
बिहार से समता पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की और उद्धव के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को आवंटित उसका मशाल वापस लेने में मदद मांगी। पार्टी अध्यक्ष उदय मंडल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार शाम को ठाणे में शिंदे के कार्यालय में मुलाकात की। शिंदे के कार्यालय ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी साझा की।
यह बैठक चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने और उसे 'धनुष और तीर' चिन्ह आवंटित करने के कुछ दिनों बाद हुई है। समता पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने शिंदे को बताया कि समता पार्टी बिहार की एक पुरानी राजनीतिक पार्टी है और उसका चुनाव चिन्ह मशाल है। हालांकि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद चुनाव आयोग ने इसे ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को आवंटित कर दिया। प्रतिनिधिमंडल ने शिंदे से यह भी कहा कि वे चुनाव चिह्न वापस पाने के चुनाव आयोग के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे।
प्रतिनिधिमंडल ने सीएम शिंदे से समता पार्टी का चुनाव चिन्ह वापस पाने में मदद मांगी, जिस तरह से उनके गुट को 'धनुष और तीर' का चुनाव चिह्न मिला था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिवंगत नेता जॉर्ज फर्नांडिस द्वारा 1994 में गठित समता पार्टी ने पिछले साल अक्टूबर में ठाकरे की पार्टी के चुनाव चिह्न के आवंटन के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की थी और इसके खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने मामले को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उसे पार्टी के चुनाव चिन्ह तय करने का कोई अधिकार नहीं है। साल 2004 में चुनाव आयोग द्वारा समता पार्टी की मान्यता रद्द कर दी गई थी।
चुनाव आयोग ने पिछले साल ठाकरे गुट को जलती मशाल का चुनाव चिह्न आवंटित करते हुए कहा था कि चुनाव चिह्न मुक्त प्रतीकों की सूची में नहीं था और यह अब अमान्य हो चुकी समता पार्टी का पूर्व में आरक्षित प्रतीक था, लेकिन इसने इसे आवंटित करने का फैसला किया है।
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