OCCRP की रिपोर्ट को अडानी समूह ने नकारा: कहा- हिंडनबर्ग ने भी की थी ऐसी ही निराधार बातें, जॉर्ज सोरोस की फंडिंग को बताया पीछे

दरअसल कुछ दिन पहले रिपोर्ट आई थी कि खोजी पत्रकारों वाला 24 गैर-लाभकारी जाँच केंद्रों की ओर से गठित एक खोजी रिपोर्टिंग मंच कहने वाला ओसीसीआरपी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट्स लाने की तैयारी में है। यह यूरोप, अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में फैला हुआ है।
Adani group denied the report of OCCRP: Said- Hindenburg had also done similar baseless things, told the funding of George Soros behind
Adani group denied the report of OCCRP: Said- Hindenburg had also done similar baseless things, told the funding of George Soros behind31/08/2023

खोजी पत्रकारों के ग्लोबल नेटवर्क ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने गुरुवार (31 अगस्त 2023) को अडानी समूह (Adani Group) को लेकर एक रिपोर्ट जारी की। आरोप लगाया गया है कि समूह ने मॉरीशस के Opaque Funds के जरिए अपनी ही कंपनियों के सूचीबद्ध शेयरों को खरीदने में लाखों डॉलर का निवेश किया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी परिवार और उनके साझेदारों के जरिए गुपचुप रुप से ये निवेश किए गए। इसके लिए OCCRP ने कई टैक्स हेवन और अडानी समूह के आंतरिक ईमेल की फाइलों की समीक्षा का हवाला दिया है। उसने कहा कि जाँच में कम-से-कम दो मामले पाए गए, जहाँ ‘रहस्यमय’ निवेशकों ने ऐसी ऑफशोर संस्थाओं के जरिए अडानी के स्टॉक को खरीदा और बेचा।

वहीं, OCCRP के आरोपों को अडानी समूह ने सिरे से खारिज कर दिया है। अडानी समूह का कहना है, “हम इन दोहराए गए आरोपों को साफ तौर पर खारिज करते हैं। ये खबरों पर आधारित रिपोर्ट्स गुणवत्ताहीन हिंडनबर्ग रिपोर्ट को दोबारा से जिंदा करने की विदेशी मीडिया के एक वर्ग की मिलीजुली कोशिश है।”

अडानी परिवार के साथ जुड़े रहस्यमयी निवेशक

रिपोर्ट में OCCRP ने दावा किया कि अडानी परिवार के साथ रहस्यमयी निवेशक- नासिर अली शबान अहली और चैंग चुंग-लिंग के लंबे वक्त तक कारोबारी रिश्ते रहे हैं। ये दोनों गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी की समूह की कंपनियों और फर्मों में निवेशक, निदेशक और शेयरधारक के तौर पर भी काम कर चुके हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, दस्तावेज़ों से पता चलता है कि शेयरों में निवेश करने वाली प्रभारी प्रबंधन कंपनी ने विनोद अडानी की कंपनी को अपने निवेश में सलाह देने के लिए भुगतान किया था। ओसीसीआरपी का कहना है कि अहली और चांग अडानी समूह के प्रमोटरों की ओर से काम कर रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, “अगर ऐसा है तो अडानी ग्रुप में उनकी हिस्सेदारी का मतलब होगा कि अंदरूनी लोगों के पास गैरकानूनी तरीके से 75 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है।” इस रिपोर्ट में ये बात भी कही गई है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि चांग और अहली का पैसा अडानी परिवार से आ रहा था, लेकिन इस बात के सबूत हैं कि अडानी के शेयरों में निवेश को परिवार की ओर से समन्वय किया गया।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “अडानी समूह का बाजार पूंजीकरण सितंबर 2013 में आठ अरब डॉलर था। ये बीते साल बढ़कर 260 अरब डॉलर हो गया। ये समूह परिवहन, रसद, प्राकृतिक गैस वितरण, कोयला व्यापार, उत्पादन, बिजली उत्पादन व ट्रांसमिशन, सड़क निर्माण, डेटा सेंटर और रियल एस्टेट समेत विभिन्न क्षेत्रों के कारोबार से जुड़ा है।”

अडानी समूह पर ये नए आरोप लगभग 8 महीनों बाद लगाए गए हैं। इससे पहले 24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग ने उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी पर धोखाधड़ी, स्टॉक मूल्य में हेरफेर, ग्रुप की कंपनियों को ओवरवैल्यूड और टैक्स हेवन के गलत इस्तेमाल के आरोप लगाए थे। ये मामला देश की संसद में भी जमकर उछला था।

इस खुलासे के बाद अडानी समूह के शेयरों की कीमतों में लगभग 150 अरब बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी। हालाँकि, तब अडानी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया था। ख़ुद को ‘शॉर्टसेलर’ बताने वाली हिंडनबर्ग पर भी मुनाफ़ा कमाने के लिए इस रिपोर्ट को जारी करने के आरोप लगते रहे हैं। ताजा आरोपों को भी इस समूह ने निराधार बताया है।

अडानी समूह को पहले से था अंदेशा

अडानी ग्रुप ने रिपोर्ट पर कहा कि OCCRP जैसी विदेशी मीडिया को अरबपति इन्वेस्टर जॉर्ज सोरोस और रॉक फेलर ब्रदर्स फंड से फंडिंग और समर्थन मिलती है। ये लोग इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं और हिंडनबर्ग रिपोर्ट वाले आरोप भी फायदे के लिए लगाए गए हैं।”

अडानी समूह का कहना है कि मॉरीशस के फंड का नाम पहले ही अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आ चुका है और ये आरोप न केवल निराधार और अप्रमाणित हैं, बल्कि हिंडनबर्ग के आरोपों से अलग नहीं हैं।

ये दावे एक दशक पहले के बंद हो चुके केसों पर आधारित हैं, तब राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) के जरिए अधिक चालान, विदेश में धन हस्तांतरण, संबंधित पार्टी लेनदेन और निवेश के आरोपों की जाँच की थी।

दरअसल कुछ दिन पहले रिपोर्ट आई थी कि खोजी पत्रकारों वासा 24 गैर-लाभकारी जाँच केंद्रों की ओर से गठित एक खोजी रिपोर्टिंग मंच कहने वाला ओसीसीआरपी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट्स लाने की तैयारी में है। यह यूरोप, अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में फैला हुआ है।

इसमें ये भी बताया गया था कि उसकी इस रिपोर्ट के निशाने पर बड़े भारतीय कॉरपोरेट घराने हैं वो इन पर इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट जारी करने के आखिरी चरण में है। इन पर रिपोर्ट्स की एक सीरीज पब्लिश की जाएगी। इसमें ये भी कहा गया था कि वो कारोबारी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाने वाले विदेशी निवेशकों के नामों का खुलासा कर सकता है।

The mainstream media establishment doesn’t want us to survive, but you can help us continue running the show by making a voluntary contribution. Please pay an amount you are comfortable with; an amount you believe is the fair price for the content you have consumed to date.

happy to Help 9920654232@upi 

Buy Website Traffic
logo
The Public Press Journal
publicpressjournal.com