
निपाह पशुओं से इंसानों में, और फिर इंसानों से इंसानों में फैल सकने वाला पशुजन्य वायरस (Zoonotic Virus) है. फ़्रूट बैट, यानी फ़्रूट चमगादड़, जिन्हें 'उड़ती लोमड़ियां' भी कहा जाता है, निपाह वायरस के वाहक होते हैं, और इस वायरस का नाम मलेशिया के उस गांव के नाम पर रखा गया है, जहां यह सबसे पहले पाया गया था.
निपाह वायरस से संक्रमित होने वाले फ़्रूट बैट इस वायरस का संक्रमण अन्य पशुओं अथवा इंसानों में फैला देते हैं. किसी संक्रमित पशु के करीबी संपर्क में आने या उसके बॉडी फ़्लूड्स से संपर्क हो जाने से संक्रमण का खतरा काफ़ी ज़्यादा होता है. निपाह वायरस का संक्रमण एक शख्स से दूसरे को हो सकता है.
3) निपाह वायरस के संक्रमण के चलते सांस संबंधी रोगों के अलावा दिमागी सूजन, यानी एन्सिफ़ेलाइटिस जैसे जानलेवा रोग भी हो सकते हैं. इसके लक्षणों में बुखार होना, सिरदर्द होना, खांसी आना, सांस लेने में दिक्कत होना तथा उल्टियां आना शामिल है. गंभीर स्थिति के लक्षणों में ग़फ़लत होना, दौरे पड़ना तथा कोमा में चले जाना तक शामिल है. विश्व स्वास्थ्य संगठन, यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन (WHO) के मुताबिक, निपाह वायरस से संक्रमित मामलों में मृत्यु दर 40 से 75 फ़ीसदी के बीच रहती है.
4) WHO के मुताबिक, निपाह वायरस से बचाव के लिए किसी तरह की दवा या वैक्सीन फिलहाल मौजूद नहीं है. निपाह वायरस संक्रमण को लेकर WHO के एक नोट में कहा गया है, "सांस की गंभीर परेशानी या न्यूरोलॉजिकल दिक्कतों के उपचार के लिए इन्टेन्सिव सपोर्टिव केयर दिया जाना चाहिए..."
5) विश्व स्वास्थ्य संगठन का ज़ोर देकर कहना है कि निपाह वायरस के संक्रमण को घटाने या खत्म करने का एकमात्र उपाय लोगों को जागरूक करना है. संगठन का सुझाव है कि जनता को सिखाने और जागरूक करने के लिए संदेश भेजे जाएं, जिनमें लोगों से सिखाया जाए कि खाने से पहले फलों को अच्छी तरह धोएं, तथा संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ जाने के बाद सावधानियों बरतें.
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