटर्स सपा से नाराज दिखे। अखिलेश यादव ने निकाय चुनाव में शहर के अलावा ग्रामीण स्तर में प्रचार किया।
जहां बीजेपी लगातार हार्ड हिंदुत्व के साथ पसमांदा समाज के मुसलमानों पर भरोसा जता रही है तो वहीं अखिलेश यादव ने यादव मुस्लिम दलित के अलावा अब ब्राह्मण वोटर्स को रिझाने के लिए नैमिषारण्य की स्थली को चुना है।
फिलहाल प्रशिक्षण शिविर में पार्टी की रणनीति से लेकर कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने का तरीका सिखाया जाएगा। मतदाता सूची सत्यापन, मतदाताओं को बूथ तक ले आने सहित बूथ प्रबंधन का मंत्र दिया जाएगा। कार्यक्रम का उद्घाटन अखिलेश यादव करेंगे। अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा के चुनाव की शुरुआत चित्रकूट से की थी।
प्रत्येक लोक सभा में आयोजित होगा शिविर, नैमिष का तीन सीट पर प्रभाव
नैमिषारण्य ही नहीं समाजवादी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं का प्रदेश भर में सभी 80 लोकसभा सीटों पर सपा शिविर लगाएगी। सीतापुर की चौहद्दी में 4 लोकसभा और नौ विधानसभा सीट है। सपा के पास इसमें सिर्फ एक विधायक है, बीजेपी चारों लोकसभा सीट और 8 विधानसभा सीट पर काबिज है।
धौरहरा, मिश्रिख, सीतापुर और मोहनलालगंज लोकसभा सीट आती हैं। सपा के वरिष्ठ नेता ने बताया कि प्रमुख रूप से 80 लोकसभा सीटों पर शिविर का आयोजन किया जाएगा जिसमें बूथ मैनेजमेंट और सेक्टर वाइज पदाधिकारियों की चयन प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा।
लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रत्येक बूथ पर कैसे कार्यकर्ता मजबूत इस विषय पर प्रमुख रूप से अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई है। सियासी नजरिए से देखें तो सीतापुर जिला तीन लोकसभा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। यहां की नौ विधानसभा सीटें में सिर्फ एक पर सपा का कब्जा है। अन्य भाजपा के पास हैं।
यहां की पांच विधानसभा सीटें सीतापुर लोकसभा, हरगांव व महौली विधानसभा क्षेत्र धौरहरा लोकसभा क्षेत्र में हैं। इसी तरह मिश्रिख लोकसभा क्षेत्र में यहां की मिश्रिख विधानसभा के अलावा हरदोई की मल्लावां, संडीला व बालामऊ एवं कानपुर की बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। ऐसे में हर बूथ कमेटी के कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम में बुलाकर सीतापुर ही नहीं आसपास के जिलों को भी जोड़ने का प्रयास किया गया है।
30 से 40 लोक सभा सीट पर सपा का पूरा फोकस
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीट पर जिस तरीके से समाजवादी पार्टी अपना प्रशिक्षण शिविर शुरू कर रही है। उसके पीछे मुख्य वजह यह है युवा 30 से 40 लोकसभा की कुल सीटों पर चुनाव लड़ने का पूरी तैयारी करने में जुटी है। जिस पर 2014 के बाद सपा जीती है। यहीं नहीं 2014 से पहले सपा ने कभी जीता था।
राजनीतिक जानकार यह भी मानते हैं कि सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी आने वाले चुनावों में न सिर्फ दलित, यादव और मुस्लिम के कॉन्बिनेशन पर चुनाव लड़ेगी, बल्कि ब्राह्मणों को भी टिकट देकर मजबूत हिस्सेदारी देने की योजना बना रही है।
भाजपा को संविधान विरोधी बताते हुए लोहियावादियों और आंबेडकरवादियों को एक मंच पर लाने में जुटी है। दलितों एवं अति पिछड़ों को जोड़ने पर जोर दे रही है। विधानसभा चुनाव में करीब 38 फीसदी मत हासिल करने वाली पार्टी अब 40 से 45 % मत का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है।
इसलिए नैमिषारण्य चुना गया कार्यक्रम
संयोजक पूर्व विधायक रामपाल यादव ने बताया पुराण के अनुसार यहां भगवान द्वारा निमिष मात्र में दानवों का संहार होने से यह ‘नैमिषारण्य’ कहलाया। यही वजह है कि अब भाजपा के अंत के लिए सपा यहां से चुनावी अभियान की शुरुआत करने जा रही है।
शिविर शुरू होने से पहले 151 वेदी पर बैठे सपा अध्यक्ष सहित अन्य नेता वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन-पूजन करेंगे। वह ललिता देवी मंदिर भी जाएंगे। देवी-देवताओं से जीत का आशीर्वाद लेंगे। तीन हजार बूथ कमेटी सदस्य सहित पांच हजार लोग कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। सभी वरिष्ठ नेताओं से दो दिन वहीं रहने की अपील की गई है।
हिंदुत्व के साथ होने के आरोपों का खण्डन
नैमिषारण्य में पूजन अर्चना करने के साथ ही अखिलेश यादव इस बात के खंडन की भी कोशिश करेंगे कि बीजेपी जो सपा पर आरोप लगाती है कि उनका हिंदू प्रतीक चिन्हों से कोई लेना देना नहीं है। वहीं सपा अध्यक्ष ने अपने प्रवक्ताओं को यह भी कहा है कि धार्मिक मामलों में सतर्कता बरतें और किसी को भी आहत न करें। अखिलेश यादव ने नेताओं को धार्मिक टिप्पणी को लेकर सख्त हिदायत देते हुए सोशल मीडिया पर भी धार्मिक बातें लिखने को मना किया है।
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि समाजवादी पार्टी को मिलने वाली वोटिंग पैटर्न को भी अगर देखा जाए तो मुस्लिम और यादव एमवाई फैक्टर के आगे किसी जाति के बड़े हिस्से को समाजवादी पार्टी जोड़ती नहीं दिख रही है। जबकि बीजेपी अपने हिंदुत्व के एजेंडे में तमाम जातियों को अपने ओर खींचती हुई दिखाई देती है।
समाजवादी पार्टी ने वह प्रयोग भी कर के देख लिया जिसमें पिछड़ों की ही राजनीति के नारे लगाने हों जिसमें रामचरितमानस को लेकर सवाल उठाना, ओबीसी और एससी एसटी के आगे अपर कास्ट की जातियों को लेकर की जाने वाली टिका टिप्पणी शामिल है।
फिलहाल समाजवादी पार्टी के पिछले कुछ चुनावी परिणामों को अगर देखा जाए तो 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से समाजवादी पार्टी के हिस्से करारी हार आई है चाहे वो 2014 के लोकसभा चुनाव, 2017 के विधानसभा चुनाव, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव हो हर बार समाजवादी पार्टी को बीजेपी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है। निकाय चुनाव 2023 में एक भी मेयर नहीं जीत पाई तो वहीं दो एमएलसी की सीटों पर समाजवादी पार्टी विपक्षी एकता में सबको एक नहीं कर पाई है।
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